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इस संस्था की पहल पर यहां बनीं 100 पोषण बाड़ी,घटा कुपोषण

कुपोषण से बचाने के लिए साथी संस्था के सदस्यों ने झारखंड के गोड्डा जिले की बड़ा बोआरीजोर पंचायत के 14 गांवों की तस्वीर बदल दी ।यहां आदिम जनजाति पहाडि़या निवास करती है।गरीबी, निरक्षरता के कुचक्र में जीवन जी रहे यहां के लोगों को साथी संस्था के सदस्यों ने उन्हें पोषण बाड़ी (घर के पीछे के खाली जगह में फल व सब्जी की खेती) के लिए प्रेरित किया।

Anoop Ojha
Published on: 27 Dec 2018 1:21 PM IST
इस संस्था की पहल पर यहां बनीं 100 पोषण बाड़ी,घटा कुपोषण
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कुपोषण से बचाने के लिए साथी संस्था के सदस्यों ने झारखंड के गोड्डा जिले की बड़ा बोआरीजोर पंचायत के 14 गांवों की तस्वीर बदल दी ।यहां आदिम जनजाति पहाडि़या निवास करती है।गरीबी, निरक्षरता के कुचक्र में जीवन जी रहे यहां के लोगों को साथी संस्था के सदस्यों ने उन्हें पोषण बाड़ी (घर के पीछे के खाली जगह में फल व सब्जी की खेती) के लिए प्रेरित किया। नतीजा ये निकला कि 100 पोषण बाड़ी में उपजी सब्जियां और फल यहां के लोगों की सेहत दुरुस्त कर रहे हैं। कुपोषण की दर 10 से 15 फीसद घट गई है। जच्चा-बच्चा की मृत्युदर में भी कमी आई है।

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गरीबी के कारण सब्जी और फल तो सपना ही थे

एक दौर था जब कुपोषण यहां की प्रमुख समस्या बनी हुयी थीं। आंकड़ों के मुताबिक 65 से 70 फीसद लोग इसके शिकार हो गए थे। महिलाओं में खून की कमी थी।इन गांवों में कुपोषण के अलावा प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत होना आम बात थी। सरकार की ओर से मिल रहे चावल व गेहूं ही इन आदिवासियों की भूख मिटाते थे। गरीबी के कारण सब्जी और फल तो सपना ही थे। इससे कुपोषण यहां की प्रमुख समस्या बन गई।

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लोगों को कई जरूरी विटामिन और खनिज नहीं मिल रहे हैं

इस हालात को देख साथी संस्था ने पहल की। ब्रिटेन के पॉल हेमलिन फाउंडेशन (पीएचएफ) ने इस काम में संस्था की आर्थिक मदद की। 14 गांवों का सर्वे स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से किया गया।तब जा ​कर पता चला कि यहां के लोगों को पौष्टिक भोजन न करने से इस समाज के लोगों को कई जरूरी विटामिन और खनिज नहीं मिल रहे हैं। इसके बाद ग्रामीणों के बीच जागरूकता अभियान चलाया गया। 100 पोषण बाड़ी तैयार कराई गईं। करीब हर घर में एक पोषण बाड़ी बनी। कुछ जगह दो-तीन घरों को मिलाकर सामूहिक तौर पर पोषण बाड़ी बनाई गई। यहां उत्पादित सब्जी को बेचने की जगह खुद खाने के लिए प्रेरित किया गया।

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फायदेमंद सब्जियों और फलों की खेती हो रही

संस्था के कालेश्वर मंडल का कहना है कि इस प्रयोग के बेहतर परिणाम मिले हैं। अन्य पंचायतों में भी ऐसा किया जाएगा। 14 गांवों में लगी 100 पोषण बाड़ी में बैगन, सहजन, केला, पपीता, कद्दू, टमाटर, पालक जैसी सेहत के लिए फायदेमंद सब्जियों और फलों की खेती हो रही है।

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जैविक खाद से उत्पादित सब्जियों से मिल रहा भरपूर पोषण

संस्था के दर्जनभर वालंटियर गांवों में जाते हैं। लोगों को आदर्श भोजन के बारे में बताते हैं। भोजन में क्या-क्या जरूरी है, उसकी जानकारी देते हैं। पहाडि़या लोगों को बताया जाता है कि भोजन में सिर्फ चावल और गेहूं से काम नहीं चलेगा, फल और सब्जियां भी जरूरी हैं। इसका असर यह हुआ कि पोषण बाड़ी में बैगन, सहजन, केला, पपीता, कद्दू, टमाटर व पालक की खेती हो रही है। रासायनिक खादों के प्रयोग पर रोक है। जैविक खाद से उत्पादित सब्जियां लोगों को कुपोषण से बचा रही हैं।

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ग्रामीणों और बच्चों की सेहत सुधरी है

पोषण बाड़ी में उत्पादित सब्जियों को परिवार के लोग खुद खाने के साथ आसपास के लोगों के बीच वितरित भी करते हैं। कसमू, अनामू, डुबरी, महाबारिबेड़ो, बाबूचुरी, तालबडि़या, बडोर, महुआकोल, लकराकोल, पड़सिया, बड़ा चुरी, बांसभि, छोटा बोआरीजोर, मुचुरादलदली गांव में पोषण बाड़ी लगाई गई है। ग्रामीण मदन किस्कू व मंगला पहाडि़या ने बताया कि इससे हमारा जीवन बदल गया है। ग्रामीणों और बच्चों की सेहत सुधरी है।



Anoop Ojha

Anoop Ojha

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