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Sabse Khatarnak Saamp: जानिए दुनिया के सबसे खतरनाक और जहरीले साँपों के बारे में

Duniya Ke Sabse Khatarnak Snakes: इस लेख में हम दुनिया के सबसे ज़हरीले और खतरनाक साँपों के बारे में विस्तार से जानेंगे, उनके रहस्यमय व्यवहार, ज़हरीले प्रभाव और उनकी विशेषताओं पर गहराई से चर्चा करेंगे।

Shivani Jawanjal
Published on: 26 March 2025 2:31 PM IST
Duniya Ke Sabse Khatarnak Saamp Kaun Sa Hai
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Duniya Ke Sabse Khatarnak Saamp Kaun Sa Hai

Most Dangerous Snakes: साँप धरती के सबसे रहस्यमयी और खतरनाक जीवों में से एक हैं, जो अपनी अनोखी संरचना, शिकार करने की तकनीक और घातक ज़हर के लिए जाने जाते हैं। दुनिया में साँपों की हजारों प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से कुछ पूरी तरह विषहीन होती हैं, तो कुछ बेहद ज़हरीली, जिनका एक ही डंस किसी इंसान या जानवर की मौत का कारण बन सकता है। विशेष रूप से, कुछ साँपों का ज़हर इतना शक्तिशाली होता है कि वह कुछ ही मिनटों में शिकार के शरीर को निष्क्रिय कर देता है।

इनलैंड टैपेन (Oxyuranus microlepidotus)

इनलैंड टैपेन (Oxyuranus microlepidotus), जिसे "फ़ियरस स्नेक" (Fierce Snake) के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया का सबसे ज़हरीला साँप माना जाता है। यह मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया के शुष्क और दूर-दराज़ के इलाकों में पाया जाता है। इसकी पहचान इसकी चिकनी त्वचा, भूरी रंगत और अत्यधिक विषैले ज़हर के कारण की जाती है। हालांकि यह साँप अपनी आक्रामकता के लिए नहीं, बल्कि अपने ज़हर की ताकत के लिए प्रसिद्ध है। वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, इनलैंड टैपेन की एक बाइट में इतना ज़हर होता है कि यह 100 से अधिक इंसानों या लगभग 2,50,000 चूहों को मार सकता है।

इसके ज़हर में न्यूरोटॉक्सिन, हेमोटॉक्सिन और मायोटॉक्सिन जैसे घातक तत्व होते हैं, जो इंसान के नर्वस सिस्टम, खून और मांसपेशियों पर भयानक प्रभाव डालते हैं। न्यूरोटॉक्सिन पीड़ित की तंत्रिका प्रणाली को प्रभावित कर उसके शरीर को पूरी तरह से निष्क्रिय कर सकता है, जबकि हेमोटॉक्सिन रक्त को गाढ़ा कर देता है और ब्लड क्लॉटिंग रोक देता है, जिससे शरीर के अंदरूनी अंगों को ऑक्सीजन मिलना बंद हो जाता है। मायोटॉक्सिन मांसपेशियों को तोड़कर शरीर में गंभीर क्षति पहुंचाता है। इनलैंड टैपेन के काटने के कुछ ही मिनटों के भीतर पीड़ित को अत्यधिक दर्द, चक्कर आना और साँस लेने में कठिनाई जैसी घातक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यदि समय पर एंटीवेनम न मिले, तो व्यक्ति की मौत निश्चित होती है।

हालांकि यह साँप ज़हरीला होने के बावजूद इंसानों से दूर रहना पसंद करता है और आमतौर पर शर्मीला स्वभाव रखता है।वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि इनलैंड टैपेन का ज़हर कोबरा से लगभग 50 गुना और रसेल वाइपर से 10 गुना अधिक घातक होता है। यह साँप अपने ज़हर की ताकत के कारण दुनिया के सबसे खतरनाक साँपों में सबसे ऊपर आता है। लेकिन यदि यह साँप किसी को काट ले, तो बिना चिकित्सा सहायता के बचना लगभग असंभव होता है।

किंग कोबरा (Ophiophagus Hannah)

किंग कोबरा (Ophiophagus Hannah) दुनिया का सबसे लंबा ज़हरीला साँप है, जिसकी लंबाई औसतन 10 से 18 फीट तक हो सकती है। यह मुख्य रूप से दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के घने जंगलों, पहाड़ियों और दलदली इलाकों में पाया जाता है। अपनी लंबाई और खतरनाक ज़हर के कारण इसे साँपों के राजा के रूप में जाना जाता है। किंग कोबरा अपने विशिष्ट रूप, आक्रामक स्वभाव और ख़तरनाक ज़हरीले डंस के लिए प्रसिद्ध है। जब यह खतरा महसूस करता है, तो यह अपना फन फैलाकर फुफकारता है और शत्रु को डराने की कोशिश करता है।


