Haldi History Wikipedia: सुख, सौभाग्य, उत्तम स्वास्थ और शुभता का प्रतीक है हल्दी, जानिए इसके इस्तेमाल के विविध तरीके

Haldi History Wikipedia in Hindi: हल्दी बिहार की प्रमुख मसाला फसल है। क्षेत्रफल एवं उत्पादन में इसका प्रथम स्थान है।

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 7 Nov 2024 6:36 AM GMT
Haldi History Wikipedia in Hindi
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Haldi History Wikipedia in Hindi

Haldi History Wikipedia in Hindi: हल्दी का उपयोग भारत में वैदिक संस्कृति में लगभग 4000 साल पहले से होता आ रहा है। हल्दी को सुख, सौभाग्य , उत्तम स्वास्थ और शुभता के प्रतीक के साथ ही हल्दी का औषधीय प्रयोग एक लंबे समय से होता आया है । हमारी रसोई में मिलने वाले मसालो में हल्दी का विशेष स्थान है, हल्दी खाने के फायदे बहुत से हैं । सौन्दर्य प्रसाधनों में हल्दी का खास प्रयोग होता है । बिना हल्दी के भी मांगलिक कार्य पूरे नही होता है। हल्दी का रासायनिक नाम करक्यूमिन, जिसे डिफेरुलोइलमीथेन के नाम से भी जाना जाता है, सुनहरे मसाले वाली हल्दी (करक्यूमा लोंगा) और (करक्यूमा ज़ैंथोरिज़ा तेल) में एक सक्रिय घटक है।औषधि ग्रंथों में इसे हल्दी के अतिरिक्त हरिद्रा, कुरकुमा लौंगा, वरवर्णिनी, गौरी, क्रिमिघ्ना योशितप्रीया, हट्टविलासनी, हरदल, कुमकुम, टर्मरिक नाम दिए गए हैं।हल्दी बिहार की प्रमुख मसाला फसल है। क्षेत्रफल एवं उत्पादन में इसका प्रथम स्थान है।

हल्दी के कई औषधीय गुण मौजूद हैं-

हल्दी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीसेप्टिक, और एंटी-इंफ़्लेमेटरी गुण होते हैं। हल्दी में करक्यूमिन सक्रिय तत्व है और इसमें शक्तिशाली जैविक गुण हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा, एक पारंपरिक भारतीय उपचार प्रणाली, विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य स्थितियों के लिए हल्दी की सलाह देती है।


हल्दी का इस्तेमाल घाव भरने में किया जाता है। हल्दी का सेवन खांसी और सर्दी-ज़ुकाम में फ़ायदेमंद होता है। हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता को बढ़ाता है।

हल्दी में पाचक गुण होते हैं, जिससे पाचन क्रिया सुधरती है।


हल्दी में कफ़ शामक गुण होते हैं, जिससे डायबिटीज़ के लक्षणों में आराम मिलता है। इसके अतिरिक्त शरीर की समग्र ऊर्जा को मजबूत करना, गैस से राहत देना, कीड़ों को दूर करना, पाचन में सुधार करना, मासिक धर्म को विनियमित करना, पित्त पथरी को घोलना और गठिया से राहत देना शामिल है।

हल्दी कितने प्रकार की होती है?


हल्दी की पचास से ज़्यादा किस्में हैं। लेकिन सभी का इस्तेमाल खाना बनाने में नहीं किया जाता। प्रीमियम किस्मों में लाकाडोंग शामिल है, जिसमें दुनिया में सबसे ज़्यादा करक्यूमिन होता है। यह किस्म उत्तर पूर्वी भारत में मेघालय के सुदूर इलाकों में उगाई जाती है।

हल्दी कहाँ पाई जाती है?

भारत में हल्दी की 30 से अधिक किस्में उगाई जाती हैं। यह देश के 20 से अधिक राज्यों में उगाई जाती है। हल्दी के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु हैं। हल्दी के विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 62 प्रतिशत से अधिक है।


सांगली को हल्दी के विशाल उत्पादन के लिए हल्दी शहर के रूप में जाना जाता है। महाराष्ट्र में सांगली, सतारा, हिंगोली, नांदेड़, परभणी हल्दी उगाने वाले प्रमुख जिले हैं।

आंबा हल्दी खाने के क्या फायदे होते हैं?

आंबा हल्दी के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है जिससे साडी खांसी नहीं होती । साथ ही जोड़ों का दर्द, अपच और ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करती है। वहीं नॉर्मल हल्दी लीवर, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल, श्वसन संबंधी विकार, आँखों, जोड़ों और शरीर में सूजन, मुँहासे जैसी समस्या के लिए बेहतरीन है।हल्दी को पानी में मिलाकर उसका लेप लगाएं।


सरसों का तेल गर्म करें, उसमें हल्दी डालें और चोट पर लगाएं।

आमा हल्दी वाले दूध को पीने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। हल्दी को गर्म दूध के साथ पीने से दर्द और सूजन दूर होती है

सबसे बढ़िया हल्दी कौन सी होती है?

