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Famous Indian Freedom Fighter: बेहद रोचक है इस महान स्वतंत्रता सेनानी, पायलट, उद्योगपति, राजनीतिज्ञ और समाजसेवक बीजू पटनायक की प्रेम कहानी

Famous Freedom Fighters Biju Patnaik: क्या आप जानते हैं कि महान स्वतंत्रता सेनानी, पायलट, उद्योगपति, राजनीतिज्ञ और समाजसेवक के रूप में मशहूर एक ऐसे लोकप्रिय राजनेता बीजू पटनायक की प्रेम कहानी क्या है।

Jyotsna Singh
Published on: 31 Jan 2025 6:18 PM IST
Famous Indian Freedom Fighter Biju Patnaik Biography
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Famous Indian Freedom Fighter Biju Patnaik Biography (Image Credit-Social Media)

Famous Freedom Fighter Biju Patnaik Biography: महान स्वतंत्रता सेनानी, पायलट, उद्योगपति, राजनीतिज्ञ और समाजसेवक के रूप में मशहूर एक ऐसे लोकप्रिय राजनेता जिन्हें समाज सुधारक और ओडिशा के शिल्पकार के तौर पर जाना जाता है, हम यहां बात कर रहें हैं एक कर्मठ और जाबांज नेता विजयानंद पटनायक की, जिन्हें बीजू पटनायक के नाम से जाना जाता था। इनकी लोकप्रियता के चर्चे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी गढ़े जाते हैं। बीजू पटनायक के व्यक्तिव में कुछ ऐसा आकर्षण था कि लोग उनकी ओर खिंचे चले आते थे। लोगों का विश्वास जीतने और उन्हें प्रेरित करने की उनकी क्षमता असाधारण थी।

5 मार्च, 1916 को उड़ीसा (अब ओडिशा) के गंजाम जिले में इनका जन्म हुआ। इन्होंने देश की आजादी की लहर के साथ जुड़ कर राजनीति में एक क्रांति लाने के साथ-साथ अंग्रेज़ों के भी छक्के छुड़ा दिए थे। बीजू पटनायक ओडिशा के दो बार मुख्यमंत्री बने और अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए। लेकिन वह एक स्वतंत्रता सेनानी और जांबाज़ पायलट भी थे। ये ब्रिटिश कंपनी के विमान उड़ाते थे। इनकी प्रेम कहानी ऐसी जिसकी आज भी लोग मिसालें देते नहीं अघाते हैं। बीजू खुद ओडिसा के थे और लाहौर में जब एक सिख लड़की को टेनिस खेलते देखा तो उससे प्यार हो गया। आइए जानते हैं बीजू पटनायक के एक पायलट से लेकर एक सफल प्रेमी और नेता बनने तक के सफर से जुड़े किस्सों के बारे में -

बीजू पटनायक को कहा जाता है मौजूदा ओडिशा का निर्माता

Life History of Famous Politician Biju Patnaik (Image Credit-Social Media)

बीजू पटनायक को मौजूदा ओडिशा का निर्माता कहा जाता है। वह राजनीतिज्ञ थे, पायलट थे और बिजनेसमैन भी। वह दो बार ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे। केंद्रीय मंत्री रहे। पहले उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ली। नेहरु और इंदिरा के करीबी रहे। फिर इंदिरा जी से नाराज भी हुए। ओडिशा में अपनी सियासी पार्टी कलिंगा कांग्रेस बनाई। फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जनता पार्टी के शासन के दौरान मोरारजी देसाई की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे। जब वीपी सिंह 1989 में देश के प्रधानमंत्री बने तो इसमें भी उनकी भूमिका खास थी।

उन्होंने 1961 से 1963 तक और 1990 से 1995 तक ओडिशा राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वे 1979 से 1980 और 1977 से 1979 तक भारत के 14वें इस्पात और खान तथा पहले कोयला केंद्रीय मंत्री भी रहे और 1977 से 1985 तक केंद्रपाड़ा से लोकसभा के सदस्य रहे।