किंग कोबरा मुख्य रूप से अन्य साँपों को अपना शिकार बनाता है, यहाँ तक कि यह ज़हरीले साँपों को भी खाने से नहीं हिचकिचाता। इसकी विष ग्रंथियों से निकलने वाला न्यूरोटॉक्सिक ज़हर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव डालता है और तेजी से शिकार को पंगु बना देता है। यदि कोई इंसान इसके डंस का शिकार हो जाए, तो बिना समय रहते इलाज मिलने पर मौत निश्चित मानी जाती है। इसके ज़हर की मात्रा इतनी अधिक होती है कि यह एक ही बार में एक हाथी तक की जान ले सकता है। हालांकि, यह साँप बिना वजह इंसानों पर हमला नहीं करता और आमतौर पर खतरा महसूस करने पर ही आक्रामक होता है।अपने विशाल आकार, घातक ज़हर और शक्तिशाली उपस्थिति के कारण किंग कोबरा को दुनिया के सबसे ख़तरनाक साँपों में गिना जाता है। यह साँप भले ही खतरनाक हो, लेकिन अपने पर्यावरण में इसका महत्वपूर्ण स्थान है।

ब्लैक माम्बा (Dendroaspis polylepis)

ब्लैक माम्बा (Dendroaspis polylepis) अफ्रीका में पाया जाने वाला दुनिया का सबसे तेज़, आक्रामक और घातक ज़हरीला साँप है। यह अपनी गति, आक्रामक स्वभाव और शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिक ज़हर के कारण अत्यधिक ख़तरनाक माना जाता है। यह साँप ज़मीन पर सबसे तेज़ी से रेंगने वाले साँपों में से एक है और 20 किमी/घंटा (12 मील/घंटा) तक की गति से आगे बढ़ सकता है। इसकी लंबाई औसतन 8 से 14 फीट तक हो सकती है, जिससे यह अफ्रीका का सबसे लंबा ज़हरीला साँप बनता है।

हालांकि इसके नाम में "ब्लैक" शब्द जुड़ा है, लेकिन इसका शरीर वास्तव में जैतूनी हरा या ग्रे रंग का होता है। इसे "ब्लैक माम्बा" इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके मुँह का अंदरूनी भाग काले रंग का होता है, जिसे यह खतरे की स्थिति में दिखाता है। यह साँप आमतौर पर अफ्रीका के खुले जंगलों, घास के मैदानों और चट्टानी क्षेत्रों में पाया जाता है।


ब्लैक माम्बा के ज़हर को सबसे तेज़ और घातक माना जाता है। इसका न्यूरोटॉक्सिक ज़हर शरीर की नसों, हृदय और मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है, जिससे शिकार कुछ ही मिनटों में लकवाग्रस्त हो जाता है। बिना इलाज के ब्लैक माम्बा के डंस से मौत 20 से 30 मिनट के भीतर हो सकती है। इसकी ज़हरीली ग्रंथियाँ इतनी प्रभावशाली होती हैं कि एक बार में छोड़ा गया ज़हर 10 से 15 वयस्क इंसानों को मारने के लिए काफ़ी होता है।

इस साँप की सबसे ख़तरनाक विशेषता इसकी आक्रामकता और बार-बार काटने की प्रवृत्ति है। जब यह खतरा महसूस करता है, तो तुरंत हमला कर सकता है और एक बार में कई बार डंस सकता है, जिससे ज़हर की घातक मात्रा शरीर में प्रवेश कर जाती है। हालांकि, यह स्वभाव से शर्मीला होता है और आमतौर पर इंसानों से दूर रहने की कोशिश करता है, लेकिन जब यह फँस जाता है या उत्तेजित होता है, तो अत्यधिक आक्रामक हो सकता है।

रसेल वाइपर (Daboia russelii)

रसेल वाइपर (Daboia russelii) दुनिया के सबसे ख़तरनाक और ज़हरीले साँपों में से एक है। यह मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के जंगलों, घास के मैदानों और खेती वाले इलाकों में पाया जाता है। रसेल वाइपर "बिग फोर" साँपों में से एक है, जो भारत में सबसे ज़्यादा साँपों के काटने और मौतों के लिए ज़िम्मेदार हैं। इसकी पहचान पीले-भूरे रंग के शरीर और उस पर बनी गहरे भूरे या काले रंग की श्रृंखलाबद्ध चकत्तेदार आकृतियों से की जाती है।

