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Bharat Ka Antim Hindu Raja: अकबर को हराकर दिल्ली पर कब्जा करने वाला कौन था वो भारत का अंतिम हिंदू राजा, जानिए विस्तार से

History of Hemchandra Vikramaditya: क्या आप जानते हैं कि अकबर को हराकर दिल्ली पर कब्जा करने वाला भारत का अंतिम हिंदू राजा कौन था ,जिनका बैरम ख़ां ने अपनी तलवार से सिर किया था धड़ से अलग आइये जानते हैं हेम चंद्र विक्रमादित्य (हेमू) के बारे में।

Jyotsna Singh
Published on: 17 Jan 2025 9:15 AM IST (Updated on: 17 Jan 2025 9:15 AM IST)
History of Hemchandra Vikramaditya
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History of Hemchandra Vikramaditya (Image Credit-Social Media)

History of Hemchandra Vikramaditya: अकबर जिसका पूरा नाम जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर था वह मुगल वंश का तीसरा शासक था। अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात अकबर महान), शहंशाह अकबर, महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है। सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का पौत्र और नासिरुद्दीन हुमायूं का पुत्र था। उन्होंने हिंदुस्तान की जमीन पर प्रशासनिक, सैन्य और धार्मिक पहलुओं में अपना प्रभाव और शक्ति बढ़ाई। जिससे उनके साम्राज्य की संपत्ति और आकार तीन गुना बढ़ गया। इसी कड़ी में बात अकबर के नेतृत्व में लड़े गए पानीपत के दूसरे ऐतिहासिक युद्ध की करें तो ये युद्ध अकबर और हेम चंद्र विक्रमादित्य (हेमू) के बीच लड़ा गया था। हेमू भारत के अंतिम हिंदू राजा थे। अकबर के शासनकाल में हेम चंद्र ऐसे वीर योद्धा और शासक रहे जिन्होंने मुगलों को हराकर दिल्ली पर कब्जा किया। भले थोड़े समय के लिए ही सही पर भारत विरोधी मुस्लिम शासकों के बीच हिन्दू राज स्थापित हुआ। इसका श्रेय इन्हीं सम्राट हेमू को दिया गया। हरियाणा के रेवाड़ी के रहने वाले हेमू ने अपने जीवन में कुल 22 जंग जीतीं। यही वजह रही कि इन्हें कुछ इतिहासकारों ने ‘मध्ययुग का समुद्र गुप्त’ और ‘नेपोलियन’ कहा। एक और इतिहासकार आरसी मजूमदार शेरशाह पर लिखी पुस्तक के एक अध्याय ’हेमू- अ फॉरगॉटेन हीरो’ में लिखते हैं, “पानीपथ की लड़ाई में एक दुर्घटना की वजह से हेमू की जीत हार में बदल गई, वर्ना उन्होंने दिल्ली में मुग़लों की जगह हिंदू राजवंश की नींव रखी होती।“सम्राट हेमू एक कुशल शासक होने के साथ-साथ बेहतरीन योद्धा भी थे। दुश्मनों ने भी उनकी बहादुरी का लोहा माना, लेकिन हेमू ने मुगलों को जिस तरह से शिकस्त दी उसकी चर्चा सबसे ज्यादा रही।

मुगलों को भारत से खदेड़ने की मिली बड़ी जिम्मेदारी

Story of Hemchandra Vikramaditya (Image Credit-Social Media)

Story of Hemchandra Vikramaditya (Image Credit-Social Media)

हेमू किसी रजवाड़े परिवार का वंशज नहीं था। लेकिन इस वीर योद्धा की खूबियों पर शेरशाह के बेटे इस्लाम शाह की नजर पड़ी और उन्होंने हेमू को डाक विभाग का प्रमुख बनाया। लेकिन जब उन्होंने हेमू का युद्ध कौशल को देखा तो उन्होंने हेमू को अपनी सेना में वो स्थान दे दिया जो शेरशाह सूरी के ज़माने में ब्रह्मजीत गौड़ को मिला करता था। यही नहीं शाही राजवंश के पहले शासक मोहम्मद आदिल शाह ने इन्हें अपने शासनकाल में ‘वकील ए आला’ यानि प्रधानमंत्री का दर्जा दिया। आदिल को जब इस बात की खबर मिली कि हुमायूं ने वापसी करके दिल्ली के तख्त पर कब्जा कर लिया है तो उन्होंने हेमू यह जिम्मेदारी सौंपी कि मुगलों को भारत से बाहर निकालें।

