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Motivational Story in Hindi: दयालु और नि:स्वार्थ है ईश्वर

Prerak Prasang : एक व्यक्ति रेल की लाइन में टिकट खरीदने के लिए लगा हुआ था। जब उसका नंबर आया तो क्लर्क ने कहा, कि "तीन रुपए खुले दो, तो टिकट मिलेगा।" यात्री के पास तीन रुपए खुले नहीं थे।

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Published on: 9 Jun 2023 4:33 PM IST
Motivational Story in Hindi: दयालु और नि:स्वार्थ है ईश्वर
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Motivational Story in Hindi (social media)

Motivational Story in Hindi: एक व्यक्ति रेल की लाइन में टिकट खरीदने के लिए लगा हुआ था। जब उसका नंबर आया तो क्लर्क ने कहा, कि "तीन रुपए खुले दो, तो टिकट मिलेगा।" यात्री के पास तीन रुपए खुले नहीं थे। उसने अपने पास वाले यात्री से पूछा, "क्या आपके पास तीन रुपय खुले हैं। अगर आप मुझे दे दें, तो मुझे टिकट मिल जाएगा. मैं कुछ देर में आपको तीन रुपए वापस लौटा दूंगा।"

पास वाले यात्री ने उसे खुले तीन रुपये दे दिए। उसने टिकट ले ली। बाहर जाकर पैसे खुले करवाए। उसने 3 रुपये उस यात्री को लौटा दिए । उसका बहुत धन्यवाद किया। आभार माना, "कि आप की सहायता से मुझे ठीक प्रकार से रेल टिकट मिल गया। मैं आपका हृदय से आभारी हूं।" आप देखिए, यह कितनी छोटी सी घटना है। आज के समय में तीन रुपए का कोई बहुत मूल्य नहीं है। फिर भी उसने तीन रुपये वापस भी लौटाए, बहुत धन्यवाद किया और हृदय से आभार भी माना।

इसी प्रकार से एक व्यापारी ने दूसरे व्यापारी से दो महीने के लिए १०,००० रुपये उधार लिए। दो महीने बाद उसे पूरे पैसे लौटा दिए, तथा उस का हृदय से आभार माना, और बहुत धन्यवाद किया।

जब लोग सांसारिक कार्यों में इतनी सभ्यता निभाते हैं। छोटे और बड़े सब कार्यों में पूरा ध्यान देते हैं। "तो क्या कभी आपने ऐसा सोचा है, कि ईश्वर ने भी आपको बहुत कुछ दिया है। क्या आप ईश्वर का इस प्रकार से धन्यवाद करते हैं? क्या उसका हृदय से आभार मानते हैं? क्या उसका उपकार स्वीकार करते हैं? यदि नहीं करते, तो यह अच्छी बात नहीं है।" "ईश्वर का तो अनंत उपकार मानना चाहिए। क्योंकि ईश्वर ने हम आप और सब लोगों पर जो उपकार किए हैं, उसका तो कोई मूल्य आप सोच भी नहीं सकते।" जैसे कि -- ईश्वर ने आपको मन,बुद्धि, इंद्रियां शरीर और पंचमहाभूत बना कर दिए। अनेक प्रकार के फल फूल शाक सब्जियां जड़ी बूटियां औषधियां वनस्पतियां आदि आदि, न जाने क्या-क्या सुख सुविधाएं दी हैं।

“ ईश्वर ने आपको बहुत सा धन दिया है। अच्छे-अच्छे माता-पिता गुरुजन आदि दिए। इसके अतिरिक्त आपके लिए बहुत सा श्रम किया है। ईश्वर अनादि काल से आपके प्रत्येक कर्म का पूरा-पूरा हिसाब रखता है। ठीक न्याय से आप को प्रत्येक कर्म का सही समय पर फल देता है। कभी भी अन्याय नहीं करता। जो दुष्ट व्यक्ति आपकी हानि करता है, उसको ईश्वर दंड देता है। उस दुष्ट व्यक्ति द्वारा की गई आपकी हानि की पूर्ति भी ईश्वर समय आने पर कर देता है। यदि आप किसी का उपकार करते हैं, तो उसका पुण्य फल भी ईश्वर आपको अनादि काल से देता आ रहा है। भविष्य में भी अनन्त काल देता रहेगा। उसके हिसाब में कहीं भी, कोई भी, कभी भी भूल नहीं होती। इस सब श्रम के बदले में ईश्वर आपसे कुछ भी फीस/ शुल्क भी नहीं लेता है। और भविष्य में भी अनंत काल तक ईश्वर ऐसे ही मुफ्त में आप पर उपकार करता रहेगा। इतने बड़े उपकारों के बदले में आपको ईश्वर का कितना अधिक धन्यवाद करना चाहिए और हृदय से उसका आभार मानना चाहिए। उसके पास बैठकर उसकी स्तुति प्रार्थना उपासना करके उससे वर्तमान में और भी आनंद लाभ प्राप्त करना चाहिए।"



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