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बच्चों की शिक्षा में टेक्नोलॉजी का दखल, इससे हैं कई फायदे और नुकसान भी

seema
Published on: 28 Dec 2018 8:48 AM GMT
बच्चों की शिक्षा में टेक्नोलॉजी का दखल, इससे हैं कई फायदे और नुकसान भी
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बच्चों की शिक्षा में टेक्नोलॉजी का दखल, इससे हैं कई फायदे और नुकसान भी

नई दिल्ली : आज टेक्नोलॉजी हमारे ड्रॉइंग रूम से लेकर बेडरूम तक में पहुंच चुकी है। सोकर उठने से लेकर एंटरटेन्मेंट तक के लिए हम टेक्नोलॉजी पर निर्भर हैं। जाहिर-सी बात है, यदि घर के बड़े टेक्नोलॉजी को अपनी जिदंगी में जगह देंगे, तो बच्चे भी इससे अलग कैसे रह पाएंगे. वैसे भी आजकल स्कूलों में शिक्षा देने के लिए नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल बढ़-चढ़ कर किया जा रहा है। जिसके अपने फ़ायदे और नुक़सान हैं।

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आजकल 2डी और 3डी एनिमेशन्स का इस्तेमाल कर बच्चों को लाजवाब आभासी दुनिया में ले जाया जाता है. जहां वे चीज़ों को न केवल समझ सकते हैं, बल्कि असल में वे कैसे दिखते होंगे, इसका भी अनुभव कर सकते हैं। वहीं दूसरी ओर टेक्नोलॉजी बच्चों को आलसी और सुस्त भी बना रही हैं। ऐसे में यह चर्चा उठना कि टेक्नोलॉजी को शिक्षा से जोडऩा चाहिए या नहीं लाजिमी है। इसलिए हम पेश कर रहे हैं, शिक्षा के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के फ़ायदे और नुक़सान, ताकि आप चुन सकें अपने बच्चे के लिए सही विकल्प।

फायदे

-टेक्नोलॉजी की नवीनता सीखने की प्रक्रिया को ज़्यादा मज़ेदार और दिलचस्प बनाती है।

-इसकी मदद से ब'चों को तुरंत सही जानकारी मिलती है, वे अपडेटेड रहते हैं।

-बच्चों को ऐंगेज रखने और सीखने के लिए उत्साहित बनाए रखने में मदद करती है।

-डिजिटल क्लास रूम्स और डिजिटज लर्निंग टूल्स बच्चों को जटिल चीज़ों को भी आसानी से समझाने में मदद करते हैं।

-हर तरह की जानकारी आसानी से ब'चों के लिए उपलब्ध है। वे अपनी ज़रूरत के मुताबिक़, जब, जहां चाहें वहां चीजों के बारे में जानकारी जुटा सकते हैं।

नुकसान

-डिस्ट्रैक्शन की तरह काम कर सकता है. हो सकता है पढ़ाई के बहाने बच्चे दूसरे कामों में उलझे रहें।

-बच्चों का सोशल संवाद कम करता है। बच्चे आमने-सामने के बजाय मोबाइल, टेबलेट्स पर बात करने में ज़्यादा सहज होते हैं।

-हर वक्त तकनीक की उपलब्धता बच्चों के नया सोचने या परखने की क्षमता को बाधित कर सकती है। शोध बताते हैं कि टेक्नोलॉजी का ज्यादा -इस्तेमाल बच्चों की सोचने-समझने की क्षमता को प्रभावित करती है।

-टेक्नोलॉजी का ज़्यादा इस्तेमाल बच्चों की सेहत पर भी बुरा असर डाल सकता है। आंखों की जलन से लेकर नजऱों का कमज़ोर होना और समय से -पहले आर्थराइटिस, स्पॉन्डलाइटिस की समस्या इनमें प्रमुख है।

-वास्तविकता यह है कि टेक्नोलॉजी नए अनुभवों को जन्म दे रही है। और यह आजकल की जरूरत भी बन गई है। इससे अपने बच्चों को दूर रखना -आसान नहीं है और उनके सर्वांगीण विकास के लिए ऐसा करना ठीक भी नहीं है। लेकिन पूरी तरह से टेक्नोलॉजी पर आश्रित होना भी सही नहीं हैं। -अत: हमें बच्चों के लिए सीमाएं तय करनी चाहिए और उन्हें आभासी के साथ-साथ असल जिन्दगी के अनुभव से भी शिक्षित करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।।

seema

seema

सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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