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Breast Cancer and exercise: स्तन कैंसर से बचने के लिए रोज़ाना करें व्यायाम
Breast Cancer and exercise: भारत में हर आठ में से एक महिला स्तन कैंसर का शिकार होती है। इसका सबसे बड़ा कारण उनका अपने शरीर के प्रति समस्याओं को नज़रअंदाज़ करना है। कई रिसर्च में इस बात की पुष्टि की गयी है कि हमारी जीवनशैली और हेरिडिटी का सीधा सम्बन्ध स्तन कैंसर है।
Breast Cancer And Excercise: स्तन कैंसर के मामलों में तेज़ी से आयी बढ़ोतरी काफी चिंताजनक है। बता दें कि भारत में भी इस बीमारी ने बहुत तेज़ी से पांव पसारा है। यह बीमारी महिला और पुरुषों दोनों में होती है। लेकिन, पुरुषों को स्तन कैंसर की परेशानी महिलाओं की तुलना में कम हैं। अकेले भारत में हर आठ में से एक महिला स्तन कैंसर का शिकार होती है। इसका सबसे बड़ा कारण उनका अपने शरीर के प्रति समस्याओं को नज़रअंदाज़ करना है। कई रिसर्च में इस बात की पुष्टि की गयी है कि हमारी जीवनशैली और हेरिडिटी का सीधा सम्बन्ध स्तन कैंसर है।
दरअसल, परेशानी यह है कि लोगों की सजगता बीमार हो जाने के बाद जितनी होती है उतना पहले बीमारी को लेकर नहीं होती है। बता दें कि स्तन कैंसर की शुरुआत आपके स्तन से होती है। जब शरीर में मौजूद कोशिकाएं ज़रूरत से ज्यादा बढ़ने लगती है। तो कैंसर की समस्या उत्पन्न हो जाती है। बता दें कि स्तन कैंसर की कोशिकाएं एक ट्यूमर बनाती हैं, जिसे आप गांठ के रूप में भी महसूस कर सकते हैं। इसे एक्स-रे के थ्रू देखा जा सकता है। सीधे शब्दों में स्तन में किसी भी तरह की गांठ या सूजन कैंसर बन सकता है। ऐसे में सबसे पहले आपको डॉक्टर से परामर्श लेनी चाहिए।
शरीर में इसके शुरूआती लक्षणों में कुछ प्रमुख हैं :
- स्तन में गांठ,
- निप्पल के आकार या स्किन में बदलाव,
- स्तन का सख़्त होना,
- निप्पल से रक्त या तरल पदार्थ का आना,
- स्तन में दर्द,
- स्तन या निप्पल पर त्वचा का छीलना,
- अंडर आर्म्स में गांठ होना इत्यादि स्तन कैंसर के कुछ शुरूआती संकेत हैं।
स्तन कैंसर को दो प्रकार से बांटा गया है।
पहला : इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा – इसमें स्तन के ऊतक के अन्य भागों में कैंसर कोशिकाएं मिल्क डक्टस् में बाहर विकसित होती हैं। बता दें कि इन्वेसिव कैंसर कोशिकाएं शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकती हैं।
दूसरा : इन्वेसिव लोब्युलर कार्सिनोमा – कैंसर कोशिकाएं लोब्यूल्स से स्तन के ऊतकों तक फैलती हैं जो कि करीब होते हैं। बता दें कि ये इन्वेसिव कैंसर कोशिकाएं शरीर के अन्य भागों में भी फैलकर खतरा बन सकती है।
कई शोध में यह बात सामने आयी है कि एक स्वस्थ जीवनशैली को अपना कर स्तन कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। जिसके लिए कुछ बातों का ख्याल रखना आवश्यक है :
- नियमित तौर पर शारीरिक व्यायाम करने से भी कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। याद रखें मोटापा और अत्यधिक वजन भी शरीर में कैंसर कोशिकाओं को बढ़ा देती है। इसलिए विशेषज्ञ हमेशा लोगों को वज़न को कंट्रोल में रखने की सलाह देते हैं।
- बता दें कि यह ब्रेस्ट कैंसर का एक कारण भी हो सकता है। इतना ही नहीं अगर रजोनिवृत्ति (मासिक धर्म) बंद होने के बाद भी आपका वजन अधिक होता है, तो इसकी वजह से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। गौरतलब है कि फैट कोशिकाएं ही कैंसर संबंधी ट्यूमर या गांठ बढ़ाने के लिए विशेष रूप से ज़िम्मेदार होती हैं। इसलिए शारीरिक तौर पर एक्टिव रहकर आप स्तन कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।
- धूम्रपान और शराब का सेवन भी स्तन कैंसर को बढ़ावा देता है। विशेष रूप से प्रीमेनोपॉज़ल महिलाओं को धूम्रपान और शराब का सेवन स्तन कैंसर की समस्या से रूबरू करवा सकता है।
- 35 साल की उम्र के बाद गर्भनिरोधक गोलियां खाना भी इस समस्या को बढ़ा सकता है।
- किसी भी महिला के लिए शिशुओं को स्तनपान कराना भी इस बीमारी से बचाव कर सकता है। बता दें कि जिन महिलाओं ने अपने बच्चे को स्तनपान करवाया है उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा उन महिलाओं की तुलना से पांच प्रतिशत कम होता है जिन्होंने अपने बच्चे को स्तनपान नहीं करवाया है।
- पौष्टिक आहार का सेवन से भी ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम की जा सकती है। इसके लिए अपने आहार में फल, जूस और हरी सब्जियों की मात्रा बढाकर कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम करना चाहिए।
गौरतलब है कि जिन महिलाओं के परिवार में स्तन कैंसर का इतिहास हो , उन्हें बेहद सजग रहने की ज़रूरत है। यदि किसी के परिवार में स्तन कैंसर या डिम्बग्रंथि कैंसर (ovarian cancer) हो चुका है, तो ऐसे लोगों को स्तन कैंसर का खतरा सर्वाधिक होता है। ऐसे लोगों को डॉक्टर से परामर्श जरूर लेनी चाहिए।
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