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ECO-Friendly Relationship: क्लाइमेट चेंज के दौर में अपनाएं ईको फ्रेंडली सेक्स

ECO-Friendly Relationship: इंटरनेट पर सर्च करिए तो वीगन कंडोम, प्लास्टिक मुक्त कॉन्ट्रासेप्टिव, बायोडिग्रेडेबल सेक्स टॉयज आदि उपलब्ध हैं

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Newstrack NetworkPublished By Ragini Sinha
Published on: 26 Oct 2021 12:13 PM IST
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क्लाइमेट चेंज के दौर में अपनाएं ईको फ्रेंडली सेक्स (social media)

ECO-Friendly Relationship। जलवायु परिवर्तन ( climate change) आजकल बहुत बड़ा मसला है और हम सभी पर पर्यावरण सुरक्षा( climate surakcha) तथा जीरो कार्बन होने की जिम्मेदारी है। अपनी लाइफस्टाइल (Lifestyle) में कुछ बदलाव लाकर हम काफी योगदान कर सकते हैं और इसमें हमारी सेक्स लाइफ (sex life) भी शामिल है। सेक्स में बहुत कुछ ऐसा होता है, जो कार्बन फुटप्रिंट (Carbon footprint) बढ़ाता है। इसे घटाने के लिए तरह तरह के उपाय और आइटम बाजार में मौजूद हैं लेकिन इसके बारे में खुल कर बात कभी नहीं होती है। इंटरनेट पर सर्च करिए तो वीगन कंडोम (Vegan Condoms), प्लास्टिक मुक्त कॉन्ट्रासेप्टिटिटि (Plastic Free Contraceptives) और बायोडिग्रेडेबल सेक्स टॉयज (Biodegradable Sex Toys) आदि उपलब्ध हैं और इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यानी समझदार लोग इनका इस्तेमाल कर रहे हैं तभी सप्लाई का दायरा फैलता जा रहा है।


ईको फ्रेंडली सेक्स (Eco Friendly Sex) के मायने आमतौर पर लोग यही लगाते हैं कि ऐसे लुब्रिकेंट (Lubricants), टॉयज़ (Toys), कंडोम (Condom) और बेडशीट्स (Bedsheet) का प्रयोग किया जाए जिनका पर्यवरण पर न्यूनतम इम्पैक्ट हो। वहीं कुछ एक्सपर्ट्स ये कहते हैं कि पोर्नोग्राफी के निर्माण में कामगारों और पर्यावरण को होने वाली क्षति कम से कम हो।

प्लास्टिक और कंडोम

पर्यावरण की बर्बादी में प्लास्टिक बैग्स (plastic bags) के योगदान की तो बहुत बात की जाती है लेकिन कंडोम (Condom) की कोई चर्चा नहीं होती। जबकि ये बहुत बड़ा मसला है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या फण्ड (United Nations Population Fund) का अनुमान है कि हर साल 10 अरब कंडोम बनाये जाते हैं और इनमें से अधिकांश इस्तेमाल के बाद कूड़े के पहाड़ों को बढ़ाते हैं। इसकी वजह है कि कंडोम रीसायकल नहीं किये जा सकते क्योंकि वे सिंथेटिक लैटेक्स से बनते हैं और उनमें केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। ये प्लास्टिक की तरह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं। अब कुछ कंपनियां बायोडिग्रेडेबल कंडोम (biodegradable condoms) बनाने लगी हैं। जिनसे कचरे की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।


लुब्रिकेंट

बाजार में मिलने वाले अधिकांश लुब्रिकेंट पेट्रोलियम बेस्ड (lubricant petroleum based) होते हैं सो इनमें जीवाश्म ईंधन होता ही है। इस समस्या का समाधान वाटर बेस्ड लुब्रिकेंट या अन्य आर्गेनिक प्रोडक्ट्स हैं। बहुत से देशों में घरेलू लुब्रिकेंट भी काफी लोकप्रिय होते जा रहे हैं। ऐसा ही एक लुब्रिकेंट है जिसे घर पर ही कॉर्न स्टार्च और पानी के मिक्सचर से बनाया जा सकता है।

सेक्स टॉयज़

सेक्सुअल लाइफ (Sexual Life) को अगले लेवल पर ले जाने के लिए सेक्स टॉयज़ का इस्तेमाल बहुत व्यापक है। विदेशों में ये अरबों डॉलर की इंडस्ट्री है। भारत में भी बीते वर्षों में सेक्स टॉयज की डिमांड बहुत बढ़ी है। टॉयज़ के साथ समस्या ये है कि इनमें प्लास्टिक का जम कर इस्तेमाल किया जाता है, सो अंततः ये पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। हालांकि अब स्टील और शीशे से बने टॉयज़ भी उपलब्ध हैं लेकिन उनकी सीमितताएं हैं।

आप ईको फ्रेंडली टॉयज़ चाहते हैं तो रिचार्जबल टॉयज़ खरीदें या सोलर पावर वाले आइटम लें, इससे कम से कम बैटरी का वेस्टेज खत्म होगा।

और क्या करें

  • पर्याप्त संख्या में कंडोम स्टॉक करके रखें। इस तरह आप पैकेजिंग के खर्चे से बच सकते हैं और पर्यावरण को भी अनावश्यक पैकेजिंग से बचा सकते हैं।
  • जब भी आप सेक्स टॉयज खरीदें तो ध्यान रखें कि वो वाटरप्रूफ हो और उसकी बैटरी को फिर से चार्ज किया जा सकता है। ये भी ध्यान दें कि उनके निर्माण में फाथेलेट्स का प्रयोग न किया गया हो क्योंकि ये पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होता है।


Ragini Sinha

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