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Janmashtami 2022: जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम जपने से होगा कल्याण, खुलेंगे नए रास्ते

Janmashtami 2022 Puja Vidhi: नंदलाल या लड्डू गोपाल या कहे किशन कन्हैया बहुत से नाम है लेकिन कृष्ण भक्ति का भाव एक ही है। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में नटखट गोपाल का जन्म हुआ था।

Vidushi Mishra
Published on: 19 Aug 2022 12:44 AM IST (Updated on: 19 Aug 2022 12:44 AM IST)
Shri Krishna Janmashtami
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी (फोटो- सोशल मीडिया)

Janmashtami 2022 Date 19 August 2022: भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। नंदलाल या लड्डू गोपाल या कहे किशन कन्हैया बहुत से नाम है लेकिन कृष्ण भक्ति का भाव एक ही है। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में नटखट गोपाल का जन्म हुआ था। भगवान विष्णु के अवतार ने पृथ्वी पर श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया था। तभी सदियों से श्रीकृष्ण भगवान का जन्मोत्सव अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं मंदिर में साफ-सफाई करते हैं साज-सज्जा करते हैं। लड्डू गोपाल के जन्मोत्सव की खुशी में मेवा-पकवान बनाते हैं और बहुत धूमधाम से श्रीकृष्ण भगवान की पूजा अर्चना करते हैं।

इस साल 2022 में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर ज्योतिष शास्त्रों का कहना है कि इस साल जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण की पूजा के लिए 44 मिनट का विशेष मुहूर्त बन रहा है। इस शुभ मुहूर्त में श्रीकृष्ण भगवान की पूजा, उपासना करने से आपके जीवन की सारी दिक्कतें, परेशानियां दूर हो सकती हैं। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण के सभी नामों का जाप करने से कृष्ण भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। आइए आपको भगवान कृष्ण के 108 नामों को बताते हैं।

Shri Krishna Janmashtami (Pic-Social Media)

श्री कृष्ण के 108 नाम

108 names of Shri Krishna

कृष्ण

वासुदेव

वसुदेवात्मज

सनातन

पुण्य

हरि

मथुरानाथ

वनमालिने

कामजनक

कञ्जलोचनाय

मधुघ्ने

अजाय

द्वारकानायक

बलि

कमलनाथ

यशोदावत्सल

लीलामानुष विग्रह

सङ्खाम्बुजा युदायुजाय

चतुर्भुजात्त चक्रासिगदा

श्रीवत्स कौस्तुभधराय

देवाकीनन्दन

श्रीशाय

अनन्त

त्रिभङ्गी

मधुराकृत

पूतना जीवित हर

यमुनावेगा संहार

बलभद्र प्रियनुज

नन्दगोप प्रियात्मज

नवनीतनटन

नन्दव्रज जनानन्दिन

सच्चिदानन्दविग्रह

नवनीत विलिप्ताङ्ग

शकटासुर भञ्जन

मुचुकुन्द प्रसादक

शुकवागमृताब्दीन्दवे

षोडशस्त्री सहस्रेश

योगीपति

वत्सवाटि चराय

गोविन्द

धेनुकासुरभञ्जनाय

तृणी-कृत-तृणावर्ताय

यमलार्जुन भञ्जन

उत्तलोत्तालभेत्रे

तमाल श्यामल कृता

गोप गोपीश्वर

यदूद्वहाय

कोटिसूर्य समप्रभा

इलापति

गोवर्थनाचलोद्धर्त्रे

यादवेंद्र

योगी

निरञ्जन

पीतवससे

पारिजातापहारकाय

परंज्योतिष

गोपाल

सर्वपालकाय

बृन्दावनान्त सञ्चारिणे

कुब्जा कृष्णाम्बरधराय

स्यमन्तकमणेर्हर्त्रे

नरनारयणात्मकाय

तुलसीदाम भूषनाय

मायिने

परमपुरुष

मुष्टिकासुर चाणूर मल्लयुद्ध विशारदाय

संसारवैरी

कृष्णाव्यसन कर्शक

मुरारी

नाराकान्तक

अनादि ब्रह्मचारिक

कंसारिर

शिशुपालशिरश्छेत्त

दुर्यॊधनकुलान्तकृत

विश्वरूपप्रदर्शक

विदुराक्रूर वरद

सत्यवाचॆ

सत्य सङ्कल्प

सत्यभामारता

जयी

सुभद्रा पूर्वज

विष्णु

भीष्ममुक्ति प्रदायक

जगद्गुरू

जगन्नाथ

वॆणुनाद विशारद

वृषभासुर विध्वंसि

बाणासुर करान्तकृत

युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे

बर्हिबर्हावतंसक

पार्थसारथी

अव्यक्त

गीतामृत महोदधी

कालीयफणिमाणिक्य रञ्जित श्रीपदाम्बुज

दामॊदर

परब्रह्म

दानवॆन्द्र विनाशक

नारायण

यज्ञभोक्त

पुण्य श्लॊक

जलक्रीडा समासक्त गॊपीवस्त्रापहाराक

पन्नगाशन वाहन

सर्वग्रहरुपी

वॆदवॆद्या

दयानिधि

परात्पराय

तीर्थकरा

सर्वभूतात्मका



Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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