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Jayalalithaa Biography Hindi: जयललिता जयराम, एक अभिनेत्री से राजनीतिक आइकन बनने की यात्रा
Jayalalitha Ka Jivan Parichay: जयललिता ने अपने करियर की शुरुआत कन्नड़ फिल्म 'चिन्नाडा गोम्बे' (1964) से की और जल्द ही तमिल सिनेमा में एक प्रमुख अभिनेत्री बन गईं।
Jayalalithaa Jayaram Wikipedia Hindi: जयललिता जयराम, जिन्हें लोग स्नेहपूर्वक "अम्मा" (मां) और "पुरात्ची थलैवी" (क्रांतिकारी नेता) कहते थे, भारतीय राजनीति की सबसे करिश्माई और प्रभावशाली नेताओं में से एक थीं। उनका जीवन संघर्ष, सफलता, और उतार-चढ़ाव से भरा रहा। एक प्रसिद्ध अभिनेत्री से लेकर तमिलनाडु की छह बार मुख्यमंत्री बनने तक, उनकी यात्रा अद्वितीय और प्रेरणादायक थी। उनका जीवन एक मजबूत, आत्मनिर्भर और अनुकूलनशील महिला का प्रतीक था, जिसने अपने बलबूते पर राजनीति और समाज में अपनी अलग पहचान बनाई।
प्रारंभिक जीवन और फिल्मी करियर
जयललिता का जन्म 24 फरवरी, 1948 को मैसूर (कर्नाटक) में एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। जयललिता ने अपनी शिक्षा चेन्नई के प्रतिष्ठित स्कूलों में प्राप्त की। वह एक मेधावी छात्रा थीं और अंग्रेजी साहित्य में गहरी रुचि रखती थीं।
लेकिन उनकी मां के आग्रह पर, उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रखा।बचपन में जयललिता का नाम कोमलवल्ली रखा गया था।
बाद में उन्हें "जयललिता" नाम मिला, जो उनके पारिवारिक घरों, "जय विलास" और "ललिता विलास", से प्रेरित था।जयललिता ने चेन्नई के सेक्रेड हार्ट स्कूल में शिक्षा प्राप्त की और हमेशा अपनी कक्षा में अव्वल रहीं। उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान था, जिनमें तमिल, कन्नड़, तेलुगु, मलयालम, हिंदी और अंग्रेज़ी शामिल थीं। इसके साथ ही, उन्होंने भरतनाट्यम और पश्चिमी शास्त्रीय पियानो जैसे कलाओं में भी प्रशिक्षण लिया।उनका बचपन संघर्षपूर्ण रहा। उनके पिता का निधन तब हो गया, जब वह केवल दो वर्ष की थीं।जिसके बाद परिवार आर्थिक तंगी का सामना करने लगा।
उनकी मां, संध्या, जो खुद एक अभिनेत्री थीं, ने कठिन हालात में जयललिता और उनके भाई की परवरिश की।उनकी मां, संध्या, ने फिल्मों में अभिनय करना शुरू किया।अपनी माँ के साथ उन्होंने भी अभिनय में कदम रखा ।
अभिनय में रखा कदम
जयललिता ने अपने करियर की शुरुआत कन्नड़ फिल्म 'चिन्नाडा गोम्बे' (1964) से की और जल्द ही तमिल सिनेमा में एक प्रमुख अभिनेत्री बन गईं।उन्होंने तमिल सिनेमा के दिग्गज अभिनेता एम. जी. रामचंद्रन (एमजीआर) के साथ कई सुपरहिट फिल्में दीं, जो आगे चलकर उनके राजनीतिक जीवन में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुईं।
जयललिता ने 140 से अधिक फिल्मों में काम किया और अपनी सुंदरता, प्रतिभा और बहुमुखी अभिनय के लिए प्रसिद्ध हुईं। फिल्म में स्लीवलेस ब्लाउज पहनने वाली वह पहली अभिनेत्री रहीं। अपने करियर में उनका नाम सुपरस्टार शोभन बाबू से जुड़ा। दोनों का अफेयर चर्चा में रहा लेकिन शादी न हो सकी।
राजनीतिक जीवन का आरंभ
जयललिता के राजनीतिक जीवन की शुरुआत एम. जी. रामचंद्रन के प्रभाव से हुई। एमजीआर, जो तमिलनाडु के लोकप्रिय मुख्यमंत्री और AIADMK (अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) के संस्थापक थे, ने उन्हें राजनीति में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
जयललिता ने 1982 में AIADMK पार्टी जॉइन की और अपनी कुशल वक्तृत्व शैली और आकर्षक व्यक्तित्व के बल पर जल्दी ही एक प्रमुख नेता बन गईं।उन्होंने पार्टी की महिला विंग का नेतृत्व संभाला और अपनी प्रभावशाली उपस्थिति से पार्टी के प्रचार अभियानों को मजबूत किया।
एमजीआर की मृत्यु और नेतृत्व की लड़ाई
(1987) -1987 में एमजीआर की मृत्यु के बाद, AIADMK में नेतृत्व को लेकर संघर्ष शुरू हुआ।जयललिता ने पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत की, लेकिन इसके लिए उन्हें कड़ा संघर्ष करना पड़ा।
कई बार अपमान सहने के बावजूद, उन्होंने पार्टी को फिर से एकजुट किया और अपने नेतृत्व को स्थापित किया।
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के रूप में योगदान
जयललिता ने 1991 में पहली बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वह राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।
