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Haunted Railway Station: भूतिया रेलवे स्टेशन जो रहा 47 साल तक बंद

Haunted Railway Station: इस रेलवे स्टेशन को साल 1960 में खोला गया था। लेकिन कुछ सालों बाद भूतों के चलते इसे बंद करना पड़ा।

Akshita Pidiha
Published on: 10 Jun 2023 1:23 PM GMT (Updated on: 10 Jun 2023 1:28 PM GMT)

Haunted Railway Station: आपने भूतों के किस्से सुने ही होंगे। पर कोई ऐसे स्टेशन का नाम सुना है, जिसे भूतों के नाम पर 47 साल तक बंद रखा गया। यह कहानी है पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले (Purulia) में स्थित बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन (Begun Kodar Railway Station) की।

इस रेलवे स्टेशन को साल 1960 में खोला गया था। कुछ सालों तक यह स्टेशन बाक़ी स्टेशनों की तरह ही कार्य कर रहा था। पर साल 1967 में स्टेशन मास्टर ने स्टेशन में भूत देखने का दावा किया और धीरे- धीरे यह बात हवा की तरह सभी आस पास क्षेत्रों में फैल गयी।

रहस्मयी तरीके से स्टेशन मास्टर की मौत

उससे भी बड़ी घटना यह हुई कि आने वाले कुछ दिनों में स्टेशन मास्टर और उसका पूरा परिवार रहस्यमय तरीक़े से स्टेशन में मृत पाया गया। जिसके बाद भूत वाली बात पर सभी को सच्चाई महसूस होने लगी। मौत का पता लगाने कि कोशिश की गयी पर कुछ भी सुबूत नहीं मिल पाए। लोगों का कहना था कि स्टेशन मास्टर ने स्टेशन में भूत देख लिया था। जिसके बाद भूत ने पूरे परिवार को ही ख़त्म कर दिया।

पर कहानी अब भी ख़त्म नहीं हुई है। कहा जाता है कि आत्माएं सूरज के ढलने के बाद ताकतवर हो जाती हैं। लोगों ने बताया कि शाम को जो भी ट्रेन यहां से गुजरती थी वह आत्मा ट्रेन की रफ्तार के साथ दौड़ती थी, कभी कभी उसे रेल की पटरियों पर भी चलते देखा गया था।

1967 में बंद हो गया ये भूतिया स्टेशन

इन अभी घटनाओं के बाद लोगों ने इसे भूतिया स्टेशन घोषित कर दिया। यहां के कर्मचारी भाग गए। साथ ही जिसकी वही इस स्टेशन में पोस्टिंग होती थी वो पोस्टिंग बदलवा लेता था। यहां से लोग ना ट्रेन में चढ़ना पसंद करते थे और ना ही उतरना। इस स्टेशन से गुजरने पर लोको पायलट स्वयं गाड़ी की गति बढ़ा लेता था, साथ ही लोग भी खिड़की दरवाज़े अंदर से बंद कर लिया करते थे। कुछ समय बाद यहां पर ट्रेन रोकना बंद कर दिया गया और रेलवे के रिकोर्ड में इसे स्टापेज से हटा दिया गया है। यहां की बात कोलकाता और रेल मंत्रालय तक पहुंच चुकी थी। आख़िर में इस स्टेशन को 1967 में बंद कर दिया गया।

1990 के दशक के अंत में ग्रामीणों ने एक समिति बनाई और अधिकारियों से स्टेशन को फिर से खोलने के लिए कहा। 2007 में, स्थानीय ग्रामीणों ने तत्कालीन रेल मंत्री इंदिरा गांधी को पत्र लिखा था। ममता बनर्जी और CPIM नेता बासुदेब आचार्य, जो पुरुलिया से ताल्लुक रखते हैं और उस समय रेलवे की संसदीय स्थायी समिति के सदस्य थे। 42 साल बाद यानी साल 2009 में ममता बेनर्जी के द्वारा इस स्टेशन को फिर से खुलवाया गया है। उन्होंने कहा वे इन दक़ियानूसी बातों पर यक़ीन नहीं करती हैं।

तब से लेकर अब तक इस स्टेशन पर किसी भूत के देखे जाने का दावा तो नहीं किया गया है। लेकिन अभी भी लोग सूरज ढलने के बाद स्टेशन पर रुकते नहीं हैं। यह स्टेशन इतना फ़ेमस हो गया कि इस स्टेशन पर कई बार पर्यटक घूमने के लिए भी आते हैं।

फिलहाल यहां करीब 10 ट्रेनें रुकती हैं। लेकिन लोगों में उस साये का डर इतना है कि शाम होने के बाद स्टेशन सुनसान हो जाता है। कोई भी यहां रुकना नहीं चाहता है।

Akshita Pidiha

Akshita Pidiha

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