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Diwali 2023: इस दिवाली बच्चों को सीखाएं जीवन का मूल्य, रोशनी का त्योहार आगे भी उनके जीवन में भर देगा खुशियां
Diwali 2023: रोशनी का त्योहार दिवाली सबसे ज़्यादा बच्चों को उत्साह से भर देता है लेकिन इस दिवाली उन्हें पास पटाखे जलाकर या घर की साफ़ सफाई ही नहीं बल्कि इसका असली सार समझाएं जो उनके जीवन में काम आएगा।
Diwali 2023: रोशनी का त्योहार दिवाली हर कोई हर्षोल्लास के साथ मनाता है। ये पांच दिवसीय त्योहार अंधेरे पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई और नई शुरुआत का प्रतीक है। लोग इस विशेष अवसर को मिट्टी के दीये जलाकर, अपने घरों को रोशनी से सजाकर और रंगीन रंगोली डिज़ाइन बनाकर मनाते हैं। इस साल दिवाली 12 नवंबर को मनाई जाएगी। वहीँ हर त्योहार हमे कई तरह की चीज़ें सीखते हैं ऐसे में आज हम दिवाली पर आप अपने बच्चों को जीवन के असली मूल्य के बारे में क्या सीखा सकते हैं इस विषय पर बताने जा रहे हैं।
दिवाली पर बच्चों को सीखाएं कुछ ज़रूरी बातें
दिवाली या दीपावली बच्चों से लेकर वयस्कों और बुजुर्गों तक सभी उम्र के लोगों के लिए एक बहुप्रतीक्षित त्योहार है। त्यौहार पर सबसे ज़्यादा एक्ससाइटेड बच्चे ही होते हैं साथ ही ये बच्चे और किशोर ही हमारे देश के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं, ऐसे अवसरों के दौरान वे हमारी संस्कृति से जो शिक्षा और मूल्य सीखते हैं, उनका बहुत महत्व है। यहां बच्चों के लिए दिवाली के कुछ जीवन सबक और मूल्य दिए गए हैं। जिन्हे सीख कर वो अपने पूरे जीवन में कामयाब हो सकते हैं।
भगवान राम ने सिखाया समानता का गुण
भगवान राम ने कभी भी जाति व्यवस्था में विश्वास नहीं किया। सभी मनुष्यों के साथ समान व्यवहार करना भगवाम राम का मौलिक गुण है। इस गुण को रामायण में शबरी की कहानी में खूबसूरती से चित्रित किया गया है। जंगल में रहने वाली निचली जाति की एक बुजुर्ग महिला शबरी को भगवान राम के आगमन के बारे में जब पता चला। उसने राम को चढ़ाने के लिए बेर इकट्ठे किये। बेर मीठे हैं या नहीं इसके लिए, उसने प्रत्येक बेर को चखा। ये जानने के बावजूद कि शबरी ने उन्हें चखा है, राम ने विनम्रतापूर्वक सभी बेर खाये और उसके आतिथ्य के लिए धन्यवाद दिया। ये कहानी हमें समानता के बारे में सिखाती है और मानवता को समाज की बेहतरी के लिए काम करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
किसी की बातों में न आएं
रामायण में, जब रावण ने सीता का अपहरण करने की योजना बनाई, तो उसने अपने चाचा मारीच को सोने के हिरण में बदलने और शुद्ध हृदय वाली माता सीता को लुभाने के लिए इस्तेमाल किया। सीता हिरन की सुंदरता से मोहित हो गईं और उन्होंने भगवान राम से इसे अपने लिए ले लेने को कहा। राम ने हिरण का पीछा किया और इस दौरान रावण ने सीता का अपहरण कर लिया। रामायण का यह उदाहरण हमें उन चीज़ों से सावधान रहने की याद दिलाता है जो हमें लुभाती हैं। आज का विवेकपूर्ण निर्णय हमें भविष्य में आने वाली आपदाओं से बचा सकता है। इसके साथ ही साथ मंथरा द्वारा कैकई को भड़काने के बाद उन्होंने भी राजा दशरथ से तीन वरदान मांगें जबकि राम को राजा बनाने की बात पर वो भी खुश थीं लेकिन मंथरा के उनके काम भरने पर उन्होंने भगवान् राम वो 14 वर्षों का कठिन वनवास माँगा। जिससे हम बच्चों को ये शिक्षा दे सकते हैं कि हमे किसी की बातों में नहीं आना चाहिए बल्कि अपने खुद के विवेक से काम लेना चाहिए।
निःस्वार्थ भाव के करें काम
लक्ष्मण ने सब कुछ त्याग दिया और बदले में किसी भी चीज़ की उम्मीद नहीं की। उन्होंने राम के साथ रहना चुना। उन्होंने 14 साल वन में वास किया और विलासिता का जीवन छोड़ दिया। लक्ष्मण निःस्वार्थता का एक अविश्वसनीय उदाहरण थे। हम उनके गुणों को अपने जीवन में शामिल करने का प्रयास कर सकते हैं और हमेशा स्वार्थ से कार्य नहीं कर सकते।
धैर्य रखना है महान गुण
भगवान राम और माता सीता धैर्य के महान उदाहरण थे। सीता स्वेच्छा से बिना किसी शिकायत के सभी कठिनाइयों को सहन करते हुए, राम के साथ वनवास गईं। वो धैर्यपूर्वक अपने पति की रावण से मुक्ति की प्रतीक्षा करती रही। भगवान राम ने हमें दिखाया कि दृढ़ इच्छाशक्ति और धैर्य से चुनौतियाँ समाप्त हो जाती हैं। हमें कठिन समय में भी बिना विचलित हुए डटे रहना सीखना चाहिए।
परिवार का साथ
दिवाली परिवारों के एक साथ आने का समय है। ये एकता के मूल्य और प्रियजनों के साथ रहने से मिलने वाली खुशी की याद दिलाता है। ये बच्चों के लिए अपने बड़ों से आशीर्वाद लेने और सम्मान दिखाने का महत्व सीखने का भी समय है। आजकल के टूटते परिवार और आपस में अन-बन जहाँ कई समस्यों को जन्म दे रही है वहीँ बच्चों को रामायण की कहानी परिवार के साथ रहना सुख दुःख बाँटना सिखाती है।