यह साँप अपने आक्रामक स्वभाव और घातक ज़हर के लिए जाना जाता है। जब यह खतरा महसूस करता है, तो एक जोरदार फुफकार निकालता है, जो इसे अन्य साँपों से अलग बनाती है। यह तेज़ी से हमला करता है और एक बार में बड़ी मात्रा में ज़हर छोड़ सकता है। रसेल वाइपर के ज़हर में हेमोटॉक्सिन (रक्त को प्रभावित करने वाला ज़हर) पाया जाता है, जो खून को गाढ़ा कर देता है और शरीर में भीतरी रक्तस्राव (ब्लीडिंग) शुरू कर देता है। इसके डंस के बाद अत्यधिक दर्द, सूजन, रक्तस्राव, और कभी-कभी अंगों के गलने (गैंगरीन) जैसी घातक समस्याएँ हो सकती हैं। यदि समय पर इलाज न मिले, तो पीड़ित की मौत कुछ घंटों या दिनों के भीतर हो सकती है।


रसेल वाइपर ज्यादातर रात में सक्रिय रहता है और छोटे स्तनधारियों, पक्षियों, छिपकलियों और मेंढ़कों का शिकार करता है। यह खेतों और ग्रामीण इलाकों में अधिक पाया जाता है, जिससे किसानों और ग्रामीणों के लिए यह एक बड़ा खतरा बन जाता है। इसके ज़हरीले डंस की वजह से हर साल हजारों लोग अपनी जान गंवाते हैं या स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं।

इस साँप को अत्यधिक सतर्कता और सावधानी से संभालने की जरूरत होती है, क्योंकि यह हमला करने से पहले ज्यादा चेतावनी नहीं देता। हालांकि, रसेल वाइपर पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह चूहों और अन्य कीटों की आबादी को नियंत्रित करने में मदद करता है।

डैथ एडर (Acanthophis)

डैथ एडर (Acanthophis) प्रजाति ऑस्ट्रेलिया और न्यू गिनी के सबसे ख़तरनाक और ज़हरीले साँपों में से एक है। यह साँप अपने नाम की तरह ही बेहद ख़तरनाक होता है और अपने तेज़ आक्रमण और घातक ज़हर के कारण जाना जाता है। डैथ एडर साँपों की बाकी प्रजातियों से अलग दिखता है, क्योंकि इसका शरीर छोटा और मोटा होता है, और इसका सिर त्रिकोणीय आकार का होता है। यह साँप मुख्य रूप से जंगलों, झाड़ियों और घास के मैदानों में पाया जाता है, जहाँ यह शिकार को धोखा देकर पकड़ने की अपनी अनूठी रणनीति अपनाता है।

डैथ एडर की सबसे ख़ास विशेषता इसकी एम्बुश (Ambush) तकनीक है, जिसमें यह घात लगाकर शिकार का इंतज़ार करता है। यह ज़मीन पर स्थिर पड़ा रहता है और अपनी पूँछ को हिलाकर कीड़े या छोटे जीव जैसा दिखाता है, जिससे शिकार आकर्षित होकर उसके पास आ जाता है। जैसे ही शिकार उसकी पहुँच में आता है, यह बेहद तेज़ गति से हमला करता है और ज़हर इंजेक्ट कर देता है।


इस साँप का ज़हर न्यूरोटॉक्सिक होता है, जो सीधे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Nervous System) पर असर डालता है। इसके काटने के बाद शरीर धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है, जिससे मांसपेशियों में लकवा, साँस लेने में दिक्कत और अंततः मौत हो सकती है। दिलचस्प बात यह है कि डैथ एडर का हमला दुनिया में सबसे तेज़ साँपों में से एक है। यह सिर्फ़ 0.15 सेकंड में डंस सकता है, जिससे बच पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। डैथ एडर का ज़हर इतना ख़तरनाक होता है कि बिना एंटीवेनम (Anti-Venom) इलाज के, साँप के काटने से मौत की संभावना 50% तक होती है।

टाइगर स्नेक (Notechis)

टाइगर स्नेक (Notechis) प्रजाति ऑस्ट्रेलिया के सबसे ज़हरीले और खतरनाक साँपों में से एक है। इसका नाम इसकी विशेष धारियों (स्ट्राइप्स) के कारण रखा गया है, जो इसे बाघ जैसी उपस्थिति देती हैं। यह साँप मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी हिस्सों, तटीय क्षेत्रों, द्वीपों और आर्द्रभूमि (Wetlands) में पाया जाता है। अपनी आक्रामकता, शक्तिशाली ज़हर और अनुकूलन क्षमता के कारण यह साँप बेहद ख़तरनाक माना जाता है।

टाइगर स्नेक की लंबाई आमतौर पर 3 से 5 फीट तक होती है, लेकिन कुछ बड़े साँप 6 फीट तक भी हो सकते हैं। इसके शरीर का रंग पीले, भूरे, जैतूनी हरे या काले रंग का हो सकता है, जिस पर गहरे रंग की धारियाँ होती हैं। हालांकि, कुछ टाइगर स्नेक पूरी तरह बिना धारियों के भी हो सकते हैं, जिससे इन्हें पहचानना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।


