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Holi 2022: होली में आधुनिकता का तड़का, लोगों के एकांकी होने का सबूत

Holi 2022: होली भी आधुनिकता के इस दौड़ से अछूता नहीं रह पाया है। आज होली पार्टी organise होती है। जिसमें एक खास amount देने पर ही आपकी entry होती है। इतना ही नहीं outfits के लिए dress code होता है।

Preeti Mishra
Written By Preeti MishraPublished By Deepak Kumar
Published on: 17 March 2022 5:02 PM IST
Holi 2022
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Holi 2022 (फोटो संभार -सोशल मीडिया)

Holi 2022: होली एक ऐसा त्यौहार जिसे Bollywood ने भी अपने सुनहरे परदे पर हमेशा खूबसूरती से दर्शाया। एक दूसरे के साथ मिल कर नाचना-गाना, भांग पीना और कुछ मजेदार शैतानियां करना ये सब होली के खूसूरत स्वरुप हैं, जो हम अपने बचपन से देखते आ रहे हैं। पहले होली में गांव, मोहल्लों, टोलों में लोगों के एक दूसरे से मिलने की भीड़ देखते ही बना करती थी।

लोग एक-दूसरे के दरवाज़े पर जा कर उन्हें होली खेलने के लिए आमंत्रित करते थे। अगर कोई आनाकानी करता था तो लोग उसे जबरदस्ती खींच कर बाहर निकालते और रंगों से सराबोर कर देते थे। उस मस्ती में एक-दूसरे के प्रति प्यार इतना था कि लोगों की इन हरकतों का बुरा नहीं माना करते थे। बल्कि उनकी ज़िन्दगी में अपने लिए एक खास जगह होने के खूबसूरत अहसास को जीया करते थे।

मगर जैसे-जैसे लोगों का जीवन स्तर सुधरता गया वैसे-वैसे लोगों के अंदर का अपनापन कम होता चला गया। हालात तो यहां तक हो गए हैं कि एक पडोसी को दूसरे की हालत का पता सोशल मीडिया से चलता है। ये सोशल मीडिया का प्लेटफार्म भी बड़ा गज़ब है, एक तरफ ये एक क्लिक में दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति को पल भर में जोड़ने की ताकत रखता है और दूसरी तरफ लोगों के दिलों के तारों को उतनी ही तेजी से दूर भी करता जा रहा है। खैर, आजकल का प्रचलन जो लगभग अब स्वाभाव बन चुका है कि कुछ भी करो उसे अपने लिए नहीं दूसरों को दिखाने के लिए सोशल मीडिया पर डाल दो। इसके लिए कई बार लोग अजब-गज़ब हथकंडे भी अपनाने से बाज़ नहीं आते।

होली भी आधुनिकता के दौड़ से अछूता नहीं

होली भी आधुनिकता के इस दौड़ से अछूता नहीं रह पाया है। आज होली पार्टी organise होती है। जिसमें एक खास amount देने पर ही आपकी entry होती है। इतना ही नहीं outfits के लिए dress code होता है। मतलब कुल मिलाकर आपको ख़ुशी पाने के लिए एक अच्छी खासी रकम खर्च करनी होती है जो पहले यूँ ही थोक के भाव में मिल जाया करती थी। खैर, अनजाने लोगों के बीच अपनी ख़ुशी तलाशते लोगों का एकमात्र सहारा सोशल मीडिया बन जाता है जहाँ से वो अपने लोगों को अपनी डांस so called मस्ती की फोटो video दिखाना शुरू कर देता है।

इतने खर्चों के बाद भी वो ख़ुशी वो उल्लास शायद ही उसे मिलता है जो कभी बड़े आराम से मिल जाया करती थी। शायद आपको भी याद हो पहले होली खेलने के लिए अपने सबसे पुराने कपड़ो में से किसी एक पहनने के लिए निकाला जाता था, क्योकि मान्यता के मुताबिक होली खेले गए कपड़ों को फेंक दिया जाता है।

होली खेलने के लिए नए कपड़ों की जरुरत बन गई आम

मगर अब आधुनिक होली में होली खेलने के लिए भी नए कपड़ों की जरुरत आम बन गयी है। लोग एक -दूसरे के स्तर को उसके पहनावे से जोड़ कर देखने लगें हैं। ढोलक ,ढोल और मंजीरों की जगह भले ही DJ ने ले ली हो मगर उस शोर शराबे में भी मन के किसी कोने में अशांति रह ही जाती है। पहले की होली भले कम भौतिक सुविधाओं से लैस थी मगर सौहार्द्र के मामले में आज की इस आधुनिक होली से कही ज्यादा मनमोहक थी। जहाँ लोगों की पहचान outfits से नहीं बल्कि व्यक्तित्व से हुआ करती थी। आज हम भले खुशियों को खरीदने के पैसे रखने की ताकत रखते हों लेकिन ये पैसे वाली खुशियों से वो प्यार वाली खुशियां दिल को ज्यादा सुकून पहुँचती थी।

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Deepak Kumar

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