ओडिशा की जनता आज भी उन्हें बीजू बाबू के नाम से जानती है। उनका कद इस राज्य की राजनीति और प्रभाव में इतना बड़ा रहा कि उसके आसपास भी कोई नजर नहीं आता।

पायलट बनना था इनका एक सपना

Life History of Famous Politician Biju Patnaik (Image Credit-Social Media)

बीजू पटनायक को बचपन से ही एविएशन इंडस्ट्री में इतनी दिलचस्पी थी कि उन्होंने पायलट बनने के अपने सपने के लिए पढ़ाई तक छोड़ दी। ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने प्राइवेट एयरलाइंस के साथ उड़ान भरनी शुरू की, लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने रॉयल इंडियन एयरफोर्स जॉइन कर ली। इसी दौरान उन्होंने कलिंग एयरलाइन की भी शुरुआत की।

महात्मा गांधी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में हुए शामिल

Life History of Famous Politician Biju Patnaik (Image Credit-Social Media)

बीजू बाबू चार दशक से अधिक समय तक ओडिशा के राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय रहे। सत्ता में हों या विपक्ष में, वह देश के सबसे प्रभावशाली राजनेताओं में से एक थे। जीवन के आरंभ में औपनिवेशिक शासन के खिलाफ महात्मा गांधी के स्वतंत्रता संग्राम से प्रभावित बीजू बाबू स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। अक्सर प्रमुख क्रांतिकारियों को अपने घर में शरण देने वाले बीजू बाबू बचपन से ही साहसिक राजनीतिक गतिविधियों का हिस्सा रहे। छात्र जीवन में बीजू साइकिल से कटक से पेशावर की यात्रा पर निकल पड़े। उन्होंने ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन के दौरान कई अंडरग्राउंड नेताओं का सहयोग किया। कई महीनों तक जेल में रहे।

इंडोनेशिया के स्वतंत्रता संग्राम में बीजू पटनायक ने निभाई थी अहम भूमिका

बीजू पटनायक बेहद साहसी और निर्भीक व्यक्तित्व के धनी थे। अपने इन्हीं दबंग और साहसिक कार्यों की वजह से बीजू का अनगिनत बार मुसीबतों से पाला पड़ा। वहीं इन्हीं खूबियों के कारण उन्हें कई बार सम्मानित भी किया गया। इंडोनेशिया के स्वतंत्रता संग्राम में बीजू पटनायक ने अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने इंडोनेशिया के नेताओं को डच के अधिकारियों के षड्यंत्र से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

  • आज़ाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू उपनिवेशवाद के ख़लिफ़ थे और उन्होंने बीजू पटनायक को इंडोनेशिया को डचों से मुक्त कराने में मदद करने की ज़िम्मेदारी दी थी।
  • नेहरू ने इंडोनेशियाई लड़ाकों को डचों से बचाने के लिए कहा था। नेहरू के कहने पर बीजू पटनायक पायलट के तौर पर 1948 में ओल्ड डकोटा एयरक्राफ्ट लेकर सिंगापुर से होते हुए जकार्ता पहुंचे थे।

यहां वो इंडोनेशियाई स्वतंत्रता सेनानियों को बचाने पहुंचे थे। डच सेना ने पटनायक के इंडोनेशियाई हवाई क्षेत्र में प्रवेश करते ही उन्हें मार गिराने कोशिश की थी। पटनायक को जकार्ता के पास आनन-फानन में उतरना पड़ा था। वहां उन्होंने जापानी सेना के बचे ईंधन का इस्तेमाल किया था।इसके बाद उन्होंने कई विद्रोही इलाकों में दस्तक दी और वो अपने साथ प्रमुख विद्रोही सुल्तान शहरयार और सुकर्णो को लेकर दिल्ली आ गए थे और नेहरू के साथ गोपनीय बैठक कराई थी। इसके बाद डॉ. सुकर्णो आज़ाद देश इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति बने। इस बहादुरी के काम के लिए पटनायक को मानद रूप से इंडोनेशिया की नागरिकता दी गई। उन्हें इंडोनेशिया के सर्वोच्च सम्मान ’भूमि पुत्र’ से नवाज़ा गया था।