टाइगर स्नेक ठंडे इलाकों में भी जीवित रह सकता है और इसे पानी के आसपास रहना पसंद होता है। यह अच्छा तैराक होता है और अक्सर झीलों, नदियों और दलदलों के पास पाया जाता है। यह दिन और रात दोनों समय सक्रिय रह सकता है, लेकिन ठंडे मौसम में अधिक सक्रिय होता है।

जब यह खतरा महसूस करता है, तो यह अपने शरीर को ऊँचा उठाकर फुफकारता है और तेज़ी से हमला कर सकता है। हालांकि, यह बिना वजह इंसानों पर हमला नहीं करता, लेकिन जब यह घबराता है या फँस जाता है, तो बेहद आक्रामक हो जाता है।

टाइगर स्नेक का ज़हर दुनिया के सबसे ख़तरनाक साँपों में गिना जाता है। इसका ज़हर न्यूरोटॉक्सिक (Nervous System पर असर डालने वाला), कोएगुलोपैथिक (रक्त को गाढ़ा करने वाला) और मायोटॉक्सिक (मांसपेशियों को प्रभावित करने वाला) होता है।

इसके काटने से होने वाले लक्षणों में शामिल हैं:

तेज़ दर्द और सूजन

साँस लेने में दिक्कत

मांसपेशियों में लकवा

आंतरिक रक्तस्राव

किडनी फेल होने की संभावना

अगर समय पर इलाज न मिले, तो टाइगर स्नेक के काटने से कुछ ही घंटों में मौत हो सकती है।

बूथ्रॉप्स एस्पर (Bothrops asper)

बूथ्रॉप्स एस्पर (Bothrops asper), जिसे आमतौर पर "फेर-डे-लांस" (Fer-de-Lance) या "टेरेलोपेलो" (Terciopelo) के नाम से भी जाना जाता है, मध्य और दक्षिण अमेरिका में पाया जाने वाला एक अत्यधिक ज़हरीला और खतरनाक वाइपर साँप है। यह साँप अपनी आक्रामकता, तेज़ हमले और शक्तिशाली हेमोटॉक्सिक ज़हर के लिए जाना जाता है, जो इंसानों और जानवरों दोनों के लिए घातक साबित हो सकता है।

बूथ्रॉप्स एस्पर की लंबाई आमतौर पर 4 से 6 फीट होती है, लेकिन कुछ बड़े साँप 8 फीट तक भी पहुँच सकते हैं। इसका शरीर मोटा और मजबूत होता है, और इसका रंग ज्यादातर भूरा, जैतूनी हरा या ग्रे होता है, जिस पर गहरे भूरे या काले रंग की धारियाँ होती हैं। यह रंग इसे अपने प्राकृतिक आवास में छिपने में मदद करता है। इसका सिर त्रिकोणीय आकार का होता है, जो इसे आसानी से पहचानने योग्य बनाता है।


यह साँप मुख्य रूप से वर्षा वनों, दलदली इलाकों, घास के मैदानों और खेती वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। यह विशेष रूप से गन्ने और केले के खेतों के पास देखा जाता है, जहाँ यह चूहों और छोटे स्तनधारियों का शिकार करता है।

बूथ्रॉप्स एस्पर अपने आक्रामक स्वभाव के लिए कुख्यात है। यह बिना किसी चेतावनी के हमला कर सकता है और आमतौर पर पीछे नहीं हटता। यह ज़मीन पर घात लगाकर बैठने वाला शिकारी (Ambush Predator) है, जो अपने शिकार का इंतज़ार करता है और फिर बिजली की तेजी से हमला करता है।

इस साँप का ज़हर अत्यंत ख़तरनाक हेमोटॉक्सिन (Hemotoxin) होता है, जो रक्त को गाढ़ा कर देता है, ऊतकों (Tissues) को नष्ट कर देता है और आंतरिक रक्तस्राव (Internal Bleeding) का कारण बनता है। इसके काटने के बाद होने वाले लक्षणों में शामिल हैं:

तेज़ दर्द और सूजन - काटने के तुरंत बाद प्रभावित क्षेत्र में जलन और असहनीय दर्द होता है।

टिशू डैमेज और गैंगरीन - ज़हर शरीर की कोशिकाओं और ऊतकों को तेजी से नष्ट कर सकता है, जिससे अंग सड़ सकता है और कटवाने (Amputation) की नौबत आ सकती है।

भीतरी रक्तस्राव (Internal Bleeding) - इसका ज़हर खून को पतला करने और नसों को फाड़ने का काम करता है, जिससे शरीर के अंदर गंभीर रक्तस्राव हो सकता है।

किडनी फेलियर और मौत - अगर समय पर इलाज न मिले, तो ज़हर किडनी को प्रभावित कर सकता है, जिससे मृत्यु भी हो सकती है।

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