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Gharelu Nuskhe: ठंड जुकाम से लेकर हर मर्ज का इलाज छिपा है इन घरेलू उपाय में

Gharelu Nuskhe: अदरक के रस में शहद, लेना सखे मिलाय। पखवाड़े नियमित रखो,श्वाँस कास मिट जाय।

Newstrack          -         Network
Published on: 23 March 2025 8:19 PM IST
Gharelu Nuskhe News
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Gharelu Nuskhe News (Image From Social Media)

Gharelu Nuskhe: भारतीय परंपरा में अनेक बीमारियों का इलाज हमारे घरों में प्रयोग किये जाने वाले मसालों में भरा हुआ है। इसके अलावा कुछ औषधि माने जाने वाले पौधों में है। घरों में बहुत सारे नुस्खे दादी नानी की परंपरा में विरासत में एक से दूसरी जनरेशन को ट्रांसफर होते रहते हैं। लेकिन फिलहाल इनका संकलन कम मिलता है और वह भी छंद बद्ध कविता शैली में तो दुर्लभ है। ऐसे तमाम उपायों को छंद बद्ध कर लय में लाकर जनहित में संकलित करने का काम किया है राजस्थान के दौसा, सिकंदरा के बाबू लाल शर्मा,"बौहरा" ने। अद्भुत हैं ये छंद आप भी गुनगुना कर याद कर सकते हैं। लेकिन प्रयोग किसी वैद्य से परामर्श के बाद ही करें।

