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Karj Mukti Ke Upay: व्यवसाय के लिये कर्ज प्राप्ति और मुक्ति के अनुभव आधारित उपाय

Karj Mukti Ke Upay: इस विषय के बार मे चर्चा करेंगे इसके बाद व्यावसायिक कर्ज आसानी से प्राप्त करने के वैदिक उपाय और अंत मे कर्ज को सरलता से कैसे चुकाया जाए इसके विषय मे अनुभूत उपायों की विस्तृत चर्चा की जाएगी ।

Kanchan Singh
Published on: 12 Aug 2023 8:31 AM IST
Karj Mukti Ke Upay: व्यवसाय के लिये कर्ज प्राप्ति और मुक्ति के अनुभव आधारित उपाय
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Karj Mukti Ke Upay (photo: social media

Karj Mukti Ke Upay: हमारा आज का लेख उन जातको के लिये है जो लोग लंबे समय से नौकरी कर रहे है और अपना कोई व्यवसाय करना चाह रहे है । परंतु आर्थिक कारणों से इसमे सफल नही हो पा रहे है। उनके लिये यहाँ उपायों के साथ साथ पहले व्यवसाय को सुचारू रूप से कैसे चलायें , इस विषय के बार मे चर्चा करेंगे इसके बाद व्यावसायिक कर्ज आसानी से प्राप्त करने के वैदिक उपाय और अंत मे कर्ज को सरलता से कैसे चुकाया जाए इसके विषय मे अनुभूत उपायों की विस्तृत चर्चा की जाएगी ।

आशा है आप लोग इनसे अवश्य लाभान्वित होंगे-

व्यवसाय द्वारा धन प्राप्त करके जीवन की समस्त आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है। जिस व्यक्ति का व्यवसाय ठीक चलता है, उसके समक्ष समस्यायें कम आती हैं । किन्तु जिसका व्यवसाय ठीक नहीं चलता है वह हमेशा धनाभाव से घिरा रहता है। व्यवसाय को ठीक प्रकार से चलाने के लिये जब धन की कमी उत्पन्न होती है । तब इसके लिये कर्ज के रूप में धन की व्यवस्था करना अत्यावश्यक हो जाता है। व्यवसाय में आवश्यकता होने पर व्यक्ति को धन की उपलब्धता ठीक प्रकार से हो, इसे चुकाने के पर्याप्त अवसर मिलते रहें, व्यवसाय कभी घाटे में न जाये, व्यवसाय में निरन्तर वृद्धि हो, नौकरी के बाद स्वयं व्यवसाय हेतू कर्ज जो व्यक्ति सरकारी नौकरी में नहीं है, उन्हें सरकारी नौकरी मिल भी नहीं सकती, कारण चाहे कुछ भी हों, वे प्राइवेट नौकरी करने को विवश होते हैं। कुछ समय तक तो वे आसानी से नौकरी करते रहते हैं ।

फिर उनमें बेचैनी तथा छटपटाहट बढ़ने लगती है। इसके कारण भी होते हैं। जिसके यहां वे नौकरी करते हैं, उसका व्यवहार ठीक नहीं होता है, जितने वेतन की वे आशा करते हैं, उनका प्राप्त नहीं हो पाता। उनकी स्वयं की भी आवश्यकताएं बढ़ जाती हैं जिनकी पूर्ति के लिये अधिक धन चाहिये। ऐसे में उनके मन में अपना स्वयं का व्यापार करने की इच्छा जागने लगती है। यह अध्याय ऐसे लोगों के लिये है जो नौकरी के स्थान पर स्वयं का व्यवसाय आरम्भ करना चाहते हैं। ऐसे लोगों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिये कि जिस व्यवसाय को वे करना चाहते हैं ।

उसमें उनकी कितनी योग्यता और सामर्थ्य है। इसके साथ यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि उस व्यवसाय को करने योग्य उनके पास आर्थिक व्यवस्था कैसी है ? यदि अपनी सामर्थ्य के बारे मे विचार किये बिना अपना व्यवसाय चालू किया तो उन्हें पूर्णतः निराशा ही हाथ लगेगी । ऐसे लोगों के लिये

