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Intermittent Fasting And Diabetes: इंटरमिटेंट फास्टिंग से दूर करें डायबिटीज की चिंता, जानें इसके नुकसान
Intermittent Fasting And Diabetes: अच्छे फिगर की चाहत हर किसी को होती है। सुंदरता की पहली जरुरत सही वजन को पाने के लिए हर व्यक्ति अपने तरीके से उपाय करता रहता है।
Intermittent Fasting And Diabetes: अच्छे फिगर की चाहत हर किसी को होती है। सुंदरता की पहली जरुरत सही वजन को पाने के लिए हर व्यक्ति अपने तरीके से उपाय करता रहता है। इन्ही में से एक उपाये है इंटरमिटेंट फास्टिंग (intermittent fasting)। जो इन दिनों काफी पॉपुलर हो रहा है। यहाँ तक की सुनहरे परदे पर दिखने वाले स्टार्स भी इसे फॉलो करने से पीछे नहीं हट रहे है। इतना ही नहीं आजकल लोग वजन कम करने के लिए योग, एक्सरसाइज, फैट डाइट्स को भी अपनाते है।
लेकिन इन सब चीजों के लिए पर्याप्त समय भी चाहिए। अगर आप कम समय में अपना वजन कम करना चाहते है तो आपके लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है। कई बार लोगों को इंटरमिटेंट फास्टिंग की सहीं जानकारी नहीं होती है। जिसके कारण वे गलत रस्ते पर भटक जाते हैं।
क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग ?
बता दें कि वजन कम करने या नियंत्रित करने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग एक ऐसा डाइट प्लान है जिसमे लंबे समय तक व्यक्ति भूखे रहकर अपने खाने (मील) को स्किप करता है। इतना ही नहीं किस समय खाना खाना है और किस समय नहीं ये सब पहले से ही फिक्स होता है। उदाहरण के लिए कुछ व्यक्ति 12 घंटे के अंदर अपनी मील्स लेते है तो कुछ 14 घंटे बाद ही कुछ खाते हैं। ऐसा प्रोसेस करने से वेट कम करने में ज्यादा आसानी होती है। कई हेल्थ एक्सपर्ट्स इस पद्धति को वजन कम करने का सबसे बढ़िया तरीका मानते हैं।
यूँ तो इंटरमिटेंट फास्टिंग के सेहत से जुड़े अनेक फायदे भी हैं। इस फास्टिंग के द्वारा व्यक्ति कई बिमारियों के चपेटे में भी खुद को आने से बचा सकता है। कई गुणों से भरपूर इस फास्टिंग के सेहत मंद फायदों के साथ कई नुकसान भी शामिल हैं। जिन्हें भी नज़रअंदाज़ करना खतरनाक साबित हो सकता है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदें
तेजी से वजन कम
इंटरमिटेंट फास्टिंग को सही तरीकों से फॉलो करने से व्यक्ति का वजन तेज़ी से कम हो जाता है। बता दें कि इसके कई लेवल होते हैं, जिसमें फास्टिंग में व्यक्ति खाना तो खाता है लेकिन दो मील के बीच में समय का काफी ज्यादा अंतर भी रखना होता है। जैसे रात को 7 बजे करीब खाना खाने के बाद अगले दिन सुबह करीब 10 बजे ही कुछ खाना, इंटरमिटेंट फास्टिंग के दरमियान ही आती है जिससे बॉडी की 13 घंटे की फास्टिंग हो जाती है। जिससे वजन को तेजी से कम करने में काफी सहायता मिलती है।
पाचन तंत्र में सुधार
किसी भी खाना को पचने में एक पर्याप्त समय लगता है। कई हम इस बात को भूल कर बीच -बीच में कुछ ना कुछ खाते रहते हैं। जिससे भोजन सही तरीके से ना पचकर और भोजन का वजन भी ले लेता है। ऐसे में इंटरमिटेंट फास्टिंग का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके कारण पेट को खाना पचाने का भरपूर समय मिलता है, जिससे फैट बढ़ने के चांस भी कम हो जाने के साथ आपकी पाचन क्रिया भी मज़बूत बनी रहती है।
डायबीटीज के खतरे को करता है कम
इंटरमिटेंट फास्टिंग का सबसे बेहतरीन रिजल्ट डायबिटीज के कण्ट्रोल के रूप में मिलता है। बता दें कि इस फास्टिंग से शरीर में इंसुलिन के लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिलने के साथ व्यक्ति का फैट भी जल्दी ही बर्न होता है। जिस कारण व्यक्ति में डायबीटीज होने का खतरा काफी कम हो जाता है।
स्किन को फायदा
इस फास्टिंग से पाचन तंत्र स्वस्थ होने के कारण व्यक्ति के शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में आसानी होती है। लिहाज़ा टॉक्सिन्स जब शरीर में नहीं होते तो स्किन को इससे सबसे ज्यादा फायदा होने के साथ त्वचा का ग्लो भी काफी बढ़ जाता है। गौरतलब है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान काफी मात्रा में लिक्विड भी लिया जाता है जो स्किन को स्वस्थ रखने में सहायक होता है।
स्वस्थ दिल
कई शोध के अनुसार इंटरमिटेंट फास्टिंग दिल को स्वस्थ बनाए रखने में भी काफी सहायक होता है। बता दें कि इस फास्टिंग को फॉलो करने से ब्लड शुगर लेवल, कोलेस्ट्रॉल, फैट आदि को कंट्रोल करने में मदद मिलने के साथ आपका दिल भी सुरक्षित रहता है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग के अगर फायदे है तो इससे जूड़े सेहत के कुछ नुकसान भी होते है , जिन्हें नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है।
ओवरईटिंग की समस्या
इंटरमिटेंट फास्टिंग में इतने घंटे भूखे रहना कोई आसान काम नहीं है।बता दें कि दो मील के बीच 12 या इससे ज्यादा घंटों के अंतराल के कारण शरीर खाने को पूरी तरह पचा लेता है, जिसके कारण बहुत तेज की भूख लगती है और कई बार व्यक्ति ऐसे में आवश्यकता से अधिक खा लेता है जिससे ओवरईटिंग हो जाती है और अंदर का सारा प्रोसेस गड़बड़ हो जाता है।
कमजोर होना
इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से कई बार आपको कमजोरी का भी अनुभव हो सकता है। शाम से लेकर सुबह तक भूखे रहने पर शरीर में एनर्जी जनरेट करने के लिए जरूरी तत्वों की कमी हो जाती है, जिसके कारण कमज़ोरी आना स्वाभाविक है।
खराब मूड
अच्छे मूड और खाने के बीच काफी गहरा संबंध होता है। कई बार व्यक्ति ज्यादा भूखे रहने पर चिड़चिड़े स्वाभाव का हो जाता है , फिर उसका मन ना किसी काम में लगता है और ना कहीं और। बता दें कि इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान लम्बे टाइम तक भूखा रहने के कारण व्यक्ति का स्वाभाव चिड़चिड़ा होने के साथ उसका मूड हमेशा ऑफ ही रहता है , जिससे उसके काम पर भी बुरा असर पड़ता हैं।
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