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रिसर्च: LIKES के लिए फेसबुक पर आप भी करते हैं ये सब तो क्या आती है आपको पॉजीटिव फीलिंग

suman
Published on: 4 May 2017 11:12 AM IST
रिसर्च: LIKES के लिए फेसबुक पर आप भी करते हैं ये सब तो क्या आती है आपको पॉजीटिव फीलिंग
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लंदन: सोशल मीडिया में फेसबुक पर ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़े होते हैं। इस पर फोटो डालना पोस्ट अपडेट करना लोगों को अच्छा लगता है और उससे मिलने वाली लाइक लोगों को प्रोत्साहित करती है। कोई भी वायरल होने के लिए विवादास्पद मुद्दे पर लिखता है तो खूब लाइक्स मिलता है। लेकिन फेसबुक पोस्ट पर लाइक्स मिलने से लोग ना तो अपने बारे में बेहतर महसूस करते हैं ना ही उनके मूड में सुधार आता है। इसका एक नए रिसर्च में इसका पता चला है।

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कहां हुई रिसर्च

ब्रिटेन में ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसायटी के वार्षिक सम्मेलन में ये रिसर्च प्रजेंट किया गया। यह रिसर्च ट्विटर और फेसबुक द्वारा चुने गए 340 लोगों की पर्सनालिटी प्रश्नावली पर हुआ है। जब उनसे पूछा गया कि वे सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा सराहना किए जाने के तरीकों से जुड़े 25 बयानों से कितना सहमत या असहमत हैं। उदाहरण के लिए ‘सोशल मीडिया पर लोगों का ध्यान खींचने से कुछ को अच्छा महसूस होता है’ या ‘ किसी को मिले लाइक्स के आधार पर उसे लोकप्रिय मानती/मानता हूं।

ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ वेल्स के मार्टिन ग्राफ ने कहा कि सोशल मीडिया इस्तेमाल करने के बढ़ते दायरे ने हमारे मेंटल लेबल को प्रभावित किया है। उसके प्रभाव के बारे में सामान्य चिंताओं को जन्म दिया है। ग्राफ ने कहा कि हालांकि यह छोटे पैमाने पर किया गया रिसर्च है, लेकिन इसके परिणाम दिखाते हैं कि सोशल मीडिया पर बातचीत करने के तरीके इस पर प्रभाव डाल सकते हैं कि लोग कैसा महसूस करते हैं और यह हमेशा सकारात्मक नहीं होता।

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इस पर विश्लेषण करने से पता चला है कि शोध में भाग लेने वाले जिन लोगों ने कहा कि उन्होंने ज्यादा लाइक्स पाने के लिए अलग तरीकों को अपनाया, जैसे कि दूसरों से लाइक्स करने के लिए कहकर या पैसे देकर लाइक्स पाने, उनमें आत्मसम्मान की कमी या विश्वास कम होने की आशंका अधिक थीं। यही बात उन लोगों के साथ भी सच साबित हुई जिन्होंने पोस्ट डिलीट करने या किसी तस्वीर को मिले लाइक्स के आधार पर उसे प्रोफाइल पिक्चर बनाने की बात स्वीकारी। रिसर्च के परिणाम से यह भी पता चला कि लाइक्स मिलने से असल में लोगों को अपने बारे में अच्छा महसूस नहीं होता या जब वे निराश होते हैं तो बेहतर महसूस नहीं करते।



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