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जानिए क्या है स्ट्रेस में की जाने वाली 'इमोशनल ईटिंग', लड़कियां होती है ज्यादा शिकार
भूख होती नहीं, फिर भी खाते हैं । ठूंस ठूंस के खाते हैं। फिर उनका रोना शुरू होता है। दरअसल ये जो हरकत है इसे कहते हैं इमोशनल ईटिंग। तनाव में होने पर जब कुछ भी खाते हैं तो सुकून मिलता है।
Emotional Eating: हमारे आसपास कई ऐसे मित्र यार होते हैं, जो तनाव में होने पर खाते ही जाते हैं। दिन में कई बार खाते हैं। खाते ही रहते हैं। खाने को वो तनाव कम करने का जरिया बना लेते हैं। भूख होती नहीं, फिर भी खाते हैं । ठूंस ठूंस के खाते हैं। फिर उनका रोना शुरू होता है.. ज्यादा खा लिया है । मोटा हो रहा हूं/ मोटी हो रही हूं। दरअसल ये जो हरकत है इसे कहते हैं इमोशनल ईटिंग। तनाव में होने पर जब कुछ भी खाते हैं तो सुकून मिलता है। लेकिन खतरे की बात ये है कि इमोशनल ईटिंग में ज्यादातर लोग जंक फ़ूड ही खाते हैं ।
क्या है इमोशनल ईटिंग
खाना और भूख साधारण सी बात है। अक्सर ऐसा होता है कि जब अच्छा महसूस नहीं हो रहा होता तो हम कुछ भी खाते नहीं, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें इस दौरान खाने की तलब लगती है । इसे स्ट्रेस ईटिंग भी कहा जाता है।तनाव में कुछ लोग आते ही हाई कैलोरी वाले फ़ास्ट फ़ूड, फ्राइड फ़ूड, चॉकलेट, आइसक्रीम या मिठाई खाने लगते हैं । विशेषज्ञ कहते हैं ये आदत लड़की और लड़के दोनों में होती है । लेकिन इसकी शिकार लड़की ज्यादा होती हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि इमोशनल ईटिंग स्ट्रेस कम करने में सहायता करती है। लेकिन ये लंबे समय के लिए हमारे जिस्म को नुकसान पहुंचाते हैं। इमोशनल ईटिंग स्ट्रेस से निकलने का घातक तरीका है, क्योंकि इससे हम अपने जिस्म को जोखम में डाल रहे होते है।
कैसे पहचान सकते हैं लक्षण और ऐसे में क्या करें
आप ने लंच या डिनर लिया हुआ है। इसके बाद आप किसी वजह से तनाव में आ जाते हैं, और आपको लगता है कि कुछ खाया जाए, जबकि आप आमतौर पर नहीं खाते हैं। एक दो बार ऐसा होता है, तो चिंता की बात नहीं है। लेकिन अक्सर ऐसा होने लगे तो ये चिंता का विषय है । आप अपनी परेशानी के कारण को समझ अपने में बदलाव लाने की कोशिश कर सकते हैं।
इमोशनल ईटिंग बेहद नुकसान देने वाली है
इससे न सिर्फ वजन बढ़ेगा बल्कि ब्लड प्रेशर, डायबिटीज भी जिस्म को अपने कब्जे में लेने लगेगी । ज्यादा खर्च से जेब पर भी इसका असर पड़ेगा ।
इमोशनल ईटिंग तो समझ ली अब जानिए क्या है बिंज ईटिंग
बिंज ईटिंग बिमारी है। इसमें पीड़ित हर समय सिर्फ खाने की सोचता है, और जमकर खाता भी है। इसमें ज्यादा खाने से असहज होते हैं, लेकिन कंट्रोल नहीं कर पाते हैं। बिंज इटर अकेले खाना चाहते है, ताकि कोई उन्हें देख के टोके नहीं। इसका असर सेहत, काम और रिश्तों में पड़ने लगता है। पीड़ित को सिर्फ खाना नजर आता है ।
बिंज ईटिंग से कैसे बच सकते हैं
बिंज ईटिंग डिसऑर्डर होने पर मनोचिकित्सक से मिलना है। क्योंकि नार्मल डाक्टर इसमें कुछ नहीं कर सकता है। वो आपको साइकोथेरेपी देंगे। इसका मतलब ये नहीं की आप पागल हैं। वो आपके लाइफस्टाइल के बारे में अध्यन कर आपको इससे निजात दिलाने में सहयोग करेंगे। वो ये देखेगा कि आप एंग्जायटी डिसऑर्डर या डिप्रेशन तो पीड़ित नहीं है। यदि हैं! तो इसे ठीक करने में वो मदद करेगा. इसका इलाज दवाइयों और सलाह से होता है।
आपको क्या करना चाहिए
आपको या आपके किसी अपने को ये समस्या है, तो उसको डॉक्टर से संपर्क करने को कहिए। प्रोफेशनल मदद इसमें बहुत जरुरी है। क्योंकि इमोशनल ईटिंग हो या बिंज ईटिंग ये शारीरिक और मानसिक दोनों सेहत के लिए ठीक नहीं।
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