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Isaac Newton Biography: न्यूटन के नियम तो जान लिए, यहां जानें लॉ की खोज करने वाले वैज्ञानिक के बारे में
Isaac Newton Ki Khoj: आइज़ैक न्यूटन एक महान गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिष एवं दार्शनिक थे। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण के नियम, गति के सिद्धांत और कैलकुलस की नींव रखी, जिसने विज्ञान को एक नई दिशा देने का काम किया।
Isaac Newton Ka Jivan Parichay: आइज़ैक न्यूटन (1643-1727) को इतिहास में सबसे महान वैज्ञानिकों और गणितज्ञों में से एक माना जाता है। उनका योगदान भौतिकी, गणित, खगोलशास्त्र और दर्शन के क्षेत्रों में अमूल्य है। न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सार्वभौमिक नियम (Newton's Law Of Universal Gravitation), गति के नियम (Newton's Laws Of Motion) और कैलकुलस (Calculus) की नींव रखी, जिसने विज्ञान को एक नई दिशा दी। उनका जीवन और कार्य विज्ञान के प्रति मानव जाति के दृष्टिकोण को बदलने का प्रतीक हैं।
प्रारंभिक जीवन (Isaac Newton Early Life)
आइज़ैक न्यूटन का जन्म 4 जनवरी, 1643 को इंग्लैंड के लिंकनशायर काउंटी के एक छोटे से गांव वूल्सथॉर्प में हुआ। उनके पिता, जिनका नाम भी आइज़ैक न्यूटन था, उनकी मां हन्ना ऐस्कॉफ के गर्भवती होने से तीन महीने पहले ही चल बसे थे। उनके पिता एक साधारण किसान थे। न्यूटन का बाल्यकाल कठिनाइयों से भरा था। उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली, जिससे न्यूटन को उनके नाना-नानी के पास भेज दिया गया। न्यूटन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रांथम के एक स्कूल से प्राप्त की। स्कूली दिनों में ही उन्हें यांत्रिक उपकरण (Mechanical Device) बनाने और खगोलशास्त्र (Astronomy) में रुचि थी।
कॉलेज का जीवन (Isaac Newton Education In Hindi)
न्यूटन ने 1661 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में दाखिला लिया। यहां उन्होंने गणित, दर्शन और खगोल विज्ञान का अध्ययन किया। 1665 में प्लेग महामारी के कारण न्यूटन को अपने गांव लौटना पड़ा। इस दौरान उन्होंने गुरुत्वाकर्षण और कैलकुलस पर काम किया। 1665-1667 का यह समय न्यूटन के जीवन का सबसे रचनात्मक काल माना जाता है।
न्यूटन के विवाद (Isaac Newton Controversy)
हालांकि न्यूटन का लेबिनिट्ज के साथ विवाद रहा था कि पहले कैल्क्यूलस काआविष्कार किसने किया। लेकिन विज्ञान जगत मानता है कि दोनों ने स्वतंत्र रूप से यह किया था। लेकिन अंग्रेजी के व्यापक होने के कारण न्यूटन को स्वीकृति पहले मिली थी। यह भी कहा जाता है कि लेबनिट्ज ने काफी पहले कैल्क्यूलस बना लिया था। लेकिन दुनिया के समाने आने में देर लगी। काफी समय बाद लेबनिट्ज के योगदान को महत्व दिया जा सका। वैज्ञानिक योगदान-
1. गुरुत्वाकर्षण का नियम (Law Of Gravity)
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का सार्वभौमिक नियम विज्ञान के सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक है।न्यूटन को सेब के गिरने की घटना से प्रेरणा मिली, जिससे उन्होंने यह समझा कि पृथ्वी की ओर गिरने वाली वस्तुओं पर एक अदृश्य बल काम करता है।यह बल पृथ्वी से चंद्रमा तक फैला हुआ है और ब्रह्मांड की हर वस्तु पर लागू होता है।
गुरुत्वाकर्षण का सूत्र: F= Gm1m2r2F = G -frac{m_1 m_2}{r^2}, जहां GG गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक है।
2. गति के तीन नियम (Law Of Motion)
न्यूटन ने 1687 में प्रकाशित अपनी पुस्तक "प्रिंसिपिया मैथेमेटिका" में गति के तीन नियम दिए।
प्रथम नियम (जड़त्व का नियम): यदि कोई वस्तु स्थिर है या एकसमान गति से चल रही है, तो वह तब तक उसी अवस्था में रहेगी जब तक उस पर कोई बाहरी बल न लगाया जाए।
