×

God Motivational Thoughts: बदल जाएगी जिन्दगी, पढ़ें ये मोटिवेशनल कहानी

God Motivational Thoughts: पूजा करते समय एक दिन यमुना से कमल का फूल प्रकट हुआ। कमल के फूल से सोने की चमक सी रोशनी निकल रही थी।

Sankata Prasad Dwived
Published on: 3 Dec 2023 3:48 PM IST (Updated on: 3 Dec 2023 3:50 PM IST)
God Motivational Thoughts
X

God Motivational Thoughts 

God Motivational Thoughts: राधा जी के बारे में प्रचलित है कि वह बरसाना की थीं। लेकिन, हकीकत है कि उनका जन्म बरसाना से 50 किलोमीटर दूर हुआ था। यह गांव रावल के नाम प्रसिद्ध है। यहां पर राधा का जन्म स्थान है। कमल के फूल पर जन्मी थीं राधा, रावल गांव में राधा का मंदिर है। माना जाता है कि यहां पर राधाजी का जन्म स्थान है।5 हजार साल पहले रावल गांव को छूकर यमुना बहती थी।राधा की मां कृति यमुना में स्नान करते हुए अराधना करती थी और पुत्री की लालसा रखती थी।में छोटी बच्ची का नेत्र बंद था। अब वह स्थान इस मंदिर का गर्भगृह है।इसके 11 महीने बाद 3 किलोमीटर दूर मथुरा में कंस के कारागार में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था।वह रात में गोकुल में नंदबाबा के घर पर पहुंचाए गए। तब नंद बाबा ने सभी जगह संदेश भेजा और कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया।

जब बधाई लेकर वृषभान अपने गोद में राधारानी को लेकर यहां गए तो राधारानी घुटने के बल चलते हुए बालकृष्ण के पास पहुंची। वहां बैठते ही तब राधारानी के नेत्र खुले और उन्होंने पहला दर्शन बालकृष्ण का किया।

राधा और कृष्ण क्यों गए बरसाना

कृष्ण के जन्म के बाद से ही कंस का प्रकोप गोकुल में बढ़ गया था। यहां के लोग परेशान हो गए थे।नंदबाबा ने स्थानीय राजाओं को इकट्ठा किया। उस वक्त बृज के सबसे बड़े राजा वृषभान थे। इनके पास 11 लाख गाय थीं। जबकि, नंद जी के पास नौ लाख गाय थी।जिसके पास सबसे ज्यादा गाय होतीं थी, वह वृषभान कहलाते थे। उससे कम गाय जिनके पास रहती थीं, वह नंद कहलाए जाते थे।

बैठक के बाद फैसला हुआ कि गोकुल व रावल छोड़ दिया जाए।गोकुल से नंद बाबा और जनता पलायन करके पहाड़ी पर गए, उसका नाम नंदगांव पड़ा।वृषभान, कृति और राधारानी को लेकर पहाड़ी पर गए, उसका नाम बरसाना पड़ा।रावल में मंदिर के सामने बगीचा, इसमें पेड़ स्वरूप में हैं राधा व श्याम।

रावल गांव में राधारानी के मंदिर के ठीक सामने प्राचीन बगीचा है। कहा जाता है कि यहां पर पेड़ स्वरूप में आज भी राधा और कृष्ण मौजूद हैं।यहां पर एक साथ दो पेड़ हैं। एक श्वेत है तो दूसरा श्याम रंग का। इसकी पूजा होती है। माना जाता है कि राधा और कृष्ण पेड़ स्वरूप में आज भी यहां से यमुना जी को निहारते हैं।

Admin 2

Admin 2

Next Story