चीनी क्रांतिकारियों की करी थी मदद

Life History of Famous Politician Biju Patnaik (Image Credit-Social Media)

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बीजू बाबू ने चियांग काइशेक के चीन में चीनी क्रांतिकारियों की मदद के लिए पूरे हिमालय में जोखिम भरे अभियानों का नेतृत्व किया था। ब्रिटिश सरकार ने विशेष रूप से रंगून से ब्रिटिश परिवारों को निकालने के बीजू बाबू के प्रयासों की सराहना की जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानियों ने बर्मा पर आक्रमण किया था। अंग्रेजों की सेवा करते हुए भी बीजू बाबू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रति निष्ठावान रहे। रॉयल इंडिया एयर फ़ोर्स के एयर ट्रांसपोर्ट कमांड का नेतृत्व करते हुए, उन्होंने अपने घर में जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया और अरुणा आसफ़ अली जैसे लोगों को शरण दी।

कश्मीर से इस तरह घुसपैठियों को खदेड़ने में की थी सेना की मदद

साल 1947 में जब पाकिस्तानी हमलावरों ने कश्मीर पर हमला किया, तो बीजू पटनायक ने कश्मीर को बचाने में अहम भूमिका निभाई थी। बीजू पायलट जो डकोटा डी सी-3 विमान उड़ाते थे। उन्होंने 27 अक्टूबर को अपने विमान से श्रीनगर की हवाई पट्टी के लिए उड़ान भरी और साथ में 1-सिख रेजिमेंट के 17 जवानों को भी ले गए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कहीं हवाई पट्टी पर दुश्मन का कब्ज़ा तो नहीं है, उन्होंने अपने विमान को हवाई पट्टी के बेहद नज़दीक उड़ाया और जब देखा कि रास्ता एकदम साफ है तो उन्होंने अपने विमान को वहीं उतार दिया और इस तरह से वहां पहुंचे भारतीय सैनिकों ने घुसपैठियों को खदेड़ दिया था।

रूस ने क्यों दी थी नागरिकता

Life History of Famous Politician Biju Patnaik (Image Credit-Social Media)

बीजू पटनायक जब पायलट थे तो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सोवियत संघ संकट में घिर गया था, तब उन्होंने लड़ाकू विमान डकोटा उड़ा कर हिटलर की सेनाओं पर काफी बमबारी की थी। जिससे हिटलर पीछे हटने को मजबूर हो गया था। उनकी इस बहादुरी पर उन्हें सोवियत संघ का सर्वोच्च पुरस्कार भी दिया गया था। उन्हें सोवियत संघ ने अपनी नागरिकता प्रदान की थी। रूसियों ने उनकी सेवा के लिए सम्मानित भी किया था।

अंग्रेज ने दिया सम्मान, जेल भी भेजा

Life History of Famous Politician Biju Patnaik (Image Credit-Social Media)

बीजू पटनायक को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानियों द्वारा कैद किए गए कुछ ब्रिटिश परिवारों को रिहा करने के उनके कार्य के लिए ब्रिटिश शासकों द्वारा सम्मानित किया गया था। हालाँकि, उन्हें स्वतंत्रता सेनानियों को अपने विमान में गुप्त स्थानों पर ले जाने के लिए 1943 में अंग्रेजों द्वारा दो साल के लिए जेल भेज दिया गया था।