लाकाडोंग हल्दी मेघालय राज्य में स्थित लाकाडोंग गांव से आती है। इसे दुनिया की सबसे अच्छी हल्दी माना जाता है क्योंकि इसमें करक्यूमिन की मात्रा बहुत अधिक होती है।

हल्दी में कौन सा विटामिन पाया जाता है?

सबसे पहले तो हल्दी मसालों का एक सबसे अच्छा रंग है। इसमें विटामिन सी, विटामिन 6 आयरन कैल्शियम,डायट्री फाइबर, सोडियम, प्रोटीन, मैंगनीज पोटेशियम होता है जो सेहत को फायदा पहुंचा था है। इसमें एक तत्व करक्यूमिन होता है जो इसे स्वास्थ वर्धक बनाने में सहायक होता है।

डिप्रेशन कम होता है

हल्दी में पाया जाने वाला कर्क्यूमिन डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।


डिप्रेशन यानी अवसाद एक प्रकार का मेंटल डिजीज है, जिसमें व्यक्ति के बर्ताव में और सोचने-समझने में बदलाव होने लगता है। ऐसे में कर्क्यूमिन डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मददगार होता है।

एजिंग धीरे होती है

हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है, जो ऑक्सीडेटिव डैमेज को कम करता है।


ऑक्सीडेटिव डैमेज की वजह से एजिंग जैसी कई बीमारियां में कर्क्यूमिन फ्री रेडिकल्स को कम करता है, जिससे लाभ होता है।

अल्जाइमर से बचाव होता है

कर्क्यूमिन याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता को कमजोर होने से बचाता है।


यह कॉग्नीटिव एबिलिटी यानी संज्ञानात्मक क्षमता के लिए फायदेमंद होता है। इसलिए इससे अल्जाइमर डिजीज से बचाव होता है, जो कॉग्नीटिव फंक्शन को प्रभावित करने वाली एक बीमारी है।

कच्ची हल्दी खाने से बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता

कच्ची हल्दी खाने से रोग प्रतिरोधक छमता बढ़ती है । ये कफ, पित का नाश करती है ।हल्दी को दूध में मिलाकर पीने से बहुत फायदे होते है। अक्सर पुराने लोग हमेशा हल्दी दूध पीने की सलाह देते हैं । हल्दी दूध, लगातार पीने से रक्त संचार अच्छा होता है व रोग प्रतिरोधक छमता बढ़ जाती है । यदि किसी को किसी भी कारण से सूजन हो गई हो तो तो हल्दी पानी मिलाकर पीने से फायदे होते है ।


कच्ची हल्दी नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, जो हल्दी पाउडर बनाने के दौरान सूखने और पीसने की प्रक्रिया की वजह से कम या खत्म हो सकते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स को बेअसर करने और आपके पूरे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

हल्दी दूध बनाने की विधि

आप अच्छे स्वास्थ के लिए रोजाना रात को सोने से पहले दूध जरुर पिए ।


हल्दी युक्त दूध बनाना बहुत ही आसान होता हैं जैसे आप दूध में हेल्थ पाउडर मिलाकर पीते हैं, ठीक उसी तरह आप एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाएं। इसके अलावा आप स्वाद को बढ़ाने के लिए सैफरन या दालचीनी को भी ड़ाल सकते हैं।

सबसे महंगी हल्दी कौन सी है?

कैंसर जैसी बीमारी में काली हल्दी को कई औषधीय गुणों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।इसके अलावा कई कॉस्मेटिक्स को बनाने में भी काली हल्दी इस्तेमाल होती है। इस हल्दी की कीमत 5 हजार रुपये प्रति किलो तक है। काली हल्दी की खेती में सबसे महंगा इसका बीज होता है। इसके अलावा निदाई-गुड़ाई, कीटनाशक, सिंचाई समेत अन्य मजदूरी लगती है। मल्टीलेयर पद्धति से काली हल्दी की खेती करने पर 22 से 25 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन लिया जा सकता है। वहीं खुले खेत में खेती करने पर 10 से 15 क्विंटल तक पैदावर हो सकती है।


आमतौर पर हल्दी का उपयोग सभी प्रकार के जादुई कार्यों में किया जाता है लेकिन काली हल्दी विशेष है। पश्चिमी भारत ने इस काली हल्दी का उपयोग काले जादू और अन्य शक्तिशाली मंत्रों के लिए किया था। इस जड़ी बूटी का उपयोग मुख्य रूप से देवी काली की पूजा के लिए किया जाता है। इसका उपयोग घरेलू उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाता है।काली हल्दी विशेष रूप से वशीकरण इरादों और उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। वास्तविक काली हल्दी का रंग काला पीला से गहरे काले रंग में भिन्न होता है।

काली हल्दी का पौधा कहाँ मिलेगा?


