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International Women's Day 2025: इंदिरा गांधी, भारतीय महिलाओं की शक्ति और सशक्तिकरण की प्रतीक
Women's Day 2025: "महिलाओं को शक्ति संपन्न बनाना केवल एक सामाजिक सुधार नहीं, बल्कि राष्ट्र के विकास का अनिवार्य तत्व है।" –इंदिरा गांधी
Indira Gandhi (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
International Women's Day 2025: जब भी भारत में महिला सशक्तिकरण की बात होती है, तो इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) का नाम सबसे पहले लिया जाता है। वे न केवल भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थीं, बल्कि अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति, दूरदर्शिता और राजनीतिक कुशलता से उन्होंने भारतीय राजनीति में एक अमिट छाप छोड़ी। पुरुष-प्रधान राजनीति में उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई और यह सिद्ध किया कि महिलाएं न केवल नेतृत्व कर सकती हैं, बल्कि देश और समाज की दिशा भी बदल सकती हैं।
इंदिरा गांधी सिर्फ भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री ही नहीं, बल्कि विश्व की कुछ सबसे प्रभावशाली महिलाओं में से एक थीं। उन्होंने भारतीय महिलाओं को नेतृत्व करने और अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा दी। उनके प्रयासों से भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत राष्ट्र बना। उनकी राजनीतिक इच्छाशक्ति, निर्णय लेने की क्षमता और साहस ने उन्हें भारतीय राजनीति का एक अमिट चेहरा बना दिया। आज भी वे महिला सशक्तिकरण की प्रतीक मानी जाती हैं। इस महिला दिवस पर, आइए उनके जीवन और योगदान को एक महिला-प्रेरित दृष्टिकोण से समझने का प्रयास करते हैं-
एक लड़की से ‘लौह महिला’ बनने तक का सफर
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को एक राजनीतिक रूप से सक्रिय परिवार में हुआ। उनके पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। एक लड़की के रूप में, उन्होंने राजनीति को केवल दूर से नहीं देखा, बल्कि उसमें गहराई से जुड़कर अनुभव प्राप्त किया।
बचपन में, वे एकांतप्रिय और आत्मनिर्भर थीं, लेकिन उनके भीतर नेतृत्व की अद्वितीय क्षमता थी। उन्होंने ‘वानर सेना’ नामक बच्चों का एक समूह बनाया, जो स्वतंत्रता संग्राम में छोटे-छोटे कार्यों के माध्यम से योगदान देता था। यह उनकी नेतृत्व क्षमता का प्रारंभिक संकेत था। इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू की इकलौती संतान थीं। उनका बचपन राजनीतिक माहौल में बीता, क्योंकि उनके पिता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभा रहे थे।
इंदिरा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पुणे, शांति निकेतन और बाद में इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से प्राप्त की। वे महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित थीं और बचपन से ही वे एक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर व्यक्तित्व की धनी थीं।
राजनीति में प्रवेश (Indira Gandhi Political Debut)
स्वतंत्रता के बाद, 1947 में जब नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने, तब इंदिरा उनकी करीबी सहयोगी बनीं। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से सक्रिय रूप से जुड़ी रहीं और 1959 में पार्टी की अध्यक्ष बनीं। नेहरू की मृत्यु के बाद 1964 में लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने और इंदिरा गांधी को सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया।
महिला नेतृत्व की मिसाल: राजनीति में प्रवेश और संघर्ष
भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी उस समय सीमित थी, लेकिन इंदिरा गांधी ने इस धारणा को तोड़ा। 1959 में, जब वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं, तब यह स्पष्ट हो गया कि वे सिर्फ अपने पिता की छाया में रहने वाली महिला नहीं हैं, बल्कि अपने बलबूते राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाएंगी।
1966 में, जब उन्हें भारत की प्रधानमंत्री चुना गया, तब भी कुछ लोग उन्हें मात्र "गूंगी गुड़िया" समझते थे। लेकिन उन्होंने जल्द ही यह साबित कर दिया कि वे कठोर निर्णय लेने में सक्षम हैं और देश को एक नई दिशा दे सकती हैं।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में उनके योगदान
