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पैरों की समस्या को न करें अनदेखा, आपके लिए हो सकता है नुकसानदायक

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Published on: 27 Jan 2018 1:38 PM IST
पैरों की समस्या को न करें अनदेखा, आपके लिए हो सकता है नुकसानदायक
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डॉ. प्रसूनकांत श्मशेरी , आर्थोसर्जन

लखनऊ । पैर शरीर का सबसे नाजुक हिस्सा होता है क्योंकि शरीर में सबसे नीचे होने के कारण यह पूरा वजन सहता है और इसमें चोट लगने की आशंका भी रहती है। कई बार इसमें हल्की चोट लगने या दर्द होने के बाद भी हम इलाज कराए बिना ही अपना दैनिक कार्य करते रहते हैं। चोट और दर्द को नजरअंदाज कर देते हैं। इसका नुकसान शरीर के अन्य हिस्सों पर भी पड़ता है। घुटनों में भी दर्द शुरू हो जाता है। यह दर्द कमर तक जा सकता है। आंकड़े बताते हैं कि हड्डियों की समस्याओं में 25-30 फीसदी समस्याएं केवल पैर व एड़ी (फुट और एंकल) से जुड़ी होती हैं। इसमें कोई समस्या होने पर तुरंत इलाज कराने पर भविष्य में होने वाली गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है। जानते हैं उन समस्याओं के बारे में।

फुट और एंकल की मुख्य समस्याएं

-फुट और एंकल में फ्रैक्चर होने के साथ ही लिगामेंट इंजरी होना।

-फुट और एंकल में पेन होना या फिर पैरों की विकृतियां हो जाना।

-कई बार कुछ लोगों में फ्लैट फुट की भी समस्या हो सकती है।

समस्या के कारण

इंजरी- फुट और एंकल की अधिक समस्या इंजरी के कारण होती है। फुट व एंकल की समस्या वाले कुल मरीजों में लगभग 50 फीसदी से अधिक मरीज बोन फ्रैक्चर र व लिगामेंट इंजरी के कारण अस्पताल पहुंचते हैं। सावधानी बरतकर इससे बचा जा सकता है।

आर्थराइटिस- आर्थराइटिस तो सभी प्रकार की हड्डियों की जोड़ों में होती है, लेकिन सबसे अधिक दर्द और दुष्प्रभाव फुट और एंकल पर पड़ता है। आंकड़े बताते हैं कि आर्थराइटिस के कुल मरीजों में 24 फीसदी को फुट व एंकल की समस्या होती है।

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डायबिटीज- फुट और एंकल से जुड़ी बीमारियों के लिए डायबिटीज भी बड़ा खतरा है। अमेरिका जैसे देशों में लगभग छह फीसदी आबादी डायबिटीज के कारण फुट व एंकल की समस्या से ग्रसित हैं। भारत में भी सालाना लगभग एक लाख लोगों के पैर डायबिटीज के कारण काटना पड़ता है। इस कारण देश में अपंगता बढ़ रही है।

ऐसे रख सकते हैं पैरों को सुरक्षित

वजन ज्यादा न होने दें। अधिक वजन होने से पैरों पर अधिक भार बढ़ता है जिससे इनके जवाब देने का खतरा बढ़ जाता है। अच्छी क्वालिटी के शू और चप्पल पहनें। इससे पेन होने की समस्या से बचाव होता है। इंजरी होने की खतरा भी कम होता है। टाइट या लूज फुटवियर न पहनें। डायबिटीज कंट्रोल रखें। डायबिटीज के कारण घाव बनने पर जल्दी भरते नहीं हैं। आर्थराइटिस है तो समय से दवाइयां लें। कैल्शियम युक्त डाइट जैसे दूध और दूध से बने प्रोडक्ट अधिक मात्रा में लें। नियमित व्यायाम करें। इससे शरीर में लचक बढ़ती है। चोट लगने पर ज्यादा नुकसान नहीं होता है। एक्सीडेंट से बचने के लिए रोड सेफ्टी का ध्यान रखें। सीट बेल्ट और हेलमेट लगाएं। पैरों की खुद ही नियमित जांच करें। समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।

हर परिस्थिति में इलाज संभव

पहले फुट और एंकल बीमारियों का ठोस इलाज नहीं हो पाता था। मरीज को दर्द की दवा देकर दर्द कम किया जाता था। नई तकनीक के साथ सटीक इलाज संभव है। इलाज दो तरह से होता है। पहले दवा, फिजियोथेरपी, मोडीफायड शूज या सप्लीमेंट्री डायट देकर इलाज होता है। अगर बीमारी इससे भी ठीक नहीं होती है तो ऑपरेशन किया जाता है। डॉक्टर कोशिश करते हैं कि छोटे ऑपरेशन से काम हो जाए। अगर जरूरत रहती है तो बड़ा ऑपरेशन भी करते हैं। अब खराब हो चुके एंकल को कृत्रिम एंकल से रिप्लेस भी किया जा सकता है।

खानपान पर भी ध्यान देना जरूरी

खानपान का अर्थ अधिक वजन को नियंत्रित रहते हुए स्वस्थ रहने से है। बोन हेल्थ के लिए हैल्दी डायट जरूरी है। इनमें नियमित रूप से दूध, हरी-पत्तीदार सब्जियां, अधिक प्रोटीन और फ्रेश फूड शामिल होना चाहिए। अधिक उम्र होने पर दूध और प्रोटीन युक्त फूड की मात्रा अधिक लेनी चाहिए। इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है। यह हड्डियों को मजूबत करने हैं। प्रोटीन मांसपेशियों को स्वस्थ रखता है।

रोज 24 मिनट व्यायाम पर खर्च करें

व्यायाम तन-मन दोनों को स्वस्थ रखता है। इसमें हड्डियां भी शामिल हैं। अगर आप युवावस्था से ही व्यायाम करते हैं तो 24 घंटे में 24 मिनट या आधा घंटा भी ठीक है। लेकिन आप 50 वर्ष के बाद व्यायाम शुरू करते हैं तो आपको अपने शरीर पर कम से कम रोज एक घंटे समय दें। इसमें योग, एयरोबिक्स, टहलना और वेट लिफ्टिंग आदि शामिल हो। योग और एयरोबिक्स से जोड़ों में लचीलापन, टहलने से हार्ट व फेफड़े स्वस्थ रहते हैं जबकि वेट लिफ्टिंग से मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

पेंसिल हील सैंडिल ज्यादा खतरनाक

लड़कियां हाई हील चप्पल या सैंडिल पहनना पसंद करती हैं। हाई हील की तुलना में पेंसिल हील होता है। पेंसिल हील से पंजे, एड़ी और घुटने में दर्द होने लगता है। गिरने की आशंका भी ज्यादा रहती है। लड़कियां दो इंच तक हील वाली सैंडिल, स्लिपर या शूज पहन सकती हैं, लेकिन उसका पॉइंटर बड़ा और आगे का हिस्सा चौड़ा होना चाहिए।

- लखनऊ



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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