मुगल गवर्नर अब्दुल्लाह उज़बेग ख़ां और सिकंदर खां भय के मारे शहर छोड़ कर भागे (Mughal governors Abdullah Uzbeg Khan and Sikandar Khan fled the city out of fear of Hemu)

Story of Hemchandra Vikramaditya (Image Credit-Social Media)

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मुगलों को भारत से निकालने की मुहिम के चलते आदिल शाह की तरफ से महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने पर हेमू ने ऐसी सेना बनाई जिसमें 50 हजार सैनिक थे। 10 हजार हाथी और 51 तोपें थीं। हाथियों की सूढ़ों में तलवारें और बरछे बँधे हुए रहते थे और उनकी पीठ पर युद्ध कौशल में पारंगत तीरंदाज़ सवार थे।इससे पहले मुग़ल सेना ने युद्ध के मैदान में इतने लंबे चौड़े हाथी नहीं देखे थे। वो किसी भी फ़ारसी घोड़े से तेज़ दौड़ सकते थे और घोड़े और घुड़सवार को अपनी सूंढ़ से उठाकर हवा में फेंक सकते थे।“इसकी चर्चा इस कदर चारों तरफ फैली कि शत्रुओं में पसीने छूट गए। एक तो पहले ही हेमू की बहादुरी के चर्चे थे। फिर सेना को लेकर मुगलों से लड़ने की बात सुनकर कालपी और आगरा के मुगल गवर्नर अब्दुल्लाह उज़बेग ख़ां और सिकंदर खां डर के मारे शहर ही छोड़कर भाग निकले।

हेमू ने इस तरह दिल्ली पर कब्जा कर हिन्दू राज की करी थी स्थापना (This is how Hemu captured Delhi and Established Hindu Rule)

Story of Hemchandra Vikramaditya (Image Credit-Social Media)

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के.के भारद्वाज ने अपनी किताब ‘हेमू नेपोलियन ऑफ़ मीडिवल इंडिया में’ लिखा है कि मुगलिया सल्तनत में दिल्ली के गवर्नर टारडी ख़ां ने हेमू को रोकने की पूरी कोशिश की। 6 अक्तूबर, 1556 को हेमू दिल्ली पहुंचे और उन्होंने तुग़लकाबाद में फौज खड़ी कर दी। अगले दिन मुग़लों की सेना से भिड़ंत हुई जिसमें मुग़लों की हार हुई। टारडी खां अपनी जान बचाने के लिए पंजाब की ओर भागा क्योंकि वहां पहले से मुगलों की सेना मौजूद थी। इस तरह हेमू ने दिल्ली पर कब्जा किया और हिन्दू राज की स्थापना की। यहीं उन्हें महाराजा विक्रमादित्य की पदवी से नवाजा गया। उनके नाम के सिक्के बनवाए गए और दूरदराज के प्रांतों में उनके गवर्नर नियुक्त किए गए।

हेमू के भय से अकबर को रखा गया था सुरक्षित (Akbar was kept safe due to the fear of Hemu)

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जवाब हमले की तैयारी शुरू हुई। हेमू को जानकारी मिली की मुगल उन पर जवाबी हमले की योजना बना रहे हैं तो उन्हें अपनी तोपें पानीपत की ओर रवाना कीं। वहीं, बैरम खां ने भी कुली शैबानी के नेतृत्व में 10 हजार लोगों को पानीपत की तरफ भेजा। ये आम लोग नहीं थे। ये उज्बेक थे जिनकी गिनती ताकतवर लड़ाकू में की जाती थी। हेमू भी राजपूतों और अफगानों की सेना लेकर पानीपत पहुंचे। जेएम शीलत ने अपनी किताब ‘अकबर’ में लिखा है कि हेमू के भय से जहां जंग हो रही थी वहां से अकबर को थोड़ी दूर एक सुरक्षित जगह पर रखा गया। जंग की जिम्मेदारी बैरम खां ने अपने खास लोगों को दी।

