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Motivational Story: जो संतुष्ट है वही सफल है
Motivational Story: मन का एक कल्पना लोक होता है,जिसमें वह बड़े-बड़े पदों पर आसीन होने का स्वप्न बुनते रहता है।
Motivational Story: व्यक्ति की सफलता न पद, न धन, न प्रसिद्धि पर निर्भर है,सफलता का मापदण्ड केवल और केवल संतुष्टि पर निर्भर है।यदि सब कुछ होते हुए भी कोई असंतुष्ट है तो वह जीवन का एक असफल व्यक्ति है।व्यक्ति को लगता है कि उसके पास धन हो जाएगा तो वह सफल हो जाएगा,जब उसके पास धन हो जाता है तब लगता है वह प्रसिद्ध हो जाएगा तो सफल हो जाएगा।फिर वह प्रसिद्धि का रास्ता खोजता है।कोई सरकारी पद मिल जाए तो अच्छा है,वरना किसी संस्था या संगठन में ही कोई पद प्राप्त हो जाए,जिससे लोग उससे प्रभावित हो जाएं।फिर वह पद पाने की अभिलाषा, पद पर बने रहने की युक्ति और पद से हट जाने के भय के अंतर्द्वन्द से जूझते रहता है।उसके मन का एक कल्पना लोक होता है,जिसमें वह बड़े-बड़े पदों पर आसीन होने का स्वप्न बुनते रहता है।
उन पदों के लिए वह अपने जीवन-मूल्यों से कहाँ-कहाँ और कितना समझौता करता है,यह स्वयं उसे भी पता नहीं होता।वह पद से ऐसे चिपका रहना चाहता है जैसे रक्त चूसने के लिए जोंक,लेकिन दिया गया पद तो एनकेन प्रकारेण एक दिन चला ही जाता है।फिर आँखों में अवसाद लिए हुए वह शेष जीवन जीने के लिए अभिशप्त होता है।वास्तव में सफलता तो वह है जो दूसरों पर निर्भर न करे, जिसके होने का भान स्वयं के अंदर हो।एक सामान्य व्यक्ति का जीवन जब उसकी सहजता में सभी अवसादों से मुक्त हो तब वह सफल है,वरना सफलता की चकाचौंध केवल और केवल मृग मरीचिका है।वह अवस्था कभी भी सफलता नहीं हो सकती जो सहज और सत्य बोलने के साहस का हरण कर ले।