काली हल्दी या नरकचूर एक औषधीय महत्व का पौधा है. जो कि बंगाल में वृहद रूप से उगाया जाता है। इसे अमेजान पर ऑन लाइन भी मंगवा सकते हैं।

असली और नकली हल्दी की पहचान कैसे करें?

हल्दी की शुद्धता की जांच करने के लिए एक और घरेलू उपाय यह है कि एक चुटकी हल्दी को हथेली पर रखकर दूसरे हाथ के अंगूठे से रगड़ें. अगर हल्दी का दाग हथेली पर पड़ जाए, तो यह शुद्ध है. अगर दाग नहीं पड़ता, तो इसमें मिलावट हो सकती है।

घर पर हल्दी का पौधा कैसे लगाएं?

घर में हल्दी का पौधा लगाना शुभ माना जाता है। हल्दी का पौधा लगाने से सुख-समृद्धि घर पर आएगी। हल्दी का पौधा गमले में लगाने के लिए

गमले में 3/4 भाग मिट्टी भरें और हल्का सा दबा दें। हल्दी के बीजों को 2 इंच गहरे और 6 इंच की दूरी पर मिट्टी में रोपें। मिट्टी को अच्छी तरह से गीला करें, लेकिन पानी जमा न होने दें। रोपाई के 15 दिन बाद अमतउपबवउचवेज या गोबर की खाद डालें।

त्वचा को गोरा करने के लिए कौन सी हल्दी अच्छी है?

त्वचा को गोरा करने के लिए लाकाडोंग हल्दी - दुनिया की सबसे स्वास्थ्यप्रद हल्दी, हल्दी के सबसे प्रभावी और शक्तिशाली प्रकारों में से एक है जिसने अपार उपचार और सौंदर्य लाभ दिखाए हैं।

मुंहासों को कम करने के लिए हल्दी में क्या मिलाकर फेस पर लगाएं?

दूध और हल्दी का मिश्रण आपकी त्वचा के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। यह ना सिर्फ मुंहासों को कम करता है बल्कि त्वचा की जलन को भी शांत करता है। दूध में मौजूद लैक्टिक एसिड आपकी त्वचा को नेचुरली एक्सफोलिएट करता है, जिससे आपकी त्वचा चमकदार और दाग-धब्बे से मुक्त हो जाती है।ग्लोइंग स्किन पाने के लिए एक चम्मच बेसन में आधा चम्मच हल्दी और दो चम्मच गुलाबजल मिलाएं। इस पेस्ट को अपने चेहरे पर 20-25 मिनट के लिए लगाकर रखें। इसके बाद हल्के गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। इस फेस पैक के इस्तेमाल से आपको निखरी-गोरी त्वचा मिलेगी।

ग्लोइंग स्किन के लिए कच्ची हल्दी कैसे खाएं?

हल्दी, नींबू और शहद से बना हल्दी डिटॉक्स वॉटर, चमकती त्वचा के लिए कई लाभ प्रदान करता है। एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर यह ड्रिंक मुंहासों से लड़ने, सूजन को कम करने और हाइड्रेशन को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसे रोजाना खाली पेट पीने से त्वचा की सेहत और समग्र सेहत में सुधार हो सकता है

हल्दी को नींबू के साथ मिलाने से क्या होता है?

हल्दी के साथ गर्म नींबू पानी प्रतिरक्षा को बढ़ाने और सर्दी, खांसी और बुखार जैसे संक्रमणों को रोकने में मदद कर सकता है।


यह आपको मानसून के दौरान हाइड्रेटेड भी रखेगा, जो गर्म और आर्द्र मौसम में बहुत जरूरी है। इसके अलावा, यह पाचन में भी मदद करता है। स्वाद बढ़ाने के लिए आप इसमें शहद या अन्य मसाले भी मिला सकते हैं।

हल्दी से होने वाले नुकसानः

ज़्यादा हल्दी खाने से शरीर में आयरन की कमी हो सकती है। ज़्यादा हल्दी खाने से किडनी में स्टोन होने का खतरा रहता है। ज़्यादा हल्दी खाने से पेट में जलन, ब्लोटिंग, एसिडिटी, और डायरिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ज़्यादा हल्दी खाने से ब्लड शुगर लेवल बहुत कम हो सकता है

हल्दी की तासीर क्या होती है?

हल्दी की तासीर गर्म होती है और इसमें खून को पतला करने का गुण होता है। इसलिए हर किसी को इसे नहीं लेना चाहिए। खासकर उन लोगों को जिनकी बॉडी गर्म रहती है या जिन्हें नाक से खून आना या पाइल्स जैसी प्रॉब्लम्स रहती हैं। यह ब्लीडिंग को बढ़ा देता है।

हल्दी का पूजन उपयोग

हल्दी को हिन्दू धर्म में शुभ और मंगलकारी माना जाता है। हल्दी का इस्तेमाल पूजा-पाठ में किया जाता है।

हल्दी को गणपति और माता गौरी को अर्पित किया जाता है।

हल्दी पूजा का पूर्ण फल दिलाने में मदद करती है।

हल्दी से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

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