त्रिफला है अनमोल

हरड़े भरड़े आँवले, लो तीनो सम तोल। कूट पीस कर छानिए,त्रिफला है अनमोल।।

पाँच भाँति के नमक से,करो चूर्ण तैयार। दस्तावर है औषधि, कहते पंचसकार।।

ताजे माखन में सखी, केसर लेओ घोल। मुख व होठों पर लगा,रंग गुलाब अमोल।।

सूखी मेंथी लीजिए, खाएँ मन अनुसार। किसी तरह पहुँचे उदर,मेटे बहुत विकार।।

ठंड जुकाम भारी लगे, नाक बंद हो जाय। अजवायन को सेंक कर, सूंघे तो खुल जाय।।

चर्म रोग में पीसिए, अजवायन को खूब। लेप लगाओ साथिया,मिलता लाभ बखूब।।

वात पित्त कफ संतुलन

फोड़े फुंसी होय तो, अजवायन ले आय। नींबू रस में पीस कर,औषध मान लगाय।।

अजवाइन गुड़ घी मिला,हल्का गर्म कराय। वात पित्त कफ संतुलन, सर्दी में हो जाय।।

भारी सर्दी पोष की, करती बेदम हाल। अदरक नींबू शहद को,पीना संग उबाल।।

मेंथी अजवायन उभय,हरती उदर विकार। पाचन होता संतुलित, खाएँ किसी प्रकार।।

अदरक के रस में शहद, लेना सखे मिलाय। पखवाड़े नियमित रखो,श्वाँस कास मिटजाय।

मक्का की रोटी भली,खूब लगाओ भोग। पाचन के संग लाभ दे,क्षय में रखे निरोग।।

गाजर रस में आंवला

छाछ दही घी दूध ये, शुद्ध हमारा भोज। गाय पाल सेवा करो ,मेवा पाओ रोज।।

गाजर रस मय आँवला,पीना पूरे मास। रक्त बने भरपूर तो,नयनन भरे उजास।।

बथुआ केंहि विधि खाइए,मिले लाभ भरपूर। पाचन भी अच्छा करे, रहे बुढ़ापा दूर।।

चौंलाई में गुण बहुत, रक्त बढ़े भरपूर। हरी सब्जियों से रहे,मानुष तन मन नूर।।

पालक मेथी मूलियाँ,स्वास्थ्य रक्त दातार। हरी सब्जियां नित्य लो,रहलो सदाबहार।।

जूस करेला पीजिए, प्रतिदिन बारहो मास। मधुहारे तुमसे सदा, हो सुखिया आभास।।

दातुन महिमा

दातुन करिए नीम की,होय न दंत विकार। नीम स्वयं ही वैद्य है, समझो सही प्रकार।।

जामुन की दातुन करो, गुठली लेय चबाय। मधुमेही को लाभ हो ,प्रदर प्रमेह नशाय।।

दातुन करो बबूल की,हिलते कभी न दंत। तन मन शीतलता रहे, शूल बचाओ पंत।।

कच्ची पत्ती नीम की ,प्रातः नित्य चबाय। रक्त साफ करके सखे,यह मधुमेह मिटाय।।

सदाबहारी फूल जो, प्रात चबालो आप। दूर करे मधुमेह को, खाओ मधु को माप।।

तुलसी पत्ते औषधी, पीना सदा उबाल। कितनी भी सर्दी पड़े,होय न बाँका बाल।।

जोड़ों का दर्द भूल जाओ

चूर्ण बना कर आँवले, खाओ बारह मास। नहीं जरूरत वैद्य की,जब तक तन में श्वाँस।

संध्या भोजन बाद में, थोड़ा सा गुड़ खाय। पाचन भी अच्छा रहे, बुरी डकार न आय।।

लहसुन डालो तेल में,अजवायन अरु हींग। जोड़ो में मलते रहो , नहीं चुभेंगे सींग।।

सब्जी में खाओ लहसुन, हरता कई विकार। नेमी धर्मी डर रहे, खाएँ खूब विचार।।

कैसे भी खा लीजीए ,करे सदा ही लाभ। ग्वार पाठा बल खूब दे,आए तन में आभ।।

दाल चीनि जल घोल कर,पीजिए दोनो वक्त। पेचिस में आराम हो, मल हो जाए सख्त।।

स्वस्थ रहने का नुस्खा

दालचीनि मुख राखिए, जैसे पान सुबास। मुख कभी न आएगी, गन्दी श्वाँस कुबास।।

दूध पियो नित ही भला,हल्का मीठा डाल। ग्रीष्म ऋतु में पीजिए,संगत मिला रसाल।।

ग्वारपाठ रस आँवला ,करे पित्त को नष्ट। नित्य निहारा पीजीए,स्वास्थ्य रहेगा पुष्ट।।

तीन भाग रस आँवला,एक भाग मधु साथ। प्रातः सायं पीजिए, नेत्र नए हो जात।।

हल्दी डालें दूध में, छोटी चम्मच एक। कफ खाँसी के शूल मिट,स्वस्थ रहोगे नेक।।

हल्दी चम्मच एक भर, पीवे छाछ मिलाय। खुजली फुन्शी दाद भी,जल्दी से मिटजाय।।

सौ रोगों की औषधि

बेसन नींबू नीर मधु, सबको लेय मिलाय। चेहरे पर लेपन करो,सुन्दरता बढ़ि जाय।।

शहद मिला कर दूध पी,जीवन रहे निरोग। दीर्घायु होकर करो, जीवन के सुखभोग।।

भोजन के संग छाछ तो,होती अमरित मान। स्वस्थ पुष्ट तन मन रहे, बनी रहेगी शान।।

सौ रोगों की औषधी, देखी परखी मान। पिए गुनगुना नीर तो,बनी रहे तन जान।।

दिन के भोजन में रखो, दही कटोरी एक। पाचक रस निर्माण कर,मेटे व्याधि अनेक।।

अजवायन की भाप से,मिटे शीत के रोग। गर्म भाप को सूँघिए ,रहना शीत निरोग।।

पेट के लिए

लो अजवायन छाछ से,पेट रहे तन्दरुस्त। कीड़े मरते पेट के, भोजन करना मस्त।।

सौंफ हींग सेंधा नमक, पीपल उसमे डाल। जीरा छाछ मिला य पी, रहे न उदर मलाल।।

भूतों को सावन पिला, कार्तिक पिला सपूत। ग्रीष्मकाल में सब पियो,उत्तम छाछ अकूत।।

शर्मा बाबू लाल के, नुस्खे सब आदर्श। सोच समझ लेना मगर,करो वैद्य से मर्श।।

सोशल मीडिया से साभार

Ramkrishna Vajpei

Ramkrishna Vajpei

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