उनके कार्यकाल ने तमिलनाडु के राजनीतिक परिदृश्य को नया आयाम दिया। इसके बाद वह छह बार मुख्यमंत्री बनीं। उनके कार्यकाल में किए गए विकास कार्य और गरीबों के लिए योजनाएं उनकी लोकप्रियता का आधार बने।
राजनीतिक जीवन की उथल पुथल
2016: जयललिता छठे समय के लिए तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी।। उन्होंने लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए इतिहास भी रचा।
2015: जयललिता पांचवें बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी।उन्होंने अम्मा मास्टर हेल्थ चेकअप प्लान, अम्मा आरोग्य योजना, वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त बस सवारी योजना जैसी कई योजनाएं पेश कीं। उन्होंने 2015 में वैश्विक निवेशकों शिखर सम्मेलन की शुरुआत की।
2011: दिसंबर 2011 में, अम्मा ने अपने लंबे समय के करीबी सहयोगी शशिकला नटराजन को एआईएडीएमके से 13 अन्य लोगों के साथ निष्कासित कर दिया।
2011: एआईएडीएमके ने 2011 के विधानसभा चुनाव में प्रवेश किया और जयललिता फिर से चौथे बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बनीं।
2003: मार्च 2003 में, जयललिता तीसरे बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी।
सुनामी ने दिसंबर 2004 में तमिलनाडु को डुबो दिया । लेकिन उन्होने अपनी प्रशासनिक क्षमताओं को दिखाया। जिसके बाद दुनियाभर में उनकी तारीफ हुई।
2001: जयललिता दूसरी बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बनीं। बाद में सितंबर 2001 में, उन्हें अध्यक्ष पद के लिये अयोग्य घोषित कर दिया गया।और उनके वफादार नेता ओ पनीरसेल्वम को कुर्सी सौंप दी गई।
1998: एआईएडीएमके प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार का हिस्सा बन गई।लेकिन एक साल बाद उन्होंने अपना समर्थन वापस ले लिया और इस वजह से दोबारा आमचुनाव हुए।
1996: कलर टीवी घोटाले के सिलसिले में जयललिता को गिरफ्तार कर लिया गया था और 30 दिनों तक वे न्यायिक हिरासत में भेज दी गई थी। लेकिन 30 मई, 2000 को मामले में उन्हें बरी कर दिया गया था।
लोगों की सुविधा के लिए शुरू की गई योजनाएं
-जयललिता ने महिलाओं की शिक्षा और रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं शुरू कीं। उनकी "अम्मा कैंटीन", "अम्मा वॉटर", और "अम्मा मेडिकल किट्स" जैसी योजनाओं ने गरीबों को राहत दी।उन्होंने कन्या भ्रूण हत्या की समस्या से निपटने के लिए ‘क्रैडल टू बेबी स्कीम’ शुरू की। ‘अम्मा ब्रांड’ की शुरुआत की, जिसमें लगभग 18 लोक कल्याणकारी योजनाएं चलाई गईं।
उनकी सरकार ने सब्सिडी वाले उत्पाद, जैसे चावल, गैस सिलेंडर और सस्ते भोजन, उपलब्ध कराने पर जोर दिया।उन्होंने औद्योगिकीकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित किया, जिससे तमिलनाडु आर्थिक रूप से प्रगतिशील राज्यों में शामिल हुआ।सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा और पोषण योजनाएं शुरू की गईं। सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और सस्ता बनाया गया।
आलोचनाएं और विवाद-
जयललिता का कार्यकाल जितना प्रभावशाली रहा, उतना ही विवादास्पद भी। उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे।1996 में उनके पहले कार्यकाल के अंत में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उनकी छवि को धक्का लगा।
2001 और 2014 में उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में कानूनी कार्यवाही हुई।फिर भी, हर बार उन्होंने राजनीतिक वापसी कर यह साबित किया कि जनता का उन पर अटूट विश्वास है।
आखिरी कार्यकाल और लोकप्रियता की बुलंदी
जयललिता ने 2011 और फिर 2016 में मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता संभाली।
2016 का चुनाव जीतना उनके लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी, क्योंकि 1984 के बाद तमिलनाडु में किसी भी पार्टी ने लगातार दो बार चुनाव नहीं जीता था।
गरीबों के लिए उनकी योजनाओं ने उन्हें "अम्मा" की उपाधि दिलाई।उनका सरल और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण उन्हें जनता के बीच अत्यधिक प्रिय बनाता था।
जयललिता का निधन: एक युग का अंत
