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Human Body Language: आप अपनी बॉडी लैंग्वेज के प्रति कितने अलर्ट, छोटी-छोटी बातों पर गौर कर खुद को बनाए परफेक्शनिस्ट
Human Body Language: बॉडी लैंग्वेज एक किताब तरह होती है। जैसे हर पन्ने में अलग-अलग बातें होती हैं, उसी तरह हाव-भाव के पीछे भी अलग-अलग अर्थ छिपे होते हैं।
Human Body Language: हमारी बॉडी लैंग्वेज हमारे व्यक्तित्व का आइना होती है। हम सब के देखने, सुनने, खाने, पीने,बैठने, उठने, सोने, बात करने यानी इंसानी शरीर की एक- एक हरकत हमारे व्यक्तित्व को दर्शाती है। चूंकि हम सब एक सभ्य समाज का अंग हैं इसलिए इस बात का ख़्याल रखना बेहद जरूरी हो जाता है कि हमारी अपनी बॉडी लैंग्वेज के प्रति छोटी से छोटी लापरवाहियां कहीं समाज में लोगों के बीच हमें मजाक का पात्र न बना दें।
वहीं कुछ बातों का खयाल कर हम सभ्य समाज के बीच अपनी धाक जमा सकते हैं। बॉडी लैंग्वेज एक किताब तरह होती है। जैसे हर पन्ने में अलग-अलग बातें होती हैं, उसी तरह हाव-भाव के पीछे भी अलग-अलग अर्थ छिपे होते हैं। इसी तरह शरीर की भी भाषा हमारी बॉडी लैंग्वेज के माध्यम से दूसरों तक पहुंचती है। किसी के रवैये और उसकी मन की स्थिति के अनुरूप हो सकती है। जैसे दुख और सुख, हंसी, क्रोध और विलाप सहित अन्य कई भाव दे सकती है।
अगर चाहते हैं तरक्की तो बॉडी लैंग्वेज में इन बातों का रखें खास खयाल
हमारी अभिव्यक्ति सिर्फ शब्दों के जरिए ही नहीं होती बल्कि हमारे शरीर के अंगों द्वारा संचालित हाव भाव भी अभियक्ति का एक जरिया होते हैं। अपनी देह की भाषा पर हम ध्यान रखकर अपनी नौकरी, साक्षात्कार आदि ऐसी कई जगहों पर इन्हें बेहतर बनाकर सफलता हासिल कर सकते हैं।
आंखें हैं मूक भाषा का बेहतर माध्यम
.अगर हम समाज में कहीं बैठे हैं और अपनी आंखो की भाषा को भलीभाती प्रस्तुत करना नहीं जानते हैं तो यकीन मानिए आपको कई बार मजाक का पात्र बनना पड़ सकता है। खासकर ऑफिशियल मीटिंग्स और सेमिनार्स में यहां-वहां देखने वालों को गंभीर नहीं माना जाता है। आंखें हमेशा से साफ और स्पष्ट भाव से सामने वाले को देखती रहने से संवाद का स्तर बढ़ जाता है। इससे बेहतर परिणाम भी प्राप्त होते हैं।
आंखों के प्रयोग में सबसे ज्यादा ध्यान रखने वाली बात होती है कि आड़ा-तिरक्षा, गोल गोल घुमाकर वस्तुएं देखने की आदत से बचें। इसे प्रभावकारी नहीं माना जाता है। आप आंखों को घुमाने की जगह गर्दन घुमाकर कर वस्तु या व्यक्ति को देख सकते हैं।
अपने पैरों को सीधे रख खड़ा होना भी है एक बेहतर पॉश्चर
आंखों के बाद बात करते हैं अपने खड़े होने की मुद्राओं की। यदि आप अपने दोनों पैरों को सीधे रख खड़े होने की आदत डालें तो इससे बॉडी पॉश्चर बेहतर होने के साथ शरीर को आराम भी अधिक मिलता है। हालांकि लंबे समय तक स्थिर और एक मुद्रा में वार्ता संभव हो पाती है । लेकिन एक पैर पर हल्का मोड़कर अथवा तिरछे खड़े होने से आपके व्यक्तित्व पर अच्छा असर नहीं पड़ता है। सामने वाले के साथ आपका संवाद और विचार प्रवाह प्रभावित होता है।
अच्छा श्रोता होना भी है एक बेहतरीन मुद्रा
अक्सर लोगों की आदत होती है कि वो सिर्फ अपनी कहते हैं दूसरों को बोलने का अवसर ही नहीं देते। देहभाषा में हमारे कानों को भी महत्व दिया जाना चाहिए। अपनी ही बात कहते रहने की अपेक्षा स्वयं को सुनने की मुद्रा में भी बने रहने की आदत हमारे व्यक्तित्व को दर्शाती है। सामने वाला जब आपसे कोई आवश्यक बात कह रहा हो तो कुर्सी पर जमकर सीधे बैठे रहने की अपेक्षा व्यक्ति की ओर थोड़ा झुक कर उसकी बातों को ध्यानपूर्वक सुनना आपको अधिक प्रभावशाली बनाता है।
हाथ मिलाना भी है एक कला
समाज में हम जब हम लोगों से मिलते हैं तो जाहिर है कि भेंट के दौरान उसका अभिवादन करेंगे।यदि हम अगले व्यक्ति से बढ़कर हाथ मिलाते हैं तो इसका भी एक सलीका होता है। हमें हाथ हमेशा आदरभाव के साथ ही मिलाना चाहिए। दूसरे व्यक्ति से हाथ मिलाते समय तो हमें ताकत से या अधिक जोर देकर हाथ नहीं मिलाना चाहिए, फूहड़ता होती है। और न ही एकदम हल्के से हाथ बढ़ाना चाहिए इससे आत्मविश्वास में कमी झलकती है। हाथ मिलाएं तो पूरे आत्मविश्वास के साथ जिसमे वार्म वेलकम का भाव आना चाहिए । यदि आपको कहीं घबराहट या असहज प्रतीत होता है ऐसे में आपका हल्का सा मुस्कराकर दोनों हाथ जोड़कर अभिवादन करना भी आपकी बॉडी लैंग्वेज में इजाफा करता है।