अपना व्यवसाय चालू करने के अनेक उपयोगी तथा अनुभूत उपाय हैं, किन्तु उपाय बताने से पूर्व कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखना होगा। वैसे तो यह बातें सामान्य दिखाई देंगी किन्तु इनका महत्व बहुत अधिक है।

  1. कोई भी व्यक्ति यदि स्वयं का व्यवसाय करने का इच्छुक है और उसका सम्पर्क आने वाले ग्राहकों से है तो वह उनसे अपना व्यवहार अच्छा रखे।
  2. व्यवसाय आरम्भ करने से बहुत समय पहले से ही वह अपने मालिक को न बताये कि वह अपना व्यवसाय आरम्भ करने का इच्छुक है।
  3. व्यक्ति जिस क्षेत्र में कार्य करता हो और वह उसी क्षेत्र में अपना व्यवसाय आरम्भ करने का इच्छुक है तो अपने व्यवसाय से संबंधित प्रत्येक क्षेत्र की जानकारी रखने का प्रयास करे।
  4. केवल अपने कार्य से ही मतलब न रखे अर्थात् उसको जो कार्य उसका मालिक दे वही करके न बैठ जाये अपितु वह यह भी ध्यान रखे कि इस व्यवसाय का कच्चा माल कैसे प्राप्त होता है, उसका भुगतान करने का क्या तरीका होता है ?
  5. अपने मालिक के व्यवसाय के स्तर पर न जाये अर्थात् जैसे जहाँ वह कार्य करता है वहाँ पर उस जैसे दस लोग कार्य करते हैं तो वह यह न सोचे कि मैं भी दस लोग रख कर कार्य आरम्भ करूँगा अथवा मेरे मालिक का जितना बड़ा शोरूम है उतना बड़ा ही मैं भी शोरूम रखँगा । व्यवसाय का आरम्भ अपनी शक्ति तथा सामर्थ्य के अनुसार ही करने का प्रयास करें।
  1. यहाँ पर वह व्यक्ति पहला प्रयास यह करे कि अपने व्यवसाय का आरम्भ अकेला ही करे। अधिक आवश्यकता होने पर कोई कम वेतन पर एक लड़का रख सकता है। जैसे-जैसे कार्य अधिक बढ़ता जाये तो वह अन्य कारीगर अथवा कर्मचारी आदि भी रख सकता है।
  1. अपने व्यवसाय का आरम्भ करने के लिये अपनी कार्य की आवश्यकता अनुसार ही स्थान ले जिससे उसका कम खर्च में ही कार्य चलेगा। वैसे भी प्रारम्भ में कार्य करने के गुण के आधार पर ही व्यवसाय चलते हैं। शोरूम की स्थिति तो बहुत बाद में आती है।
  2. जिस समय व्यवसाय आरम्भ करना हो उससे कुछ समय पहले से अपने व्यवसाय के स्थल का चयन कर अपने उन मुख्य ग्राहकों को बताना आरम्भ करें जिससे उसके संबध अच्छे हैं और वह लोग उसके व्यवसाय के आरम्भ करने की जानकारी उसके मालिक को न दें।
  3. यदि आपके संबंध कुछ ऐसे लोगों से हैं जो व्यवसाय आरम्भ करने के लिये आर्थिक मदद कर सकते हैं तो आप उनसे भी कर्ज अथवा आर्थिक मदद के लिये निवेदन करें।
  1. जब व्यवसाय आरम्भ करने का समय आये तो अपने मालिक को सम्मान के साथ सूचना दे कि वह अपना व्यवसाय आरम्भ कर रहा है जिसमें आपके सहयोग की आवश्यकता होगी। विनम्रता से उन्हें बतायें कि आपकी कृपा से ही मैं इस स्थिति में हूँ कि अपना व्यवसाय आरम्भ कर रहा हूँ । इससे आपका मालिक आपके जाने के बाद आपकी किसी से बुराई नहीं कर पायेंगे और संभव हुआ तो आपको सहयोग भी करेंगे। वैसे भी यह सत्य है कि पुत्र बनकर आप कुछ प्राप्त कर सकते हैं परन्तु पिता बन कर कुछ नहीं प्राप्त होता है अर्थात् प्रेम से सभी कुछ संभव है।

