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Double Meaning Comedy: डबल मीनिंग कॉमेडी क्या है, क्यों यह समाज के लिए है हानिकारक, इस वजह से रणवीर और समय रैना आए चर्चा में

Double Meaning Comedy Culture: डबल मीनिंग कॉमेडी में शब्दों का ऐसा प्रयोग होता है जिनका द्विअर्थी अर्थ होता है और यह अक्सर वयस्क सामग्री से जुड़ी होती है।

Akshita Pidiha
Written By Akshita Pidiha
Published on: 11 Feb 2025 2:38 PM IST
Ranveer Allahbadia-Samay Raina
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Ranveer Allahbadia-Samay Raina (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Double Meaning Comedy Kya Hai: डबल मीनिंग कॉमेडी (Doble Meaning Comedy) हास्य का एक ऐसा रूप है, जिसमें शब्दों या वाक्यों के दोहरे अर्थ होते हैं। यह शैली अक्सर व्यंग्य, वयस्क हास्य, या चतुर भाषा के खेल का उपयोग करके दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए बनाई जाती है। यह शैली न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में प्रचलित है और इसे लेकर समाज में कई तरह की प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलती हैं।

डबल मीनिंग कॉमेडी कब से चल रही है (Double Meaning Comedy Kab Se Ho Rahi Hai)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

डबल मीनिंग कॉमेडी का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। भारतीय नाट्यशास्त्र में "श्लेष अलंकार" का उल्लेख मिलता है, जिसमें एक ही शब्द के विभिन्न अर्थ होते हैं। संस्कृत साहित्य में नाटककारों ने कई स्थानों पर ऐसे शब्दों का उपयोग किया, जिनके दोहरे अर्थ होते थे। कालिदास के नाटकों में कई स्थानों पर सूक्ष्म हास्य और द्विअर्थी संवाद देखने को मिलते हैं।

पश्चिमी देशों में भी "डबल एंट्रेंडर" (Double Entendre) का उपयोग हास्य और नाटक में होता रहा है। विलियम शेक्सपियर के कई नाटकों में द्विअर्थी संवाद मिलते हैं। 20वीं शताब्दी के मध्य से फिल्मों, थिएटर, और स्टैंड-अप कॉमेडी में इस शैली का प्रचलन बढ़ा। बॉलीवुड में 70 और 80 के दशक में ऐसे संवादों को हास्य के रूप में प्रस्तुत किया गया।

डबल मीनिंग कॉमेडी और सामान्य कॉमेडी में अंतर (Difference Between Normal Comedy and Double Meaning Comedy)

डबल मीनिंग कॉमेडी और सामान्य कॉमेडी के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं:

भाषाई प्रयोग: सामान्य कॉमेडी सीधा और साफ-सुथरा हास्य प्रस्तुत करती है, जबकि डबल मीनिंग कॉमेडी में शब्दों का ऐसा प्रयोग होता है जिनका द्विअर्थी अर्थ होता है।

विषय-वस्तु: सामान्य कॉमेडी पारिवारिक और सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित होती है, जबकि डबल मीनिंग कॉमेडी अक्सर वयस्क सामग्री से जुड़ी होती है।

प्रस्तुति का तरीका: सामान्य कॉमेडी को हर उम्र के लोग देख सकते हैं, लेकिन डबल मीनिंग कॉमेडी ज्यादातर वयस्क दर्शकों के लिए होती है।

समाज पर प्रभाव: सामान्य कॉमेडी आमतौर पर सकारात्मक संदेश देती है, जबकि डबल मीनिंग कॉमेडी को कभी-कभी आलोचना झेलनी पड़ती है क्योंकि यह संवेदनशील विषयों को छूती है।

डिजिटल युग में डबल मीनिंग कॉमेडी का तेजी से विकास

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

डिजिटल दुनिया ने डबल मीनिंग कॉमेडी के विकास को कई गुना बढ़ा दिया है। इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से यह शैली पहले की तुलना में अधिक तेजी से फैल रही है। इसके कुछ प्रमुख कारण हैं:

सोशल मीडिया का प्रभाव: फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और टिकटॉक जैसे प्लेटफार्म्स ने छोटे-छोटे कॉमेडी क्लिप्स को वायरल करने का मंच दिया है।

स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स: नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम और अन्य ओटीटी प्लेटफार्म्स ने कंटेंट क्रिएटर्स को खुली छूट दी है, जिससे डबल मीनिंग कॉमेडी को नया बाजार मिला है।

कम सेंसरशिप: पारंपरिक टीवी और रेडियो की तुलना में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर कम सेंसरशिप होती है, जिससे कॉमेडियंस अधिक स्वतंत्रता के साथ डबल मीनिंग कॉमेडी कर सकते हैं।

ऑडियंस एंगेजमेंट: डिजिटल युग में दर्शकों को तुरंत प्रतिक्रिया देने का अवसर मिलता है, जिससे कॉमेडियंस को पता चलता है कि किस प्रकार की कॉमेडी को लोग अधिक पसंद कर रहे हैं।

