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हर इंसान को करानी चाहिए पूरी बॉडी की जांच, क्या जानते हैं इसके पीछे की वजह?
लखनऊ: डॉक्टरों का कहना है कि अगर आपको लंबी उम्र तक जीवन का आनंद लेना है तो होल बॉडी चेकअप जरुर करवाना चाहिए। इसका मतलब है कि शरीर का सामान्य परीक्षण, जिसे किसी डॉक्टर द्वारा जांच किया जाता है। इसके परीक्षण के अंतर्गत हमारे शरीर के सबसे बेसिक तंत्रों को कवर किया जाता है, जिनमें तंत्रिका तंत्र, पाचन तंत्र, फेफड़ा तंत्र आदि शामिल हैं।
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इसके अलावा शरीर में ऐसी बीमारियों का पता लगाने के लिए भी, जो शरीर में अनजाने में मौजूद हो सकती हैं। इसमें विभिन्न किस्म के जांचों की एक श्रृंखला शामिल होती है। बीमारियों का पता लगाने के साथ ही उनको पनपने से रोकने और असर कम करने के लिए जरूरी उपाय भी बताए जाते हैं।
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होल बॉडी चेकअप के तहत बायो-मेडिकल प्रोफाइल और हृदय स्थिति दोनों की ही जांच की जाती है। हृदय स्थिति के परीक्षणों में दिल और उससे जुड़े मामलों की जांच की जाती है। बायो मेडिकल प्रोफाइल के अंतर्गत महिलाओं में मैमोग्राफी जांच, दांतों, कान-नाक-गला (ईएनटी), आंखों की जांच, लिपिड प्रोफाइल और ब्लड शुगर आदि परीक्षण किए जाते हैं।
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यूं तो होल बॉडी चेकअप किसी खास आयु वर्ग या लिंग के लिए सीमित नहीं है, लेकिन 40 की उम्र के ऊपर के व्यक्तियों के लिए यह बहुत जरूरी होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस उम्र के लोगों में बीमारियों का खतरा सबसे ज्यादा होता है। संपूर्ण शारिरिक जांच के माध्यम से किसी व्यक्ति के शरीर का विस्तृत और संपूर्ण विश्लेषण किया जाता है। अगर आपको कोई बीमारी है तो उस स्थिति में इसकी जरूरत और बढ़ जाती है।
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जीवनशैली को प्रभावित करने वाले कई कारक हमारे ईद-गिर्द मौजूद हैं। ऐसे में संतुलित आहार लेने और नियमित व्यायाम करने के बाद भी आप बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। साल में एक बार पूरे शरीर की जांच करा लेने से लोग कम से कम इस खतरे से मुक्त रह सकते हैं।
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होल बॉडी चेकअप में किसी तरह का कोई जोखिम शामिल नहीं होता, सिवाए इसके कि कुछ मरीजों के लिए यह असहज हो सकता है। लेकिन मरीज की इजाजत के बिना और उसे बताए बिना कोई भी जांच नहीं की जाती। इसलिए इसमें घबराने की कोई जरूरत नहीं होती।
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यह सबसे पहली और सबसे जरूरी जांच होती है। इसके जरिए हीमोग्लोबिन का स्तर, पॉलिमोर्फ्स, लिंफोसाइट, मोनोसाइट, प्लेटलेट्स आदि के स्तर को मापा जाता है। इसी ब्लड टेस्ट के जरिए ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल आदि की जांच भी की जाती है। किसी भी तरह के असामान्य स्तर की स्थिति में दूसरे विशेष टेस्ट किए जाते हैं।
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पेशाब की जांच के जरिए ग्लूकोज और प्रोटीन की मात्रा का पता लगाया जाता है। दिल की हालत को जांचने के लिए ईसीजी किया जाता है। हृदय गति को माप कर उससे जुड़ी बीमारियों का पता लगाया जाता है।
आंखें सही तरीके से काम कर रही हैं या नहीं, इसे जांच के जरिए पता लगाया जाता है। कलर ब्लाइंडनेस, मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया की स्थिति का भी अंदाजा मिल जाता है।
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कानों के सुनने की क्षमताओं का पता चलता है। यह जांच बहुत सामान्य नहीं है, लेकिन कुछ स्थितियों में इसे करवा लेने की सलाह दी जा सकती है। प्रोटीन, एल्बुमिन, ग्लोबुलिन, बिलरुबिन, एसजीओटी, एसजीपीटी आदि इस टेस्ट के तहत आते हैं।