द्वितीय नियम (बल और त्वरण का नियम): किसी वस्तु पर लगाया गया बल उसके द्रव्यमान और त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है। F=maF = ma
तृतीय नियम (क्रिया और प्रतिक्रिया): प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है।
3. प्रकाश और वर्णक्रम
न्यूटन ने प्रकाश के स्वभाव और उसके विभाजन का अध्ययन किया। उन्होंने सिद्ध किया कि सफेद प्रकाश कई रंगों का मिश्रण होता है। उन्होंने प्रिज्म का उपयोग करके प्रकाश को उसके घटक रंगों में विभाजित किया।
4. कैलकुलस का विकास (Calculus)
न्यूटन ने गणित की एक नई शाखा कैलकुलस का आविष्कार किया, जो आधुनिक विज्ञान और इंजीनियरिंग की नींव है।
5. खगोलशास्त्र में योगदान (Contribution to Astronomy)
न्यूटन ने खगोलशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने बताया कि ग्रहों की गति को गुरुत्वाकर्षण और जड़त्व से समझा जा सकता है। उनका कार्य जोहानेस केपलर के ग्रहों के गति के नियमों पर आधारित था।
न्यूटन का व्यक्तिगत जीवन (Isaac Newton Personal Life)
न्यूटन ने कभी शादी नहीं की और वे अपना अधिकांश समय विज्ञान और अध्यात्म के अध्ययन में लगाते थे। उन्हें अकेला और अंतर्मुखी माना जाता था। उनके धार्मिक विश्वास गहरे थे और उन्होंने धर्मग्रंथों का गहन अध्ययन किया।
आइज़ैक न्यूटन सिर्फ विज्ञान तक सीमित नहीं थे; उनका झुकाव ब्रह्मविज्ञान (थियोलॉजी) और अलकेमी (रसायन विद्या) की ओर भी था। ब्रह्मविज्ञान के क्षेत्र में उन्होंने बाइबल की गहराई से अध्ययन किया। लेकिन चर्च से जुड़े पवित्र आदेश लेना पसंद नहीं किया। उनके लेखन में ब्रह्मविज्ञान का एक विशेष स्थान था।
अलकेमी में भी न्यूटन की गहरी दिलचस्पी थी। यह प्राचीन विद्या रसायन शास्त्र का आरंभिक रूप मानी जाती है, जिसमें धातुओं को सोने में बदलने और अमृत की खोज के प्रयास शामिल थे। उनके लिखे गए लेखों के लगभग एक करोड़ शब्दों में से करीब दस लाख शब्द अलकेमी पर आधारित थे। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका कि न्यूटन ने इस विद्या में वैज्ञानिक खोज के लिए रुचि ली या किसी और उद्देश्य से।
महामारी के दौरान न्यूटन का होम क्वारंटाइन (Quarantine)
1665 में इंग्लैंड में प्लेग महामारी (Plague Epidemic) फैलने के कारण कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय बंद हो गया। न्यूटन अपनी मां के घर लिंकनशायर के फार्म पर चले गए। दो साल तक चले इस क्वारंटाइन के दौरान न्यूटन ने कई ऐतिहासिक खोजें कीं।
यही वह समय था जब उन्होंने कैलकुलस, प्रकाश विज्ञान और गुरुत्वाकर्षण से संबंधित प्रयोग किए। मशहूर किस्सा है कि उन्होंने बगीचे में सेब गिरते देखा और गुरुत्वाकर्षण का विचार उनके मन में आया। हालांकि, इस घटना की सत्यता पर सवाल उठते हैं। लेकिन इस दौरान न्यूटन ने यह सिद्ध किया कि पृथ्वी पर वस्तुओं को आकर्षित करने वाला बल वही है जो ग्रहों और अन्य खगोलीय पिंडों पर भी काम करता है।
प्रकाश विज्ञान में क्रांति
क्वारंटाइन के दौरान न्यूटन ने प्रकाश पर भी शोध किया। उन्होंने यह सिद्ध किया कि सफेद प्रकाश, विभिन्न रंगों का मिश्रण है। इसके लिए उन्होंने प्रिज्म का उपयोग किया और प्रकाश के वर्णक्रम को समझाया।उन्होंने ‘न्यूटोनियन टेलीस्कोप’ का आविष्कार किया, जो परावर्तक दूरबीन का पहला संस्करण था। यह दूरबीन उनके प्रकाश संबंधी प्रयोगों का ही परिणाम थी।
कामयाबी का सफर
1667 में महामारी समाप्त होने के बाद न्यूटन वापस कैम्ब्रिज लौटे। उनकी विलक्षण प्रतिभा के कारण उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज का फैलो चुना गया। 1669 में, उन्हें गणित के ल्यूकेसियन प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया, जो उनके करियर का एक बड़ा मोड़ था।
