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Eiffel Tower Kaise Bana: एफिल टॉवर का निर्माण कैसे हुआ... कभी सोचा है? आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी
Eiffel Tower History: एफिल टॉवर का निर्माण 1889 में आयोजित पेरिस वर्ल्ड फेयर के लिए किया गया था। आइए जानें इसके निर्माण की पूरी कहानी।
Eiffel Tower (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
Eiffel Tower History In Hindi: एफिल टॉवर (Eiffel Tower) न केवल पेरिस, बल्कि पूरी दुनिया के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है। इसे "ला टूर एफिल" (La Tour Eiffel) भी कहा जाता है। इस टॉवर का निर्माण 19वीं शताब्दी के अंत में हुआ था, और यह आज भी वास्तुकला और इंजीनियरिंग का एक अद्भुत नमूना बना हुआ है।
इस लेख में हम एफिल टॉवर के निर्माण की पूरी कहानी विस्तार से जानेंगे– इसके पीछे की योजना, निर्माण प्रक्रिया, तकनीकी चुनौतियाँ, और यह टॉवर कैसे विश्व प्रसिद्ध हुआ।
एफिल टॉवर के निर्माण की शुरुआत (Eiffel Tower Construction)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
एफिल टॉवर का निर्माण 1889 में आयोजित पेरिस वर्ल्ड फेयर (Exposition Universelle) के लिए किया गया था। इस मेले का आयोजन फ्रांसीसी क्रांति की 100वीं वर्षगांठ मनाने के लिए किया गया था। फ्रांस चाहता था कि इस अवसर पर एक ऐसी संरचना बनाई जाए जो न केवल आधुनिकता का प्रतीक बने, बल्कि विश्व में फ्रांस की तकनीकी और औद्योगिक शक्ति को भी प्रदर्शित करे।
इसके लिए फ्रांस की सरकार ने एक विशेष प्रतियोगिता आयोजित की, जिसमें कई इंजीनियरों और आर्किटेक्ट्स ने अपने डिज़ाइन प्रस्तुत किए। अंततः, इस प्रतियोगिता को गुस्ताव एफिल (Gustave Eiffel) की कंपनी ने जीत लिया।
हालांकि, शुरू में एफिल टॉवर के डिज़ाइन का बहुत विरोध हुआ, कई कलाकारों और बुद्धिजीवियों ने इसे "लोहे का राक्षस" (Iron Monster) कहा, लेकिन निर्माण के बाद यह दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित स्मारक बन गया।
डिजाइन और योजना (Eiffel Tower Design And Planning)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
एफिल टॉवर के डिज़ाइन को गुस्ताव एफिल की कंपनी में कार्यरत दो प्रमुख इंजीनियरों मॉरिस कोएचलिन (Maurice Koechlin) और एमिल नूगियर (Émile Nouguier) ने तैयार किया था। इन दोनों ने एक ऐसे टॉवर की कल्पना की थी जो बेहद ऊँचा होने के बावजूद मजबूत और हल्का हो।
इस टॉवर का डिज़ाइन मुख्य रूप से लोहे (Wrought Iron) से बनाया गया था। इसे हवा के दबाव को झेलने और प्राकृतिक बलों के अनुसार लचीला बनाया गया था ताकि यह बिना किसी नुकसान के खड़ा रह सके।
एफिल टॉवर की ऊँचाई उस समय के अन्य सभी इमारतों से अधिक थी। इसके पूरा होने के बाद, यह 40 वर्षों तक दुनिया की सबसे ऊँची संरचना बना रहा, जब तक कि 1930 में न्यूयॉर्क में क्राइसलर बिल्डिंग (Chrysler Building) नहीं बन गई।
निर्माण प्रक्रिया
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
एफिल टॉवर के निर्माण की प्रक्रिया बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण थी। इसमें हजारों श्रमिकों ने हिस्सा लिया और यह पूरी तरह से लोहे के 18,038 टुकड़ों को जोड़कर बनाया गया था।
1. निर्माण की शुरुआत (28 जनवरी 1887)
एफिल टॉवर का निर्माण 28 जनवरी 1887 को शुरू हुआ। सबसे पहले चार विशाल पायदान (Pillars) तैयार किए गए, जो इसकी नींव बने। इस संरचना को स्थिर बनाने के लिए जमीन में सुदृढ़ नींव (strong foundation) डाली गई।सेहन नदी (Seine River) के पास स्थित होने के कारण कुछ पायदानों के लिए गहरे कंक्रीट बेस का उपयोग किया गया।
2. मुख्य संरचना का निर्माण
एफिल टॉवर पूरी तरह धातु के टुकड़ों से बनाया गया था।ये टुकड़े फैक्ट्री में तैयार किए गए और फिर उन्हें rivets (लोहे की कीलें) के जरिए जोड़ा गया।इन जोड़ने वाले टुकड़ों को मिलाने के लिए 300 से ज्यादा श्रमिकों ने हवा में ऊँचाई पर चढ़कर काम किया।
3. अंतिम चरण और उद्घाटन (31 मार्च 1889)
31 मार्च 1889 को गुस्ताव एफिल ने टॉवर की चोटी पर फ्रांस का झंडा फहराया।यह टॉवर कुल 330 मीटर (1,083 फीट) ऊँचा है। टॉवर के निर्माण में 2 साल, 2 महीने और 5 दिन लगे।