(फोटो साभार -सोशल मीडिया)
इंदिरा गांधी का सबसे बड़ा गुण यह था कि वे कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने निर्णय लेने की क्षमता रखती थीं। चाहे वह 1971 का युद्ध हो, बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो, या फिर हरित क्रांति को बढ़ावा देना– हर मोर्चे पर उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए मजबूत फैसले लिए। उनके नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज में महिलाओं की भूमिका को भी नया बल मिला।
'गरीबी हटाओ' और महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता
उन्होंने "गरीबी हटाओ" का नारा दिया, जो महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। जब किसी परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरती है, तो महिलाओं को भी अधिक अवसर मिलते हैं। उन्होंने ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार योजनाएं और बैंकिंग सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
शिक्षा और महिला सशक्तिकरण
इंदिरा गांधी ने महिला शिक्षा को प्राथमिकता दी। उनका मानना था कि यदि एक महिला शिक्षित होगी, तो पूरा परिवार शिक्षित होगा। उनके प्रयासों के कारण महिलाओं के लिए शिक्षा के द्वार और अधिक खुले।
राजनीति में महिलाओं की भूमिका को बढ़ावा
इंदिरा गांधी ने अपनी सफलता से यह साबित किया कि महिलाएं राजनीति में केवल सहयोगी नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका निभाने में सक्षम हैं। उनकी प्रेरणा से आगे चलकर कई महिलाओं ने राजनीति में प्रवेश किया और नेतृत्व की भूमिका निभाई।
चुनौतियों का सामना और महिलाओं के लिए प्रेरणा
इंदिरा गांधी का जीवन चुनौतियों से भरा था। 1975 में आपातकाल लागू करने के कारण उनकी आलोचना हुई, 1977 में चुनाव हारना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और 1980 में फिर से सत्ता में वापसी की। यह उनकी अदम्य इच्छाशक्ति को दर्शाता है।
इंदिरा गांधी ने 1942 में फिरोज गांधी से शादी की, लेकिन फिरोज गांधी का 1960 में निधन हो गया। उनकी पारिवारिक जिम्मेदारियां और राजनीतिक दबाव के बावजूद, उन्होंने अपने दोनों बेटों – राजीव गांधी और संजय गांधी – का पालन-पोषण बहुत ही कुशलता से किया।
1980 में जब उनके छोटे बेटे संजय गांधी की एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई, तब वे गहरे व्यक्तिगत संकट से गुजरीं। इसके बावजूद, वे अपने कर्तव्यों से विचलित नहीं हुईं और देश को आगे बढ़ाने में जुटी रहीं।
शहादत और विरासत
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
31 अक्टूबर 1984 को, ऑपरेशन ब्लू स्टार के कारण हुए असंतोष के चलते, उनके ही सिख अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर दी। उनकी मृत्यु के बाद देशभर में हिंसा फैल गई, लेकिन उनकी राजनीतिक विरासत को उनके पुत्र राजीव गांधी ने आगे बढ़ाया। महिला के तौर पर अर्जित की हुई उनकी विरासत आज भी महिलाओं को प्रेरित करती है कि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ें, अपनी क्षमताओं पर विश्वास करें और हर चुनौती का सामना साहस से करें।
आज की महिलाओं के समक्ष इंदिरा गांधी हैं एक सशक्त प्रेरणा
आज, जब हम महिला दिवस मना रहे हैं, तो इंदिरा गांधी की शख्शियत एक सशक्त मिसाल पेश करती है कि, तमाम दुश्वारियों और चुनौतियों को मात देते हुए महिलाएं राजनीति, समाज, अर्थव्यवस्था और हर क्षेत्र में नेतृत्व करने की क्षमता रखती हैं। उन्होंने व्यक्तिगत जीवन की कठिनाइयों को राष्ट्रहित से ऊपर नहीं रखा। उन्होंने अपनी मेहनत और दूरदर्शिता से भारत को एक सशक्त राष्ट्र बनाया।
वे हर उस महिला के लिए प्रेरणा हैं, जो राजनीति, प्रशासन, या किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती है। इंदिरा गांधी की यात्रा केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक विचारधारा की यात्रा थी – वह विचारधारा, जो महिलाओं को सशक्त, स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रेरित करती है। "अगर कोई कहे कि महिलाएं राजनीति में कमजोर हैं, तो इंदिरा गांधी का नाम ही सबसे बड़ा उत्तर है।"
इंदिरा गांधी की कही यह पंक्ति हमें हमेशा प्रेरित करेगी:
"अगर मैं इस देश की सेवा करते हुए मर भी जाऊं, तो मुझे इसका गर्व होगा।"