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Ghar Kharch Ka Budget Kaise Banaye: अगर इनकम से ज्यादा है घर का खर्च, तो इस तरह अपनाएं स्मार्ट हैंडलिंग
Ghar Kharch Ka Budget Kaise Banaye: घर का मंथली बजट हमेशा घर पर आने वाली कुल इनकम, जरूरी खर्चे और उससे भी जरूरी है बचत को ध्यान में रखकर बनाया जाता है।
Ghar Kharch Ka Budget Kaise Banaye: समाज का सबसे बड़ा हिस्सा मिडिल क्लास परिवार के तौर पर देखा जाता है। जहां हर छोटी बड़ी जरूरत से पहले घर के बजट को टटोला जाता है। वैसे भी जिस तरह से हर दैनिक जरूरत की चीजों की कीमतें दिन ब दिन आसमान छूती चली जा रहीं हैं, ऐसे में लोगों को घर का बजट मैनेज करना मुश्किल पड़ रहा है। वहीं आप स्मार्ट हैंडलिंग से अपने घर के मंथली बजट को बड़ी चतुराई से मैनेज कर सकते हैं। यहां आपको कुछ जरूरी टिप्स के बारे में जानकारी दी जा रही है :
घर का बजट बनाने से पहले रखें इन बातों का ध्यान
घर का मंथली बजट हमेशा घर पर आने वाली कुल इनकम, जरूरी खर्चे और उससे भी जरूरी है बचत को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। हमेशा घर का बजट बनाने वाले व्यक्ति द्वारा इन तीनों महत्वपूर्ण बिंदुओं के बीच इनकम को सही तरह से बांटना ही उसकी हुनर की परीक्षा होती है।
घर का बजट बनाने से ये होता है लाभ
अगर आप एक परफेक्ट फाइनेंशियल प्लानर हैं और आपने अपने घर का मंथली बजट को अपनी इनकम और खर्च के बीच सही तालमेल के साथ मेंटेन किया है तो इससे आपको कई तरह से लाभ मिलते हैं। पहला यह कि बजट की सटीक प्लानिंग से आपको अपने मंथली ड्यूज देने के लिए चिंतित नहीं होना पड़ता। इससे आपके घर के सारे बिलों का भुगतान अपने तय समय पर हो जाता है।
जिससे आपकी मानसिक शांति भी बनी रहती है और आपको गाढ़े समय के लिए भी कुछ पैसा बचाने के लिए थोड़ी गुंजाइश मिल जाती है। साथ ही आप आगे चलकर बच्चों की पढ़ाई, शादी, घर, गाड़ी खरीदने जैसे बड़े खर्चे के लिए भी अच्छे से प्लानिंग कर सकते हैं।
घर खर्च का बजट प्लान करने के लिए बनाए एक नोट बुक
घर का मंथली बजट बनाने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि इधर- उधर किसी भी कागज पर खर्च का हिसाब लिखने से पहले आप अपनी पूरी इनकम का हिसाब लिखने के लिए एक नोटबुक बना लें। जिसमें डेली होने वाले खर्च का डेट के साथ डिटेल नोट करें। जबकि मंथली बजट प्लान करने के लिए अपनी नेट इनकम के मुताबिक अपने महीने के खर्चों की लिस्ट तैयार करें। जैसे कि घर का किराया, किचन,ईंधन पर होने वाला खर्च, फोन रिचार्ज से लेकर इंटरनेट, इलेक्ट्रिक बिल, स्कूल फीस, कोई इन्वेस्टमेंट या ईएमआई जैसे सारे महीने के खर्च को नोट बुक में डेट के साथ नोट कर लें।
अब आप इन्हें अलग-अलग प्राथमिकताओं के मुताबिक कैटिगराइज कर लें। इनमें से जो महीने के फिक्स खर्चे हैं, उनको अलग कर लें। वहीं दूसरे ऐसे खर्चे जो फिक्स नहीं हैं । लेकिन रहते हैं जैसे किचन या ग्रॉसरी पर होने वाला खर्च, बिजली का बिल, पेट्रोल, सब्जियों और दवाइयों का खर्च इत्यादि। इन पर खर्च होने वाली अनुमानित राशि तय कर लें। जब आप अपने दैनिक खर्चों को इस तरह से कैटेगराइज कर लेंगे, तब यह तय करना आसान होगी कि कहां से खर्च कम किया जा सकता है और कौन सा एकदम जरूरी हैं। इससे उन खर्चों को जो गैर-जरूरी है उनको पहचानने में मदद मिलती है और इस तरह से बजट को नियंत्रित किया जा सकता है।
खर्च की समीक्षा करना है जरूरी