निर्माण में आई चुनौतियाँ
विरोध और आलोचना:
जब इस टॉवर का डिज़ाइन प्रस्तुत किया गया, तो कई कलाकारों और बुद्धिजीवियों ने इसे "भद्दा" और "आधुनिक पेरिस की सुंदरता को नष्ट करने वाला" बताया।
तकनीकी कठिनाइयाँ:
इतनी ऊँची संरचना को संतुलित बनाए रखना एक बड़ी चुनौती थी।हवा के दबाव को सहन करने के लिए विशेष गणनाएँ की गईं।धातु के टुकड़ों को जोड़ने के लिए 25 लाख रिवेट्स का इस्तेमाल किया गया।
श्रमिकों की सुरक्षा:
ऊँचाई पर कार्यरत मजदूरों के लिए सुरक्षा एक बड़ी चिंता थी, लेकिन एफिल की टीम ने इसे सफलतापूर्वक प्रबंधित किया।
एफिल टॉवर का महत्त्व और विरासत
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
आज, एफिल टॉवर दुनिया के सबसे अधिक देखे जाने वाले स्मारकों में से एक है। हर साल 70 लाख से ज्यादा पर्यटक इसे देखने आते हैं।
वैज्ञानिक और रेडियो प्रयोग:
एफिल टॉवर का उपयोग रेडियो प्रसारण के लिए भी किया गया था।प्रथम विश्व युद्ध में इसका उपयोग सैन्य रेडियो संचार के लिए किया गया।
पर्यटन और वैश्विक प्रतिष्ठा:
एफिल टॉवर पेरिस का सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल है। इसे "प्रेम का प्रतीक" (Symbol of Love) भी कहा जाता है।
रोशनी और सौंदर्य:
रात में एफिल टॉवर को 20,000 बल्बों से सजाया जाता है।यह एक अद्भुत नज़ारा प्रस्तुत करता है, जिसे दूर से भी देखा जा सकता है।
टॉवर के बारे में रोचक तथ्य (Eiffel Tower Interesting Facts In Hindi)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
एफिल टॉवर को 1889 के वर्ल्ड फेयर (विश्व मेले) के केंद्रबिंदु के रूप में डिजाइन किया गया था। इसे वर्ल्ड ट्रेड फेयर के लिए बनाया गया था, ताकि फ्रांस की तकनीकी प्रगति और वास्तुशिल्पीय क्षमता को प्रदर्शित किया जा सके।बाद में इसे तोड़ जाना था लेकिन इसकी लोकप्रियता और सुंदरता के कारण इसे तोड़ा नहीं गया। आज एफिल टॉवर फ्रांस की संस्कृति का प्रतीक बन चुका है और विश्व के अजूबों में शामिल है।
निर्माण में लगा समय और डिज़ाइन (Eiffel Tower Kitne Samay Mein Bana Tha)
दुनिया के सबसे खास टॉवरों में शामिल एफिल टॉवर के निर्माण में 2 साल, 2 महीने और 5 दिन लगे थे। इस अद्भुत टॉवर को प्रसिद्ध इंजीनियर गुस्ताव एफिल ने डिजाइन किया था, और इसी कारण इसका नाम भी उनके नाम पर रखा गया।
पर्यटन और प्रसिद्धि
आज एफिल टॉवर दुनिया के सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। हर साल करोड़ों लोग इसे देखने पेरिस आते हैं। शाम के समय जब एफिल टॉवर रोशनी से जगमगाता है, तो इसकी सुंदरता और भी बढ़ जाती है।
एफिल टॉवर की ऊंचाई और संरचना (Eiffel Tower Height And Structure)
इस लोहे के टावर की ऊंचाई 300 मीटर है।सबसे ऊपरी माले तक पहुंचने के लिए 1,665 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।इस अद्भुत संरचना को बनाने में 18,038 लोहे के टुकड़े और 2.5 मिलियन कील का उपयोग किया गया था।निर्माण कार्य में 300 कारीगरों ने दिन-रात मेहनत की।
एफिल टॉवर और हिटलर (Eiffel Tower And Hitler Visit)
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब हिटलर पेरिस पहुंचा, तो एफिल टॉवर के लिफ्ट की केबल काट दी गई, ताकि वह टॉवर के शीर्ष पर न पहुंच सके। यह एक ऐतिहासिक घटना थी, जिसने एफिल टॉवर के महत्व को और बढ़ा दिया।
एफिल टॉवर की रोशनी और कॉपीराइट
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
रात के समय एफिल टॉवर पर जगमगाने वाली लाइट्स का डिज़ाइन कॉपीराइट से सुरक्षित है। इसलिए, रात के समय इसकी तस्वीर लेना गैरकानूनी माना जाता है, क्योंकि इसके कलाकारों के अधिकार सुरक्षित हैं।
एफिल टॉवर केवल एक इमारत नहीं, बल्कि इंजीनियरिंग, वास्तुकला और नवाचार का अद्भुत उदाहरण है। यह फ्रांस की पहचान बन चुका है और विश्वभर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
इसके निर्माण के पीछे की कहानी हमें सिखाती है कि कोई भी नया और क्रांतिकारी विचार शुरू में आलोचना झेल सकता है, लेकिन यदि उसमें योग्यता है, तो वह इतिहास में अपना स्थान बना सकता है। गुस्ताव एफिल और उनकी टीम ने इस अद्भुत संरचना का निर्माण कर दुनिया को यह संदेश दिया कि साहस और नवाचार से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।