पांच द्वीप देने के बदले में चीन तक मार करने वाली मिसाइल चाहते थे बीजू

वर्तमान समय में भारत के पास एक से बढ़कर मिसाइलें हैं लेकिन एक समय ऐसा भी था जब ताकतवर मिसाइलों को भारतीय सैन्य रक्षा में शामिल करने सपना सालों पहले बीजू पटनायक के अलावा स्व. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी ने मिलकर देखा था। पूर्व राष्ट्रपति एवं मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद ने भी इसका ज़िक्र किया था। जब डॉ. कलाम डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट लेबॉरेटरी में कार्यरत थे, तो उस वक्त उन्हें मिसाइलों के परीक्षण के लिए उड़ीसा के तट पर एक द्वीप चाहिए था। इस पर कलाम बीजू पटनायक से मिले और बात की। तब पटनायक ने उनसे कहा था कि वह उन्हें पांच द्वीप देने को तैयार हैं, लेकिन बदले में वह उनसे ऐसी मिसाइल बनाने का वादा करें जो चीन तक मार करे।

पटनायक ने तिब्बत और भारत को हवाई संपर्क से जोड़ने की कोशिश की थी। ऐसा उन्होंने तिब्बत के 1951 में चीन के क़ब्ज़े से पहले ही किया था, लेकिन सरकार से पूरी मदद नहीं मिलने के कारण वो नाकाम रहे थे।

21वीं सदी के ओडिशा को लेकर था इनका एक सपना

करीब 32 साल पहले 27 जनवरी, 1992 को भुवनेश्वर में ’मेरे सपने का उड़ीसा (अब ओडिशा)’ का आह्वान कर उन्होंने कहा था, 21वीं सदी के ओडिशा का मेरा सपना ऐसा है जिसमें राज्य के हित को प्राथमिकता देने वाले युवा पुरुष और महिलाएं शामिल होंगी। उन्हें खुद पर गर्व और आत्मविश्वास होगा। वे किसी की दया पर निर्भर नहीं होंगे। अपने दिमाग, बुद्धि और क्षमता से युवा कलिंग के इतिहास को फिर से हासिल करेंगे। पटनायक के अनुसार, ’मैं चाहता हूं कि 21वीं सदी के मेरे उड़ीसा में उत्कृष्ट कारीगर, शानदार शिल्पकार और मूर्तिकार, महानतम संगीतकार और कवि भी हों।’

एक मिसाल बन चुका है बीजू पटनायक का प्रेम विवाह

बीजू पटनायक का प्रेम विवाह का किस्सा ऐसा की आज भी लोग याद करते हैं। ये वो दौर था जब भारत में ब्रिटिश राज था। देश में अंग्रेजों की हुकूमत चलती थी। समय अलग तरह का था। ऐसे में किसी संभ्रांत भारतीय परिवेश में प्यार करना और प्रेम विवाह करना बहुत ही गलत माना जाता था। लेकिन उस दौर में बीजू की बोल्ड प्रेम स्टोरी जान कर हर कोई हैरान रह जाए। भारतीय नेताओं के जीवन में बेशक रोमांस और प्यार के लिए काफी किस्से रहें हैं लेकिन किसी के जीवन में बीजू जैसा ना तो ऐसा प्यार दिखा और ना ही ऐसा रोमांस। ओडिशा में उनके जमींदार पिता गंजम जिले के बेलागुंटा गांव में रहते थे। पेशे से पायलट बीजू तब वह जहाज लेकर पूरे देश में चक्कर लगाते थे। कभी मुंबई तो कभी लाहौर तो कभी दिल्ली तो कभी किसी और छोर पर। उडान के दौरान ही उन्होंने अपनी पत्नी को पहली बार देखा था। ये पहली नजर में प्यार हुआ या दोनों धीरे धीरे करीब आए लेकिन दोनों की लव स्टोरी उस जमाने के लिहाज से बहुत साहसिक और बेधड़क थी।

तब लाहौर में टेनिस खेलती थीं बीजू की प्रेमिका

Life History of Famous Politician Biju Patnaik (Image Credit-Social Media)

