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Indian Freedom Fighter History: ब्रिटिश राज में दो बार गईं जेल, जिनकी कविता आज भी बचपन की दिलाती है याद, आइए जानते हैं सुभद्रा कुमारी चौहान के बारे में
Freedom Fighter Subhadra Kumari Wiki in Hindi: सुभद्रा कुमारी चौहान हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। झाँसी की रानी उन्हीं की प्रसिद्ध कविता है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आइए जानें उनके बारे में डिटेल में।
Indian Women Freedom Fighter Subhadra Kumari Chauhan Biography (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
Subhadra Kumari Chauhan Biography In Hindi: सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) हिंदी साहित्य की एक अमर हस्ताक्षर थीं। वे अपनी ओजस्वी और देशभक्ति से ओत-प्रोत कविताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी रचनाएँ न केवल साहित्य प्रेमियों के लिए प्रेरणा हैं, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम (Indian Freedom Struggle) में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। उनकी कविता "झाँसी की रानी" (Jhansi Ki Rani) आज भी देशभक्ति और वीरता की मिसाल मानी जाती है।
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) जिले के निहालपुर गाँव में हुआ था। वे एक संपन्न और संस्कारी परिवार में पली-बढ़ीं। बचपन से ही उन्हें पढ़ाई-लिखाई और कविता लेखन में रुचि थी। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद में ही प्राप्त की और आगे चलकर उन्होंने अपनी शिक्षा क्रॉस्थवेट गर्ल्स स्कूल (Crosthwaite Girls' College) से पूरी की।
वैवाहिक जीवन (Subhadra Kumari Chauhan Husband)
सुभद्रा कुमारी चौहान का विवाह लक्ष्मण सिंह चौहान से हुआ, जो स्वयं भी स्वतंत्रता सेनानी थे। विवाह के बाद वे जबलपुर (मध्य प्रदेश) चली गईं और वहीं अपना जीवन व्यतीत किया। विवाह के बाद भी वे अपने साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी रहीं। उन्होंने अपने परिवार और राष्ट्र दोनों के प्रति कर्तव्यों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
सुभद्रा कुमारी चौहान का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान अतुलनीय था। वे महात्मा गांधी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुईं। सुभद्रा कुमारी चौहान का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान अतुलनीय था। 1921 में उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन में भाग लिया और वे असहयोग आंदोलन में हिस्सा लेने वाली पहली महिला बनीं। 1923 में राष्ट्रीय झंडा आंदोलन के दौरान उन्हें पहली बार जेल जाना पड़ा। इसके बाद 1941 में वे पुनः व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल गईं।
साहित्यिक यात्रा
सुभद्रा कुमारी चौहान की लेखनी में सरलता, प्रवाह और जोश का अद्भुत संगम था। उनकी कविताएँ जनमानस में सीधे उतर जाती थीं। वे मुख्य रूप से राष्ट्रीय भावना और नारी सशक्तिकरण से संबंधित कविताएँ लिखती थीं। उनकी प्रमुख रचनाओं में देशभक्ति, समाज सुधार और महिलाओं की स्थिति पर विशेष ध्यान दिया गया।
प्रमुख काव्य संग्रह (Subhadra Kumari Chauhan Poetry)
मुकुल- यह उनका पहला काव्य संग्रह था जिसमें उनकी प्रारंभिक कविताएँ संकलित थीं।
त्रिधारा- यह संग्रह भी उनके श्रेष्ठ काव्य रचनाओं में से एक माना जाता है।
झाँसी की रानी- यह कविता उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना है, जिसमें झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के वीरतापूर्ण जीवन को चित्रित किया गया है।
प्रमुख कविताएँ (Subhadra Kumari Chauhan Poem)
झाँसी की रानी- यह कविता उनकी सबसे अधिक प्रसिद्ध और प्रेरणादायक रचना मानी जाती है। इसमें उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान और साहस को अद्भुत रूप में प्रस्तुत किया है। इसकी पंक्तियाँ- "खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।" आज भी हर भारतीय को गर्व से भर देती हैं।
विदाई संदेश- यह कविता उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपने योगदान के दौरान लिखी थी।