हेमू की मौत की वजह बन एक बहादुरी लेकिन नासमझी भरा फ़ैसला (A Brave but Foolish Decision that Led to Hemu's Death)

Story of Hemchandra Vikramaditya (Image Credit-Social Media)

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साहसी योद्धा हेमू के खून में राष्ट्र भक्ति का लहू दौड़ता था। पानीपत की दूसरी लड़ाई में जब अकबर और हेमू के नेतृत्व में जब युद्ध लड़ा गया तब हेमू के हमले इतने सधे हुए थे कि उसने मुग़ल सेना के बाएं और दाहिने हिस्से में अफ़रा-तफ़री फैला दी। निरोद भूषण रॉय ने अपनी किताब ’सक्सेसर्स ऑफ़ शेरशाह’ में लिखा, “हेमू ने हमेशा हिंदू और मुसलमानों को अपनी दो आँखों की तरह समझा। पानीपत में वो हिंदुस्तान की प्रभुसत्ता के लिए मुग़लों से लड़े। उनकी सेना के दाहिने हिस्से की कमान सँभाली थी शादी ख़ाँ काकर ने जबकि बाएं हिस्से का नेतृत्व कर रहे थे राम्या। “लेकिन मध्य एशिया के घुड़सवारों को हल्के में नहीं लिया जा सकता था। हेमू के हाथियों के सिर पर सीधा हमला करने के बजाए उन्होंने उन पर तिरछा हमला किया ताकि हाथी पर सवार सैनिकों को नीचे गिराकर अपने तेज़-तर्रार घोड़ों तले रौंदा जा सके।“दोनों तरफ से जंग शुरू हई तब कुली शैबानी के तीरंदाजों ने हेमू की सेना पर तीरों की बारिश कर दी। जंग के दौरान हाथी पर सवार हेमू की आंख में तीर जा लगा।अबुल फजल ने अकबरनामा में लिखा कि जंग के दौरान हेमू ने कवच नहीं पहन रखा था और न ही उन्हें घुड़सवारी आती थी। यही उनकी सबसे बड़ी कमजोरी रही। मुगलों ने उनकी सेना को पछाड़ना शुरू कर दिया, लेकिन हेमू ने हिम्मत नहीं हारी। इतिहासकार हरबंस मुखिया अपनी किताब ’द मुग़ल्स ऑफ़ इंडिया’ में मोहम्मद क़ासिम फ़ेरिश्ता को कहते बताते हैं, “इस दुर्घटना के बाद भी हेमू ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपनी आँख के सॉकेट से तीर को निकाला और आंख को अपने रूमाल से ढ़क लिया।

इस तरह घायल हेमू को बनाया गया बंदी (This way Injured Hemu was Made Prisoner)

Story of Hemchandra Vikramaditya (Image Credit-Social Media)