युवा बीजू लंबे चौड़े और इतने स्मार्ट थे कि किसी का भी दिल उन पर आ जाए। दरअसल वह लाहौर फ्लाइट लेकर गए थे। वहां जब रुके तो उन्होंने पहली बार ज्ञानवती सेठी को देखा तो बस देखते रह गए। असल में युवा ज्ञान तब लाहौर में टेनिस खेलती थीं। उस जमाने में किसी लड़की का टेनिस खेलना एक अलग बड़ी बात मानी जाती थी। सिख बिजनेस फैमिली की बेटी ज्ञान स्मार्ट, सुंदर और गजब की बोल्ड और हसीन युवती थीं। बीजू अगर लंबे तगड़े और सुदर्शन व्यक्तित्व वाले थे तो ज्ञान भी कद में लंबी, गोरी और सुंदर थीं। बोल्डनेस उन्हें विरासत में मिली थी। वह अक्सर ऐसे बोल्ड काम करती थीं कि लोग हैरान रह जाते थे। उनका परिवार खुले विचारों का था और बड़ा बिजनेस था। ज्ञान को बीजू ने पहली बार अपने किसी दोस्त के साथ लाहौर क्लब में देखा। मुलाकात हुई लेकिन औपचारिक।

बीजू से प्रभावित होकर जहाज उड़ाना सीखने लगीं थी ज्ञान

एक दूसरे से प्रभावित होने के कारण करीब तीस के दशक में दोनों की अक्सर मुलाकातें होने लगीं। बीजू से प्रभावित होकर ज्ञान की दिलचस्पी फ्लाइट में हुई और वह दिल्ली फ्लाइंग क्लब की मेंबर बनकर वहां जहाज उड़ाना सीखने लगीं। बीजू तो इस क्लब के पुराने मेंबर थे ही। इस तरह से दोनों की मुलाकातें और बढ़ गईं। अब बीजू और ज्ञान एक दूसरे को पूरी तरह से पसंद करने लगे थे। दोनों ही प्यार में आगे बढ़ कर अब हमेशा के लिए इस रिश्ते में बंध जाना चाहते थे। अब बीजू का लड़की के घर में जाना होने लगा। यानी ज्ञान के परिवार में बीजू का आना जाना होने लगा।

Life History of Famous Politician Biju Patnaik (Image Credit-Social Media)