शीघ्र कर्ज प्राप्त करने के उपाय

यहां पर आपको ऐसे उपाय बताये जा रहे हैं जिनके करने से आप अपने व्यवसाय के लिये धन की व्यवस्था कर सकें अर्थात् आपको कर्ज प्राप्ति आसानी से हो सके। अपना व्यवसाय प्रारम्भ करने के लिये जितने धन की आवश्यकता होती है, उतना एक आम व्यक्ति के पास नहीं होता है। इसके लिये निजी स्तर पर अथवा बैंक द्वारा कर्ज की व्यवस्था की जाती है। अग्रांकित उपाय किसी भी प्रकार से लिये जाने वाले कर्ज के लिये आशाजनक अवसर बनाने में भूमिका का निर्वाह करते हैं। यह अवश्य ध्यान रखें कि आप जो भी उपाय करें उसे पूर्ण नियम व विश्वास से ही करें।

  1. आप जब भी अपने व्यवसाय के लिये कर्ज लेने की सोचें तो इसके लिये बुधवार को ही प्रयास करें।
  2. जब आप कर्ज के लिये किसी से भी बात करने जायें तो अपने पूजास्थल में अपने इष्टदेव से कर्ज प्राप्ति के लिये निवेदन करें तथा संकल्प लें कि कर्ज प्राप्ति के बाद उनके (इष्टदेव) नाम पर कुछ धन अवश्य खर्च किया जायेगा।
  3. कर्ज लेने के लिये चर्चा करने से पहले रात्रि में कपूर जलाकर कर उसका काजल, काले तिल व कुछ काली उड़द एक कागज में बांध कर अपने सिरहाने रख दें। अगले दिन घर से निकलने से पहले अपने सिर से सात बार उसार दें तथा घर बाहर निकल कर किसी वृक्ष के नीचे छोड़ दें। जहाँ आप चर्चा करने जा रहे हैं, वहाँ अवश्य ही आपको सफलता प्राप्त होगी।
  4. कर्ज के लिये चर्चा करने जाते समय घर से निकल कर जो प्रथम धार्मिक स्थल आये, वहाँ पर कुछ अर्पित अवश्य करें।
  5. आप जिस व्यवसाय को करते हैं, कर्ज के लिये जाते समय उस व्यवसाय से संबधित वस्तु अपनी ऊपर की जेब में अवश्य रखें।
  6. चर्चा करने जाते समय यदि आप रास्ते में मानसिक रूप से श्री लक्ष्मीम्यो नमः का जाप करें तो आपको अपने वांछित कार्य में सफलता प्राप्त होगी।
  7. यदि आप जाते समय अपनी ऊपर की जेब में एक हल्दी की गांठ और एक चाँदी का सिक्का रखते हैं तो भी आपको अपने कार्य में सफलता मिलेगी।
  8. घर से निकलते समय आप प्रंबसि नगर कीजे सब काजा, हृदय राखि कौसलपूर राजा का एक बार जाप कर निकलेंगे तो आपको सफलता अवश्य प्राप्त होगी।
  9. जिस दिन आप कर्ज के लिये बात करने जाने का विचार कर रहे हों उस दिन प्रातः उठते ही अपनी दोनों हथेलियों को खोलकर मिलायें और देखते हुये अपने हष्टदेव से निवेदन करें कि अपने परिवार की उन्नति के लिये नया व्यवसाय आरम्भ कर रहे हैं और उसी के लिये आज कर्ज प्राप्ति के लिये जायेंगे, इसके लिये मुझे (इष्टदेव) सफलता प्रदान करें।
  1. जिस दिन आप चर्चा के लिये जाने का विचार कर रहे हैं उससे एक दिन पहले और यदि दोपहर अथवा शाम को जाना हो तो सुबह, तीन प्रकार के फल मंगा कर रखें। जाते समय जो गाय पहले मिले उसे खिलायें और निवेदन करें कि हे माँ, मैंने अपनी सामर्थ्य से फल दिया अब तू अपनी सामर्थ्य से मुझे फल देना और प्रणाम कर चले जायें। फिर देखें कि आपको सफलता कितनी शीघ्र प्राप्त होती है।