मीम कल्चर का प्रभाव: इंटरनेट मीम्स में अक्सर डबल मीनिंग कंटेंट होता है, जो इसे और अधिक लोकप्रिय बनाता है।

डबल मीनिंग कॉमेडी का विकास और लोकप्रियता

वर्तमान समय में स्टैंड-अप कॉमेडी, टेलीविजन शो, फिल्मों और सोशल मीडिया में डबल मीनिंग कॉमेडी की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। इसके कुछ मुख्य कारण हैं:

लोग तनावभरे जीवन में कुछ क्षणों की हंसी चाहते हैं और डबल मीनिंग जोक्स आसानी से दर्शकों को आकर्षित करते हैं।डबल मीनिंग कॉमेडी समाज में उन विषयों पर चर्चा करने का एक अप्रत्यक्ष तरीका प्रदान करती है, जिन्हें खुले तौर पर व्यक्त करना मुश्किल होता है।

आजकल सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो और कॉमेडी कंटेंट तेजी से वायरल होते हैं, जिससे उनकी लोकप्रियता और बढ़ जाती है।हालांकि यह शैली बहुत लोकप्रिय है, लेकिन इसे लेकर समाज में विरोध भी होता है। कुछ लोग इसे अभद्र और अनैतिक मानते हैं।

कुछ लोगों का मानना है कि यह शैली समाज में नैतिक मूल्यों को कमजोर करती है और युवा पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।अक्सर डबल मीनिंग चुटकुले महिलाओं को लेकर बनाए जाते हैं, जिससे लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा मिल सकता है।कई बार स्टैंड-अप कॉमेडियन सार्वजनिक मंचों पर ऐसे चुटकुले सुनाते हैं, जिससे विवाद खड़े हो जाते हैं।

क्या डबल मीनिंग कॉमेडी पर रोक लगनी चाहिए?

डबल मीनिंग कॉमेडी को पूरी तरह प्रतिबंधित करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन इसके लिए कुछ दिशा-निर्देश आवश्यक हैं:

संस्कृति और नैतिकता को ध्यान में रखना: चुटकुले ऐसे होने चाहिए जो किसी विशेष वर्ग का अपमान न करें।

संयुक्त परिवारों के लिए उपयुक्त कॉमेडी: सार्वजनिक प्लेटफार्मों पर इस तरह की कॉमेडी को नियंत्रित किया जाना चाहिए।

सोशल मीडिया पर नियंत्रण: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को ऐसे कंटेंट को फिल्टर करने के लिए कदम उठाने चाहिए।

डबल मीनिंग कॉमेडी के प्रकार (Types of Double Meaning Comedy)

मौखिक (Verbal): जब शब्दों का खेल किया जाता है, जिससे एक ही वाक्य के दो अलग-अलग अर्थ निकलते हैं।

दृश्य (Visual): जब किसी स्थिति को इस तरह प्रस्तुत किया जाता है कि दर्शक उसमें एक अलग ही अर्थ देख लेते हैं।

स्थितिजन्य (Situational): जब किसी दृश्य को इस प्रकार फिल्माया जाता है कि वह अश्लील या चुटीला लगे।

इंडियाज गॉट लैटेंट में विवाद (Samay Raina Show India's Got Latent Controversy)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

हाल ही में, 'इंडियाज गॉट लैटेंट' शो में स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना (Samay Raina) और यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया (YouTuber Ranveer Allahbadia) को लेकर विवाद हुआ।

विवाद की जड़

शो के दौरान रणवीर अल्लाहबादिया ने एक प्रतिभागी से माता-पिता के यौन जीवन से जुड़ा सवाल पूछ लिया, जिससे दर्शकों में आक्रोश फैल गया। इसके बाद सोशल मीडिया पर इस घटना की भारी आलोचना हुई। गीतकार मनोज मुंतशिर ने इसे भारतीय संस्कृति के लिए हानिकारक बताया।

प्रतिक्रिया और परिणाम

सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे नैतिक रूप से गलत बताया। मनोज मुंतशिर ने इसे ‘कोविड से भी खतरनाक वायरस’ करार दिया। इस घटना के बाद शो निर्माताओं को सफाई देनी पड़ी।

डबल मीनिंग कॉमेडी मनोरंजन का एक लोकप्रिय माध्यम है, लेकिन इसके दायरे को लेकर समाज में मतभेद हैं। इसे पूरी तरह से रोकना समाधान नहीं हो सकता, लेकिन इसे नियंत्रित और संतुलित तरीके से प्रस्तुत करना आवश्यक है। समाज को यह तय करना होगा कि वह किस हद तक इस प्रकार की कॉमेडी को स्वीकार्य मानता है और इसके लिए उचित दिशानिर्देश और नियंत्रण स्थापित करने होंगे।इस शैली को जिम्मेदारी से इस्तेमाल करना आवश्यक है ताकि यह मनोरंजन के दायरे में रहे और किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचे।



Shreya

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