बीजू हमेशा दावा करते थे कि उनकी जिंदगी खुली किताब की तरह है

बीजू पटनायक ने अपनी जिंदगी के दौरान अपने कुछ करीबियों को एक मुलाकात में एक किस्सा सुनाया था। वह हमेशा दावा करते थे कि उनकी जिंदगी खुली किताब की तरह है। हालांकि उनकी एडवेंचर लाइफ के बारे में काफी लिखा जा चुका था लेकिन तब तक उनकी लव लाइफ के बारे में ज्यादा कुछ सामने नहीं आया था। मुलाकात के दौरान दोस्तों को उन्होंने इससे जुड़ा किस्सा सुनाया। वह उन दिनों देल्ही फ्लाइंग क्लब के सदस्य थे। ज्ञान भी उसी क्लब में मेंबर थीं। दोनों साथ टेनिस खेलते थे। साथ में विमान उड़ाया करते थे। एक दूसरे के प्यार में बुरी तरह डूबे हुए थे। एक बार दिल्ली फ्लाइंग क्लब में ही ज्ञान ने उन्हें प्रोपोज किया कि फुल मून आने वाला है और उस दिन रात में चुपचाप आगरा चलते हैं और वहां पर चांदनी रात में ताजमहल की खूबसूरती को साथ बैठकर निहारेंगे। ज्ञान के इस प्रस्ताव पर बीजू तैयार थे। लेकिन ज्ञान नहीं चाहती थीं कि उनके घरवालों को इस बारे में जरा सा भी कुछ पता चले। खैर उन्होंने इस ट्रिप की तैयारी शुरू कर दी। प्लान ये बना कि शाम को बीजू घर पर आ जाएंगे वहीं परिवार के साथ डिनर लेंगे और फिर रात में गेस्ट रूम में ही ठहर जाएंगे। जब घर वाले सो जाएंगे तो दोनों चुपचाप कार लेकर आगरा चले जाएंगे। फिर वहां से रात में चलकर सुबह घरवालों से उठने से पहले ही लौट आएंगे। वो इस प्लान के जरिए खुद को और घरवालों को सरप्राइज देना चाहते थे। हालांकि ये सब इतना आसान था नहीं था। रात में गैराज से कार निकाली। योजना के अनुसार बीजू उस शाम ज्ञान के दिल्ली स्थित घर पर पहुंचे। सबसे मिले। साथ ने फैमिली डिनर किया। अब तक ज्ञान के घर के लिए बीजू अपरिचित नहीं रह गए थे। उन्हें घर के लोग ज्ञान के अच्छे दोस्त के तौर पर देखने लगे थे। हालांकि घर में कुछ लोगों को इस दोस्ती से कहीं कुछ इतराज भी था। प्लान के अनुसार जब घर के सभी लोग सो जाएंगे तब गैराज खोलकर कार से आगरा निकला जाएगा। गैराज से कार बाहर निकालना भी एक समस्या ही। क्योंकि कार को बाहर निकालकर कुछ दूर आगे स्टार्ट करना था ताकि घर का कोई उसकी आवाज से जाग न जाए। इसलिए कार को बिना स्टार्ट किए ज्ञान कार की ड्राइविंग सीट पर बैठीं और बीजू ने कार को पीछे से धक्का लगाना शुरू किया। कार करीब करीब गैराज से बाहर निकल ही चुकी थी कि बीजू को अपने कंधे पर कुछ महसूस हुआ। उन्होंने पलटकर देखा तो ज्ञान के पिता बीजू का कंधा पकड़े हुए थे। बीजू उन्हें अचानक पास खड़ा देखकर कर असहज हो गए। ज्ञान के पिता काफी गुस्से में लग रहे थे। बीजू सोचने लगे कि अब क्या करें, क्या सफाई दें। इतने में ज्ञान के पिता ने नाराजगी में कहा, यंग मैन मैं तुमसे इस बात की उम्मीद नहीं कर रहा था कि तुम ये हरकत करोगे। कम से कम तुम बहादुर हो तुमको अगर ज्ञान के साथ कहीं जाना ही था तो बता देते। अब ज्ञान और बीजू दोनों उनसे माफी मांगने लगे। उन्होंने बताया कि दरअसल उनका प्लान क्या था। पिता उन दोनों की बाते सुनकर मुस्कुराए और उन्होंने उन्हें आगरा जाने की इजाजत दे दी। साथ ही ये भी कहा, सुरक्षित ड्राइव करके आगरा जाओ और परिवार के सदस्यों के ब्रेकफास्ट से पहले ही घर वापस आ जाओ। बीजू और ज्ञान की शादी में इस तरह अड़चन तो आई लेकिन दोनों ने ही अपने परिवार में सबको मनाया और रास्ता आसान किया।

कार, बस या ट्रेन से नहीं बल्कि टाइगर मोठ विमानों से लाहौर पहुंची थी बारात

इन दोनों की शादी 1939 में हुई। बीजू खुद दूल्हा थे लेकिन वो बारातियों को बिठाकर खुद विमान उड़ाते हुए लाहौर पहुंचे थे। साथ ही उनके कुछ दोस्त लोग भी मोठ विमान के जरिए वहां गए। उन दिनों टाइगर मोठ विमानों का जलवा होता था। ये शादी भी आज की शादियों की तरह नहीं थी। शादी लाहौर में हुई जहां ज्ञान का पूरा परिवार रहता था। जहां से परिवार का बिजनेस चलाया जाता था।