बजट को नियंत्रित करने के लिए हर महीने अपने खर्चों की समीक्षा करना भी बेहद जरूरी होता है। इस तरह से धीरे-धीरे इस बात का पता चल जाता है कि पैसे की कहां से और बचत की जा सकती है। इस तकनीक से आप जरूरत से ज्यादा खर्च की समस्या से बच सकते हैं और आप अपने हर तरह के खर्चे के लिए एक निर्धारित सीमा बना सकते हैं।
खर्च से ज्यादा निवेश पर हो ध्यान
बजट नियंत्रित करने के लिए बेहद जरूरी है कि आपकी अपनी इनकम में खर्च से ज्यादा इनवेस्मेंट पर ध्यान देना चाहिए। यानी खर्च को महत्व देने से ज्यादा हमें पहले कमाई के बाद निवेश को लाना चाहिए और फिर खर्चों पर ध्यान देना चाहिए।
क्योंकि सैलरी हाथ में आते ही लंबे समय से पेंडिंग पड़े खर्चों को पूरा करने की जरूरत महसूस होने लगती है। जबकि अगर ध्यान दें तो उनमें से अधिकतर ऐसे खर्च होते हैं जिन्हें टाला जा सकता है और आप इस तरह से सेविंग्स को बढ़ा सकते हैं।
बचत से कहीं ज्यादा फायदा देता है निवेश
अक्सर लोग बचत और निवेश के बीच में फर्क नहीं कर पाते। जबकि इनकम को बढ़ाने के लिए इस अंतर को समझना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि आपके खाते में पड़ा पैसा या घर में बचाया गया धन जरूरत पड़ने पर खर्च हो सकता है। लेकिन भविष्य की जरूरतों और सुरक्षा के लिए किसी स्कीम में इन्वेस्ट किया गया पैसा आपके घर की रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है। उसे आप सेविंग करके नहीं बल्कि निवेश करके आसानी से तैयार कर सकते हैं। कहीं भी अपना पैसा निवेश करने से पहले ऐसा इस बात का जरूर ध्यान रखें वो इन्वेस्टमेंट आपको भविष्य में कितना रिटर्न देने वाला है।
ऑटोमैटिक डेबिट ऑप्शन को इस तरह से अपनाएं
सेविंग्स के लिए बेहद जरूरी है कि आप बचत के कुछ तकनीकी तरीकों से भी परिचित हों। पेटीएम और पेमेंट करने के दूसरे ऑन लाइन मॉड जबसे चलन में आ गए हैं तबसे एक यह दिक्कत सामने आ रही है कि, आपको अक्सर इस बात का ख़्याल नहीं रहता कि कुछ निश्चित पेमेंट जो इन्वेस्टमेंट से जुड़े हुए हैं उनके लिए भी बचत करके पैसों को बचा कर रखना है। अंत में कम पैसे होने से अक्सर आपकी सेविंग्स जैसे एसआईपी, पोस्ट ऑफिस आरडी या पीपीएफ की आने वाली ईएमआई बाउंस हो जाती है। इसलिए आपके बैंक खाते में पैसा किस खर्च के लिए कितना तय किया गया है इस बात का ध्यान रखते हुए ही ऑनलाइन पेमेंट ऑप्शन को अपनाएं । साथ ही आपकी निश्चित डेट पर जाने वाली ईएमआई को ऑटोमैटिक मोड पर रखें। क्योंकि पैसा आते ही वो पहले बचत के हिस्से में चला जाए तो ठीक रहता है।
कई इंवेस्टन प्लान रखना होता है बेहतर
आपको बेहतर सेविंग्स की प्लानिंग के तहत अपने सारे पैसे को किसी एक इन्वेस्टमेंट प्लान में फिक्स करने की जगह कई अलग-अलग प्लान में उन्हें सेव करें। जैसे कि बैंक एफडी, पीपीएफ, म्यचूअल फंड , डेट फंड इसके अतिरिक्त गवर्मेंट स्कीमों में भी अपनी क्षमता के अनुसार पैसों को निवेश करें।
निवेश का एक रूल बेहद लोकप्रिय है कि, अपने सारे अंडों को एक टोकरी में रखना सुरक्षित नहीं माना जा सकता।
बच्चों को भी समझाएं बजट का महत्व
घर का बजट ना सर्फ घर को मजबूती प्रदान करता है बल्कि घर के सदस्यों को मानसिक शांति भी प्रदान करता है। इसलिए यह बहुत ही जरूरी है कि घर में टेबल पर जहां बच्चे और बुजुर्ग सब साथ बैठे हो वहां घर के बजट को मैनेज करने वाले तरीकों पर जरूर चर्चा की जानी चाहिए। अगर पैसे के मैनजमेंट के बारे में बच्चों को जानकारी नहीं होगी तो ये कभी ना कभी आर्थिक मुसीबत का शिकार बन सकते हैं, इसलिए जरूरी है कि घर के छोटे और बड़े सभी सदस्यों के बीच इस विषय पर खुलकर बातचीत हो। खासकर बच्चे बाहरी दिखावे के जाल में फसकर अपनी मानसिक शांति को जाया न करें और अपनी सेविंग्स की वैल्यू को समझें।