जयललिता को 22 सितंबर 2016 को स्वास्थ्य समस्याओं के कारण चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्हें बुखार और डिहाइड्रेशन की शिकायत थी, लेकिन बाद में उनकी हालत गंभीर हो गई।
5 दिसंबर 2016 को जयललिता का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।उनकी मृत्यु ने पूरे तमिलनाडु को शोक में डाल दिया। लाखों लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए चेन्नई पहुंचे।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव-
जयललिता का निधन तमिलनाडु की राजनीति में एक शून्य छोड़ गया। उनकी लोकप्रियता और नेतृत्व के बल पर AIADMK तमिलनाडु की सबसे मजबूत पार्टियों में से एक बनी रही।
मौत के बाद का विवाद
जयललिता की मौत को लेकर कई सवाल उठे। उनकी करीबी शशिकला और AIADMK के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष शुरू हुआ। उनकी मृत्यु के बाद पार्टी में दरार और नेतृत्व संकट पैदा हो गया।
जयललिता की विरासत
जयललिता का जीवन तमिलनाडु के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में हमेशा याद रखा जाएगा।उनकी नीतियों और योजनाओं ने गरीबों और महिलाओं को सशक्त बनाया।वह तमिलनाडु की राजनीति में एक महिला नेता के रूप में शक्ति और साहस की प्रतीक रहीं।
जयललिता के जीवन के छिपे पहलू
1. शिक्षा के प्रति लगाव- जयललिता ने स्कूल में हमेशा अव्वल स्थान प्राप्त किया और वह वकील बनना चाहती थीं। उनका फिल्मी करियर उनकी इच्छा के विरुद्ध शुरू हुआ। लेकिन उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी और अंग्रेजी साहित्य में दक्षता हासिल की।
2. एमजीआर के साथ संबंध* -एमजीआर और जयललिता के रिश्ते को लेकर हमेशा अटकलें लगाई जाती रहीं। हालांकि, जयललिता ने हमेशा उन्हें अपना गुरु और प्रेरणास्त्रोत बताया। एमजीआर की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी जानकी और जयललिता के बीच सत्ता संघर्ष भी इन्हीं संबंधों के कारण चर्चित रहा।
3. शालीनता की प्रतीक- जयललिता ने अपने सार्वजनिक जीवन में हमेशा शालीनता और गरिमा बनाए रखी। एक बार विधानसभा में उन्हें अपमानित किया गया, जिसके बाद उन्होंने राजनीति छोड़ने का विचार किया था। लेकिन उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया और मुख्यमंत्री बनकर इसका जवाब दिया।
4. एकांतप्रियता-जयललिता का निजी जीवन बेहद एकांतप्रिय था। वह मीडिया और जनता के सामने केवल अपने आधिकारिक कार्यों के दौरान ही आती थीं। उनके घर में केवल उनकी करीबी सहायक शशिकला को ही प्रवेश मिलता था।
5. पशुओं से प्रेम-जयललिता को बिल्लियों और कुत्तों से विशेष लगाव था। उनके घर में हमेशा पालतू जानवर रहते थे, जिन्हें वह अपने परिवार का हिस्सा मानती थीं।
6.जयललिता अपने निजी जीवन में अत्यंत अनुशासित थीं। वे अपनी दिनचर्या में समय की पाबंदी और एकांतप्रियता को प्राथमिकता देती थीं।
7.1995 में उन्होंने अपने पालक पुत्र सुधाकरण की शादी का आयोजन किया, जो अपने भव्य स्तर के कारण गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुई।
8.वे भरतनाट्यम की कुशल नृत्यांगना थीं और उन्होंने अपने जीवन में एक बार चेन्नई में शिवाजी गणेशन के सामने एक अद्भुत नृत्य प्रस्तुति दी।जयललिता भरतनाट्यम, कुचीपुडी, मोहिनीयाट्टम और मणिपुरी कथक समेत विभिन्न नृत्य रूपों में अच्छी तरह प्रशिक्षित थीं। अपने अभिनय के लिए विभिन्न पुरस्कारों के साथ, जयललिता ने 1972 में कलाइमाणी पुरस्कार भी जीता।
9.1989 में तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता बनने वाली पहली महिला जयललिता थीं।
10.जयललिता एक बार वकील बनना चाहती थीं, लेकिन फिल्मी करियर ने उनकी दिशा बदल दी।
निधन और विरासत
जयललिता का 5 दिसंबर, 2016 को निधन हो गया था। उनकी मौत ने पूरे तमिलनाडु को शोक में डुबो दिया। उनकी विरासत गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं और तमिलनाडु की जनता के साथ उनकी गहरी जुड़ाव की गवाही देती है।जयललिता की कहानी दृढ़ संकल्प, कठिनाइयों पर विजय, और जनता के लिए समर्पण की एक मिसाल है। आज भी, उन्हें "अम्मा" के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने अपने राज्य और जनता के लिए खुद को समर्पित कर दिया।जयललिता का जीवन तमिलनाडु की राजनीति और समाज के लिए हमेशा प्रेरणादायक रहेगा।