आकाश में अनगिनत हवाई जहाजों को देखकर घबराए थे लोग

उस वक्त तक हवाई जहाज भारत में कम प्रचलन में थे। लेकिन बीजू की शादी में इनकी मौजूदगी ने इन्हें आम बना दिया था। असल में इनकी शादी के दिन लाहौर में जब लोगों ने एक के बाद एक कई विमानों को आकाश में मंडराते और एयरपोर्ट पर उतरते देखा तो उन्हें लगा कि कहीं कुछ तो जरूर हो गया है। लेकिन जब लोगों को हकीकत का पता लगा तो पूरे शहर में हल्ला हो गया कि शहर में एक ऐसी शादी हो रही है, जिसमें दूल्हा और बाराती कई विमानों से आए हैं। दूल्हा खुद विमान उड़ाते हुए पहुंचा है। शादी बहुत ही शानोशौकत और ठाट-बाट से हुई। जिसमें बीजू के घरवाले ओडिशा से शामिल होने आए थे साथ में उनके कुछ दोस्त भी थे। शहर का हर सभ्रांत शख्स इस शादी में पहुंचा था। ये शादी लाहौर में लंबे समय तक चर्चा में रही। ऐसी शादी शायद उसके बाद वहां हुई भी नहीं जहां बारात और दूल्हा इस तरह पहुंचे हों। शादी के बाद जब लौटने की बात आई तो बीजू और ज्ञान के लिए ट्रेन का एक कूपा रिजर्व था। लेकिन जब ट्रेन रवाना हुई तो एक बार फिर टाइगर मोठ विमान इस ट्रेन के ऊपर पूरे रास्ते उड़ते हुए अपने ठिकाने पर पहुंच कर जमीन पर उतरे।

सियासी हलचलों से दूर रखने के लिए पत्नी के लिए नई दिल्ली में बनाया आवास

बीजू की पत्नी ज्यादा उड़ीसा से कहीं ज्यादा दिल्ली में रहती थीं। जिसके पीछे मूल वजह थी कि जब बीजू ओडिसा में मुख्यमंत्री बने तो चाहते थे कि उनकी पत्नी ज्ञान सियासी हलचलों से दूर आराम से रहें। इसलिए वह उन्हें नई दिल्ली के एपीजे कलाम रोड (तब औरंगजेब रोड) स्थित आवास पर ही रखते थे। उन्हें भी दिल्ली में ही रहना ज्यादा अच्छा लगता था। बाद में भी ऐसा ही होता रहा। दरअसल ओडिशा के गर्म और उमस भरे मौसम में ज्ञान के लिए रहना भी मुश्किल हो रहा था।

इस दंपत्ति के तीन बच्चे हुए

इस दंपत्ति के तीन बच्चे हुए। नवीन, गीता और प्रेम। बड़े बेटे नवीन ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे और बीजू जनता दल के प्रमुख। 75 से ज्यादा वर्षीय नवीन अविवाहित ही रहे। सबसे बड़ी संतान गीता ने सोनी मेहता से प्रेम विवाह किया। वह अब ब्रिटेन में बस गईं हैं। गीता एक जानी मानी लेखिका और डाक्युमेंट्री फिल्म मेकर हैं। इनकी तीसरी संतान प्रेम पटनायक दिल्ली में बड़े बिजनेस हैं।

मुंह मांगी मृत्यु चाहते थे बीजू

बीजू ने अपनी मौत को लेकर एक बार कहा था, ’किसी लंबी बीमारी के बजाय मैं एयर क्रैश में मरना चाहूंगा। नहीं तो फिर ऐसा हो कि मैं तुरंत ही मर जाऊं...मैं गिरूं और मर जाऊं।’ हालांकि, उन्होंने भुवनेश्वर के नवीन निवास में नहीं, बल्कि तत्कालीन केंद्रीय मंत्री दिलीप रे के दिल्ली स्थित आवास पर 17 अप्रेल, 1997 को अंतिम सांस ली। बीजू पटनायक भारत के एकमात्र ऐसे व्यक्ति रहे, जिनके निधन पर उनके पार्थिव शरीर को 3 देशों भारत, रूस और इंडोनेशिया के राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा गया था। हकीकत यही है कि भारतीय राजनीति में वह एक निर्भीक व्यक्तित्व की तरह रहे और उसी तरह ताउम्र जीते रहे। बीजू ओडिशा के ऐसे दिग्गज राजनेता रहें हैं, जिनकी लोकप्रियता के आसपास कोई नहीं टिकता। वह एक किंवदंती बन चुके हैं कि निधन के वर्षों बाद भी ओडिशा के किसी अन्य नेता को ऐसा कद हासिल नहीं हुआ।



Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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