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Kalpana Chawla Birth Anniversary: भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री की प्रेरणादायक कहानी
Kalpana Chawla Birth Anniversary: आज कल्पना चावला की जन्मजयंती पर आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में...
Kalpana Chawla Birth Anniversary
Kalpana Chawla Birth Anniversary: अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा समय बिताने का क्रेडिट भले ही आज मौजूदा समय में चर्चा का विषय बन चुकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स को जाता हो लेकिन हम कल्पना चावला के योगदान को भला कैसे भूल सकते हैं। कल्पना चावला भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं, जिन्होंने अपने सपनों को साकार कर अंतरिक्ष में भारत का गौरव बढ़ाया। उनका जीवन संघर्ष, संकल्प और विज्ञान के प्रति समर्पण का प्रतीक है। 17 मार्च 1962 को जन्मी कल्पना ने अपनी असाधारण प्रतिभा और कठिन परिश्रम के बल पर न केवल नासा में स्थान बनाया, बल्कि अंतरिक्ष तक पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। कल्पना चावला का जीवन हमें यह सिखाता है कि, अगर सपने बड़े हों और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उन्होंने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में महिलाओं को विज्ञान और अंतरिक्ष क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। उनका यह कथन हमेशा याद रखा जाएगा कि, "आप केवल एक सपना देख सकते हैं, और यदि आप इसे पूरा करने की प्रतिबद्धता रखते हैं, तो यह अवश्य पूरा होगा।" आज कल्पना चावला की जन्मजयंती पर आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में -
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
कल्पना चावला का जन्म हरियाणा के करनाल में एक साधारण पंजाबी परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें उड़ान भरने और अंतरिक्ष के रहस्यों को जानने की जिज्ञासा थी।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा टैगोर बाल निकेतन स्कूल, करनाल से पूरी हुई वहीं पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग (1982) में स्नातक की डिग्री हासिल की। उच्च शिक्षा में टेक्सास विश्वविद्यालय, आर्लिंगटन, अमेरिका से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री (1984) का खिताब अपने नाम किया। यही नहीं कोलोराडो विश्वविद्यालय, बोल्डर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी (1988) भी की।
कल्पना चावला की रुचि और लगन को देखते हुए उन्हें अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने के बाद नासा में काम करने का अवसर मिला।
नासा में करियर और अंतरिक्ष मिशन
1. नासा में प्रारंभिक सफर:
कल्पना चावला अपने अंतरिक्ष यात्रा के ख्वाब को हकीकत में तब्दील करने के लिए 1988 में नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में शामिल हुईं। बाद में 1994 में उन्हें अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए चुना गया।

2. पहला अंतरिक्ष मिशन (STS-87 कोलंबिया, 1997):
कल्पना चावला ने 19 नवंबर 1997 को अपने पहले अंतरिक्ष मिशन के लिए उड़ान भरी। इस मिशन के दौरान उन्होंने 376 घंटे (करीब 15 दिन) अंतरिक्ष में बिताए। मिशन के दौरान माइक्रोग्रैविटी प्रयोग किए गए।
यह भारत के लिए गर्व का क्षण था क्योंकि कल्पना अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय मूल की महिला बनीं।
3. दूसरा अंतरिक्ष मिशन (STS-107 कोलंबिया, 2003):
16 जनवरी 2003 को कल्पना चावला ने अपने दूसरे मिशन पर उड़ान भरी। इस मिशन में अंतरिक्ष में 80 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए गए, जिनमें माइक्रोग्रैविटी, पृथ्वी विज्ञान और बायोलॉजी के अध्ययन शामिल थे। यह मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो चुका था, लेकिन पृथ्वी पर वापसी के दौरान 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया शटल वायुमंडल में प्रवेश करते समय टूटकर बिखर गया। इस दुखद दुर्घटना में कल्पना चावला समेत सातों अंतरिक्ष यात्री शहीद हो गए।
कल्पना चावला की विरासत और योगदान
कल्पना चावला का जीवन विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान में योगदान के लिए सदा याद किया जाएगा।

उनकी प्रेरणा से कई युवाओं ने एयरोस्पेस और वैज्ञानिक क्षेत्र में करियर बनाने का निर्णय लिया। जिसका ताजा उदाहरण सुनीता विलियम्स के तौर पर देखा जा सकता है।
सम्मान और स्मारक:
1. कल्पना चावला अवॉर्ड:
ये सम्मान भारत में महिलाओं को विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए प्रेरित करने हेतु दिया जाता है।
2.कल्पना चावला मेमोरियल स्कॉलरशिप:
अमेरिका और भारत के विभिन्न संस्थानों में विज्ञान के छात्रों को कल्पना चावला मेमोरियल स्कॉलरशिप दी जाती है।

3.कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज, करनाल:
हरियाणा सरकार द्वारा उनके सम्मान में कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज, करनाल स्थापित किया गया।
4.NASA का कल्पना चावला हॉल:
नासा में उनके नाम पर विशेष केंद्र NASA का कल्पना चावला की स्थापना की गई है।
5.अंतरिक्ष में उनके नाम पर एक क्षुद्रग्रह:
51826 कल्पना चावला नामक एक क्षुद्रग्रह का नाम उनके सम्मान में रखा गया है।

कल्पना चावला भारतीय महिलाओं के लिए एक मिसाल हैं जिन्होंने अपनी लगन और मेहनत से अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छुआ। उनकी उपलब्धियां और उनके बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा। आज, उनकी जयंती पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा लेते हैं।