न्यूटन के शोध कार्यों को व्यापक स्वीकृति मिली। 1672 में, उन्हें लंदन की रॉयल सोसाइटी का फैलो चुना गया। उनके पहले शोध पत्र "ए न्यू थ्योरी अबाउट लाइट एंड कलर्स" में उन्होंने बताया कि सफेद प्रकाश विभिन्न रंगों का मिश्रण है। हालांकि, उनके इस शोध पर रॉबर्ट हुक और क्रिश्चियन हाइगेन्स ने सवाल उठाए। हुक ने यहां तक आरोप लगाया कि न्यूटन ने उनके काम को चुरा लिया।
राजनीतिक और सामाजिक जीवन
अपने वैज्ञानिक करियर के साथ, न्यूटन ने राजनीति में भी रुचि दिखाई। 1696 में, उन्हें इंग्लैंड के मिंट (टकसाल) का प्रमुख बनाया गया। यहां उन्होंने नकली सिक्कों की समस्या को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सम्मान और पद
आइज़ैक न्यूटन की प्रमुख रचना “फिलोसोफी नेचुरलिस प्रिंसिपिया मैथेमेटिका” 1687 में प्रकाशित हुई थी। यह वैज्ञानिक विचार की आधारशिला है, जिसने क्लासिकल मैकेनिक्स की नींव रखी। बाद में न्यूटन ने इंग्लैंड के सिक्कों में सुधार करते हुए मिंट के मास्टर के रूप में कार्य किया और फिर वे रॉयल सोसाइटी के अध्यक्ष बने। उन्हें 1705 में नाइट की उपाधि दी गई थी। गणित में न्यूटन के योगदान में कैलकुलस का स्वतंत्र विकास शामिल है।
न्यूटन का निधन 1727 में हुआ लेकिन उनकी विरासत आज भी कायम है जिसने भौतिकी गणित और खगोल विज्ञान को गहराई से प्रभावित किया है। गति और गुरुत्वाकर्षण के उनके नियम विज्ञान में मौलिक सिद्धांत बने हुए हैं। न्यूटन को उनके जीवनकाल में कई सम्मानों से नवाजा गया।1705 में उन्हें सर की उपाधि से नवाजा गया।वे रॉयल सोसाइटी के अध्यक्ष बने।
अंतिम दिनों का संघर्ष और रहस्य
न्यूटन का जीवन उनके अंतिम वर्षों में बेहद रहस्यमय हो गया। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जूझते हुए, वे गहरी निराशा में चले गए। उन्होंने लोगों से मिलना-जुलना कम कर दिया और कई जरूरी दस्तावेजों को नष्ट कर दिया। कहा जाता है कि इनमें से कुछ दस्तावेज उनकी अलकेमी से जुड़ी खोजों के थे।
उनकी मृत्यु 31 मार्च, 1727 को हुई। बताया जाता है कि वे सोते समय शांतिपूर्वक चल बसे। मृत्यु के बाद उनके शरीर में बड़ी मात्रा में पारा पाया गया, जिससे उनकी अलकेमी से जुड़ी गतिविधियों पर कई सवाल खड़े हुए। कुछ लोगों ने इसे उनके प्रयोगों से जोड़ा, तो कुछ ने इसे उनकी सनक का परिणाम माना।
न्यूटन का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ वेस्टमिंस्टर एब्बे में किया गया। आज भी उनका नाम विज्ञान और गणित की दुनिया में अमर है। उनकी खोजों ने न केवल भौतिकी की नींव रखी, बल्कि यह भी दिखाया कि जिज्ञासा और दृढ़ संकल्प से कोई भी बाधा पार की जा सकती है।
न्यूटन ने खुद एक बार कहा था-
"मैंने समुद्र के किनारे खेलते हुए खुद को केवल कंकड़ या सुंदर शंख चुनते हुए पाया है, जबकि सत्य का विशाल महासागर मेरे सामने अनजाना पड़ा है।"
उनकी इस विनम्रता और महानता ने उन्हें विज्ञान के इतिहास में अद्वितीय स्थान दिया।
विज्ञान और गणित में आइज़ैक न्यूटन के योगदान ने मानव ज्ञान पर एक अमिट छाप छोड़ी है। गति और गुरुत्वाकर्षण के नियमों के उनके सूत्रीकरण ने भौतिक ब्रह्मांड की हमारी समझ में क्रांति ला दी है। न्यूटन द्वारा कैलकुलस के विकास ने विभिन्न वैज्ञानिक विषयों में जटिल समस्याओं को हल करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण प्रदान किया।
उनकी “फिलोसोफी नेचुरलिस प्रिंसिपिया मैथेमेटिका,” आज भी वैज्ञानिक विचारों की आधारशिला बना हुआ है। अपने शुरुआती जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद न्यूटन की अथक जिज्ञासा और खोज के प्रति जुनून ने उन्हें महानता की ओर अग्रसर किया। वे इतिहास के सबसे प्रभावशाली और प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से एक के रूप में आज भी जाने जाते हैं।