जलियाँवाला बाग में वसंत- इस कविता में जलियाँवाला बाग हत्याकांड की पीड़ा को मार्मिक रूप से व्यक्त किया गया है।
सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली
सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली अत्यंत सरल, सुबोध और भावनात्मक थी। उनकी कविताओं में ओज, वीरता, देशभक्ति और समाज सुधार की भावना स्पष्ट रूप से झलकती है। उनकी रचनाओं में कहीं भी कठिन शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया, जिससे उनकी कविताएँ हर वर्ग के पाठकों के लिए सहज और प्रेरणादायक बन गईं।
सुभद्राजी की भाषा सीधी, सरल तथा स्पष्ट एवं आडम्बरहीन खड़ीबोली है। दो रस इन्होंने चित्रित किए हैं–वीर तथा वात्सल्य। अपने काव्य में पारिवारिक जीवन के मोहक चित्र भी इन्होंने अंकित किए, जिनमें वात्सल्य की मधुर व्यंजना हुई है।
नारी सशक्तिकरण पर विचार
सुभद्रा कुमारी चौहान नारी सशक्तिकरण की प्रबल समर्थक थीं। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से महिलाओं को समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने का प्रयास किया। उनकी रचनाओं में महिलाओं की स्थिति, उनके अधिकार और उनके संघर्ष को प्रमुखता से स्थान दिया गया है।
सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन बहुत लंबा नहीं रहा। 15 फरवरी 1948 को जबलपुर में एक सड़क दुर्घटना में उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु से हिंदी साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम में एक अपूरणीय क्षति हुई।
सुभद्रा कुमारी चौहान की लेखनी में सरलता, प्रवाह और जोश का अद्भुत संगम था। उनकी कविताएँ जनमानस में सीधे उतर जाती थीं। वे मुख्य रूप से राष्ट्रीय भावना और नारी सशक्तिकरण से संबंधित कविताएँ लिखती थीं। उनकी प्रमुख रचनाओं में देशभक्ति, समाज सुधार और महिलाओं की स्थिति पर विशेष ध्यान दिया गया।
महादेवी वर्मा से संबंध
सुभद्रा कुमारी चौहान और महादेवी वर्मा के बीच गहरी मित्रता थी। जब सुभद्रा जी क्रॉस्थवेट गर्ल्स स्कूल में आठवीं कक्षा में थीं, तब महादेवी वर्मा छठी कक्षा में वहाँ आईं। दोनों को एक ही कमरा मिला। एक दिन सुभद्रा जी ने महादेवी को डायरी में कुछ लिखते देखा और जबरदस्ती उनकी कविताएँ पढ़ीं। इससे वे इतनी प्रभावित हुईं कि पूरे होस्टल में उनकी कविताओं का प्रचार कर दिया। इस तरह महादेवी वर्मा को कवयित्री के रूप में खोजने का श्रेय सुभद्रा कुमारी चौहान को जाता है। विवाह के बाद जबलपुर रहने के बावजूद, जब भी वे प्रयागराज आतीं, महादेवी वर्मा के घर ही ठहरती थीं।
पुरस्कार और सम्मान
सुभद्रा कुमारी चौहान को हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
1931 में उनके "मुकुल" काव्य संग्रह के लिए सेकसरिया पारितोषिक दिया गया।
1932 में उनके कहानी संग्रह "बिखरे मोती" के लिए उन्हें फिर से सेकसरिया पारितोषिक प्राप्त हुआ।
6 अगस्त 1976 को भारतीय डाक विभाग ने उनके सम्मान में 25 पैसे का स्मारक डाक टिकट जारी किया।
उनकी कविताएँ आज भी स्कूलों और महाविद्यालयों में पढ़ाई जाती हैं। उनके सम्मान में भारत सरकार ने उनके नाम पर एक डाक टिकट भी जारी किया। जबलपुर में उनके नाम पर एक सड़क और सार्वजनिक स्थान का नाम रखा गया है। उनका जीवन और कृतित्व आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करता है।
15 फरवरी 1948 को जबलपुर में एक सड़क दुर्घटना में सुभद्रा कुमारी चौहान का आकस्मिक निधन हो गया। उनकी मृत्यु से हिंदी साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम में एक अपूरणीय क्षति हुई। किंतु राष्ट्रवादी भावनाओं से ओत-प्रोत उनकी रचनाएँ आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। उनकी कविताएँ आज भी स्कूलों और महाविद्यालयों में पढ़ाई जाती हैं। उनके सम्मान में जबलपुर में एक सड़क और सार्वजनिक स्थान का नाम रखा गया है।
सुभद्रा कुमारी चौहान न केवल एक महान कवयित्री थीं, बल्कि एक सशक्त महिला और स्वतंत्रता सेनानी भी थीं। उनकी रचनाएँ समाज में आज भी नई ऊर्जा और प्रेरणा प्रदान करती हैं। उनका योगदान हिंदी साहित्य और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अमिट रहेगा।