कर्ज मुक्ति के उपाय

आपको अपना व्यवसाय आरम्भ करने के लिये जितने धन की आवश्यकता थी, उतना आपको मिल जाता है और आप अपना व्यवसाय भी प्रारम्भ कर देते हैं, किन्तु असली अग्नि परीक्षा अभी ही चालू होगी । कर्ज लेकर उसे समय पर चुकाना अपने आप में बड़ी चुनौती है। इसलिये व्यवसाय आरम्भ करने के बाद आपको ऐसे उपाय करने होंगे जिससे आपका कर्ज ठीक प्रकार से उतर सके । अक्सर कुछ व्यक्ति अपना व्यवसाय आरम्भ करने के बाद आने वाली चुनौतियों और जिम्मेदारियों को ठीक से समझ नहीं पाते हैं और लिये गये कर्ज को चुकाने की तरफ लाप्ररवाह हो जाते हैं। ऐसे लोगों का परिणाम बहुत बुरा होता है। अतः जैसे ही आप अपना व्यवसाय प्रारम्भ करें, अपने इष्टदेव को इसके लिये धन्यवाद दें और पूरी श्रद्धा तथा आस्था के साथ निम्न में से कोई भी उपाय अवश्य करें, इसका निश्चित रूप से आपको चमत्कारिक लाभ मिलता दिखाई देगा।

  1. यदि आप कर्ज की प्रथम किश्त शुक्लपक्ष के प्रथम मंगलवार से आरम्भ करते हैं तो आप अपनी उम्मीद से अधिक जल्दी कर्ज मुक्त होंगे। इसलिये आप अपने कर्ज चुकाने की प्रथम किश्त मंगलवार से ही आरम्भ करें।
  2. आपने जिस व्यवसाय को आरम्भ करने के लिये कर्ज लिया है, उसे आरम्भ करने के बाद उसमें अगर किसी प्रकार का निर्माण होता है तो उसमें निर्मित प्रथम तीन वस्तुयें क्रमशः मन्दिर, वृद्ध ब्राह्मण तथा असमर्थ व्यक्ति को उपहार स्वरूप दें। यदि आप कोई ऐसा व्यवसाय करते हैं जिसमें किसी प्रकार का निर्माण नहीं होता है अपितु

आप वस्तु लाकर बेचते हैं तो उसकी प्रथम आय में से एक हिस्सा अपने इष्टदेव, एक हिस्सा वृद्ध ब्राह्मण, एक हिस्सा असमर्थ व्यक्ति, एक हिस्सा कर्ज की. किश्त तथा एक हिस्सा धन रखने के स्थान पर रखें। कर्ज की किश्त में कुछ धन मिलाकर प्रथम मंगलवार को दे दें। जो हिस्सा आपने धन रखने के स्थान के लिये निकाला है उसके साथ आठ सूखे छुआरे रखकर लाल वस्त्र में बांध कर रख दें। कुछ ही समय में आपकी आय में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि होगी और आप आसानी से कर्ज की किश्त देते रहेंगे। ईश्वर की कृपा से समय से पूर्व ही कर्ज मुक्त हो जायेंगे।

  1. जिस दिन आप कर्ज की किश्त देने जाते हैं उस दिन कुछ धन किसी मन्दिर

में भी अर्पित करें। इससे भी आप शीघ्र कर्ज मुक्त होंगे यदि भुगतान के लिये आपने

चैक दिये हैं तो जिस दिन बैंक में आपका प्रथम चैक आने बाला है उस दिन सम्भव

हो तो गणेश जी के मंदिर में, यदि सम्भव नहीं हो तो किसी भी मंदिर में अपनी सामर्थ्य के अनुसार कुछ धन अवश्य अर्पित करें। यह धन ग्यारह रुपये भी हो सकता है अथवा आपकी सामर्थ्यनुसार अधिक भी हो सकता है। पूरी श्रद्धा से ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे अपनी अनुकम्पा बनायें रखें ताकि कर्ज की किश्तें आसानी से चुकती रहें।

