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Ganesha Ekdant Story In Hindi: गणेश जी को क्यों कहते हैं एकदंत, जानें किसने तोड़ा था दांत
Ganesh Ji Ko Ekdant Kyun Kehte Hain: गणेश जी का एक दांत टूटा हुआ है, इसलिए उन्हें एकदंत नाम से संबोधित किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर विनायक का दांत कैसे टूटा।
Ganesh Chaturthi 2024: आज यानी 7 सितंबर को देशभर में धूमधाम से गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का त्योहार मनाया जा रहा है। गणेश चतुर्थी का दिन गणपति जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश भगवान का जन्म हुआ था। ऐसे में हर साल इस तिथि को गणेश उत्सव (Ganesh Utsav) मनाते हैं, जो कि 10 दिनों तक चलता है।
भगवान गणेश को हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं से उच्च दर्जा प्राप्त है। वह प्रथम पूज्यनीय देव हैं। इसलिए किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या शुभ कार्य की शुरुआत से पहले उनकी पूजा की जाती है। गणपति बप्पा को भक्त कई नामों से पुकारते हैं, जैसे कि गणपति, गजानन, लंबोदर, विनायक आदि। इसके अलावा गणेश भगवान का एक और प्रचलित नाम है, एकदंत (Ekdant)। दरअसल, गणेश जी का एक दांत टूटा हुआ है, इसलिए उन्हें एकदंत नाम से संबोधित किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर विनायक का दांत कैसे टूटा (Ganesh Ji Ka Dant Kaise Tuta)। नहीं तो चलिए आज आपको बताते हैं इसके पीछे की कहानी के बारे में।
गणेश भगवान को एकदंत क्यों कहते हैं (Ganesh Ji Ko Kyun Kehte Hain Ekdant)
वैसे तो भगवान गणेश के दांत टूटने के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं। लेकिन इनमें से दो ऐसी पौराणिक कथाएं हैं, जो भक्तों के बीच खूब लोकप्रिय है। चलिए जानते हैं इनके बारे में।
परशुराम ने तोड़ा था गणपति का दांत
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार परशुराम जी भगवान शिव से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे थे। लेकिन द्वार पर खड़े शिव शंकर के पुत्र गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इस पर परशुराम ने उनसे विनती की कि उन्हें भोलेनाथ से मिलने दिया जाए, लेकिन गणेश जी ने परशुराम को अंदर नहीं जाने दिया। इस पर परशुराम जी को अत्यंत क्रोध आ गया और उन्होंने कहा कि अगर मुझे अंदर नहीं जाने दिया तो आपको मुझसे युद्ध करना पड़ेगा। अगर मैं जीतता हूं तो मुझे शिव जी से मिलने के लिए अंदर जाने देना होगा। गणेश जी ने भी यह चुनौती स्वीकार कर ली और फिर दोनों के बीच भीषण युद्ध शुरू हो गया। इसी युद्ध के दौरान परशुराम के फरसे के वार से गणेश जी का एक दांत टूट गया और वह एकदंत कहलाएं।
महाभारत लिखने के लिए तोड़ा था दांत
ये तो आप सब जानते होंगे कि भगवान गणेश ने ही महाकाव्य महाभारत लिखी थी। लेकिन जब वेदव्यास ने उनसे महाभारत लिखने की विनती की थी तो गणेश जी ने उनके सामने एक शर्त रखी थी कि वह महाकाव्य तभी लिखेंगे, जब वह उन्हें बिना रुके पूरी कहानी सुनाएंगे। अगर वह बीच में रुक गए तो वह लिखना बंद कर देंगे। वेदव्यास ने उनकी शर्त मान ली। गणेश जी काफी तेज गति में लिखा करते थे, ऐसे में बार-बार उनकी लेखनी टूट जाती थी। जिससे उनकी गति में अवरोध उत्पन्न होता था। ऐसे में उन्होंने अपना एक दांत तोड़कर उससे लेखनी तैयार की ताकि महाभारत को लिपिबद्ध करने का कार्य सुचारू रूप से चलता रहे। इसलिए भी भगवान गणेश को एकदंत कहा जाता है।