TRENDING TAGS :
बन रहे कूड़े से बने गमले, खाद की जरूरत नहीं
कूड़ा जब कूड़ा न रह जाय और उपयोगी हो कर जीवन शैली में फिर से फिट हो जाय तो तो यह कितना सुखद होगा।नगरों-महानगरों में प्रतिदिन निकलने वाला कूड़े के पहाड़ बदबू और बीमारी के वाहक बनते है।
रामपुर: कूड़ा जब कूड़ा न रह जाय और उपयोगी हो कर जीवन शैली में फिर से फिट हो जाय तो तो यह कितना सुखद होगा।नगरों-महानगरों में प्रतिदिन निकलने वाला कूड़े के पहाड़ बदबू और बीमारी के वाहक बनते है।इस समस्या से जूझने के लिए हर बेहतर उपाय पर प्रयोग जारी है। उपाय ऐसे, जो पर्यावरण हितैषी हों। उत्तर प्रदेश के रामपुर में बेहतर प्रयास सामने आया है। यहां कूड़े से खाद और खाद से गमले बनाए जा रहे हैं। कूड़ा निस्तारण का यह कारगर उपाय स्थानीय युवक ने उद्यम के रूप में शुरू किया है।
यह भी पढ़ें......रामपुर में कूड़ा डंपिंग ग्राउंड में लगी भीषण आग, धुएं के गुबार से लोग हुए परेशान
कंपनी कूड़ा निस्तारण को लेकर नित नए प्रयोग कर रही है
रामपुर निवासी अजय मौर्य ने इस काम की शुरुआत दो साल पहले ही कर दी थी। कूड़े से जैविक खाद बनाने के अलावा उनकी कंपनी कूड़ा निस्तारण को लेकर नित नए प्रयोग कर रही है। इनके द्वारा खाद से बनाए गए गमले बागवानी के शौकीनों को आकर्षित कर रहे हैं। इनमें पौध लगाने के बाद खाद देने की जरूरत नहीं पड़ती है। नर्सरी संचालक पौध को पॉलीथिन के बजाय इन गमलों में सुरक्षित रख सकेंगे।
यह भी पढ़ें......NGT: सार्वजनिक स्थान पर कूड़ा जलाने पर 5,000 से लेकर 25,000 तक का जुर्माना
अजय मौर्य का कहना है कि स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरित होकर उन्होंने यह उद्यम वर्ष 2017 में शुरू किया। इसमें दर्जनभर युवाओं को भी जोड़ा। सरकार ने वर्ष 2016 में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एवं हथालन नियम 2000 में संशोधन करते हुए सभी नगर पालिकाओं और निगमों को कूड़े के बेहतर तरीके से निस्तारण किए जाने के आदेश जारी किए थे, तब उन्हें यह उद्यम शुरू करने का विचार आया।
यह भी पढ़ें.......गाजीपुर लैंडफिल साइट को लेकर NGT का आदेश- बिना सेग्रगेशन नहीं फेंका जाए कूड़ा
अजय कहते हैं, बावजूद इसके ज्यादातर पालिकाओं और नगर निगमों ने इन आदेशों पर अमल शुरू नहीं किया। ऐसे में मैंने अपने साथी गोपाल सिंह, जो प्लास्टिक इंजीनियरिंग कर चुके हैं, के साथ मिलकर सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर के अधिकारियों से संपर्क कर सेंटर की कॉलोनी से निकलने वाले कूड़े से खाद तैयार करना प्रारंभ किया। इसके बाद नगर पालिकाओं से भी संपर्क किया और काम को विस्तार देता गया। हम बेहतर निस्तारण के तौर-तरीकों पर लगातार प्रयोग कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें........स्वच्छता मिशन में बड़े बाजार की उम्मीद
इनके इस्तेमाल से पॉलीथिन की जरूरत नहीं पड़ेगी
अजय मौर्य कहते हैं कि खाद से गमले बनाने का प्रयोग कामयाब रहा है। नर्सरी संचालकों को गमले पसंद आए हैं। इसकी कीमत मात्र पाच रुपये रखी है।नर्सरी में इनके इस्तेमाल से पॉलीथिन की जरूरत नहीं पड़ेगी।इसके अलावा पौध लगाने के बाद खाद डालने की भी आवश्यकता नहीं होगी।