  1. अपने धन रखने के स्थान पर आप पीले कपड़े में तीन हल्दी की गांठें अवश्य रखें, इसके प्रभाव से आपकी आय में वृद्धि होगी जिससे आप अतिशीघ्र कर्ज मुक्त होंगे।
  2. जब तक आप अपने व्यवसाय के लिये कर्ज से मुक्त न हो जायें तब तक प्रत्येक बुधवार को श्री गणेश मन्दिर में अवश्य जायें । कुछ धन अवश्य अर्पित करें।
  3. इसी प्रकार आप प्रत्येक बुधवार को कुछ पैसा किसी सफाईकर्मी को व कुछ पैसा हिजड़े को अवश्य दें।
  4. कर्ज मुक्त होने तक आप बुधवार को गाय को हरी घास अवश्य खिलायें । यदि कर्ज मुक्त होने के बाद भी खिलाते रहेंगे तो आपका व्यवसाय और अधिक उन्नति करेगा।
  5. बुधवार को आप कुत्ते को उड़द की दाल के मंगोड़े अथवा इमरती डालें। इससे भी आप शीघ्र कर्ज मुक्त होंगे।
  6. प्रत्येक बुधवार को किसी श्री गणेश मन्दिर में जाकर मोदक का भोग अर्पित करें तथा 11 परिक्रमा दें। परिक्रमा देते समय मानसिक रूप से ॐ गं गणपत्यै नमः का जाप करें।
  7. व्यवसाय में होने वाली बचत में से कुछ धन धार्मिक कार्यों में भी खर्च करें जिससे आप पर ईश्वर की कृपा बनी रहे। आय में वृद्धि होगी तो आप शीघ्र ही कर्ज से मुक्त होंगे।

।1 आप अंजाने में भी हिजड़े तथा मोटे पेट पाले लोगों का अपमान अथवा उपहास न करें और न ही अपशब्द अथवा कटुशब्द बोलें। ये सभी बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं और ज्योतिष में बुध व्यवसाय का मुख्य काशक ग्रह है ।

  1. जब तक आपका पूर्ण ऋण समाप्त न हो जाये तब तक नियमित रूप से पीपल वृक्ष को जल अर्पित करें और उसकी गीली मिट्टी से तिलक करें। इसके प्रभाव से भी आप शीघ्र कर्ज मुक्त होंगे।
  2. शीघ्र कर्ज मुक्त होने के लिये प्रत्येक बुधवार को हरी मूंग की दाल का दान किसी गरीब को अवश्य दान करें। यदि यह दान आप किसी सफाईकर्मी को कर सकें तो अधिक शुभ है।
  3. जिस मंगलवार को आप कर्ज की प्रथम किश्त दें उससे अगले दिन (बुधवार को) किसी हिजड़े को हरी साड़ी, हरी चूड़ियां तथा सम्पूर्ण सुहाग सामग्री के साथ कुछ नगद धन भी दे। फिर आप चमत्कार देखें कि आपका व्यवसाय कितनी गति से चलता है। व्यवसाय के गति से चलने से आप शीघ्र ही कर्ज मुक्त होंगे।
  4. यदि आपके व्यवसाय में कारीगर अथवा नौकर हैं तो उन्हें महीने में एक बार

अपने घर का खाना अथवा अपने पैसे से बाहर भोजन अवश्य करायें। ऐसा करने मात्र से आपके व्यवसाय में हमेशा प्रभु की कृपा बनी रहेगी। आपके रूहयोगी पूरे जी-जान से काम में लगे रहेंगे, जिससे कर्ज का चुकाना आसान बना रहेगा।



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Kanchan Singh

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