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इसके बाद भी उन्होंने लड़ना जारी रखा। सत्ता पाने की भूख हेमू में अकबर से कम नहीं था।“ एक समय ऐसा भी आया जब हेमू अपने हाथी के हौदे में बेहोश होकर गिर पड़े। इस तरह की लड़ाई में जब भी सेनापति इस तरह से घायल होता था उसकी सेना की लड़ाई में दिलचस्पी जाती रहती थी। इसलिए जब अकबर और बैरम ख़ाँ युद्धस्थल पर पहुंचे तो उन्हें उनके सैनिक लड़ते हुए दिखने की जगह जीत की ख़ुशी मनाते हुए दिखाई दिए। अबुल फ़ज़ल लिखते हैं, “हेमू ने कभी भी घुड़सवारी नहीं सीखी थी। शायद यही वजह थी कि वो हाथी पर चढ़कर लड़ाई लड़ रहे थे। लेकिन शायद इसका ये भी कारण रहा हो कि अगर सेनापति हाथी पर सवार हो तो सभी सैनिक उसे दूर से देख सकते हैं। ऊपर से हेमू ने कोई कवच नहीं पहन रखा था। ये एक बहादुर लेकिन नासमझी भरा फ़ैसला था। निज़ामुद्दीन अहमद अपनी किताब ’तबाक़त ए अकबरी’ में लिखते हैं, “एक शाह क़ुली ख़ाँ ने एक हाथी को बिना महावत के भटकते हुए देखा। उसने अपने महावत को हाथी पर चढ़ने के लिए भेजा। जब महावत हाथी पर चढ़ा तो उसने उसके हौदे में एक घायल व्यक्ति को पड़े हुए पाया। ध्यान से देखने पर पता चला कि वो घायल शख्स और कोई नहीं हेमू था। पूरे मामले के महत्व को समझते हुए कुली ख़ाँ उस हाथी को हाँक कर बादशाह अकबर के सामने ले गया। इससे पहले उसने हेमू को ज़ंजीरों से बाँध दिया था।“

अकबर ने घायल हेमू पर तलवार चलाने से कर दिया था इंकार (Akbar Refused to use his Sword on the Injured Hemu)

Story of Hemchandra Vikramaditya (Image Credit-Social Media)

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अबुल फ़ज़ल लिखते हैं, “20 से अधिक लड़ाइयों के विजेता हेमू को रक्तरंजित हालत में 14 साल के अकबर के सामने पेश किया गया। बैरम ख़ाँ ने हाल ही में बादशाह बने अकबर से कहा कि वो अपने दुश्मन को अपने हाथों से मारें। अपने सामने पड़े घायल हेमू को देखकर अकबर झिझके। उन्होंने बहाना बनाते हुए कहा, ’मैंने पहले ही इसके टुकड़े कर दिए हैं। आसपास खड़े कुछ लोगों ने बैरम ख़ाँ को हेमू को मारने के लिए उकसाया। “

फ़ेरिश्ता का मानना है कि अकबर ने घायल हेमू को अपनी तलवार से छुआ भर, लेकिन विन्सेंट ए स्मिथ और हरबंस मुखिया का मानना है कि अकबर ने हेमू पर अपनी तलवार का इस्तेमाल किया। लेकिन आम धारणा ये है कि बैरम ख़ाँ ने अपनी तलवार से हेमू का सिर धड़ से अलग कर दिया।

इतिहासकारों का कहना है कि अगर वो कुछ और साल जिंदा रहते तो भारत में मुगलों की जगह हिन्दू राज की नींव रखी जाती।विन्सेंट ए स्मिथ अकबर की जीवनी में लिखते हैं, “अकबर विदेशी मूल के थे। उनकी रगों में बह रहे ख़ून की एक बूँद भी भारतीय नहीं थी। अपने पिता की तरफ़ से वो तैमूरलंग की सातवीं पीढ़ी से आते थे जबकि उनकी माँ फ़ारसी मूल की थीं। इसके विपरीत हेमू भारत की मिट्टी के थे और भारत की गद्दी और प्रभुसत्ता पर उनका दावा ज़्यादा बनता था। क्षत्रिय या राजपूत न होने के बावजूद हेमू ने अपने देश की आज़ादी के लिए युद्ध के मैदान पर अपनी आख़रि साँस ली। किसी योद्धा के लिए इससे महान अंत और क्या हो सकता है। एक किराने की दुकान से दिल्ली की गद्दी तक पहुंचना कम से कम उस ज़माने में बड़ी बात थी। अगर भाग्य ने उनके ख़लिफ़ होकर जीत को हार में न बदला होता तो भारत के इतिहास में दर्ज इबारतें कुछ बेहद जुदा किस्से बयां करती नजर आतीं।



Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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