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Karva Chauth Puja Thali: करवा चौथ की थाली सजाते समय न करें ये गलतियां, जानें पूजा सामग्रियां

Karwa Chauth 2024: करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के अटूट बंधन का प्रतीक होता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

Shreya
Written By Shreya
Published on: 7 Oct 2024 7:19 PM IST
Karva Chauth Puja Thali: करवा चौथ की थाली सजाते समय न करें ये गलतियां, जानें पूजा सामग्रियां
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Karva Chauth Puja Thali (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Karwa Chauth 2024: इस साल 20 अक्टूबर, रविवार को करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth Ka Vrat) रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर पड़ने वाला यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। दरअसल, ये व्रत पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य, खुशहाल जिंदगी और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और माता पार्वती, भगवान शिव और चंद्र देव की पूजा करने के बाद पति के हाथों जल पीकर अपने व्रत का पारण करती हैं।

करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के अटूट बंधन का प्रतीक होता है। ऐसे में सभी महिलाएं पूजा से जुड़ी छोटी सी छोटी बातों का भी ध्यान रखती हैं। इस दिन पूजा के लिए तैयार की जाने वाली करवा चौथ की थाली भी बेहद महत्वपूर्ण होती है। बता दें करवा चौथ की थाली (Karwa Chauth Puja Ki Thali) में कुछ चीजों का विशेष महत्व होता है। ऐसे में हम आपको आज बताने जा रहे हैं कि पूजा की थाली में किन-किन सामग्रियों (Karwa Chauth Puja Samagri) को शामिल करना चाहिए। यहां जानें करवा चौथ की थाली कैसे तैयार करें (Karwa Chauth Ki Thali Kaise Taiyar Karen)।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

करवा चौथ पूजन सामग्री (Karwa Chauth Thali Items)

अपनी करवा चौथ की थाली (Karwa Chauth Ke Liye Thali) में सिक, छलनी, दीपक, तांबे का लोटा, फल- फूल, सुहाग का सामान, जल, मिठाई, अक्षत, सिंदूर, मिट्टी का टोंटीदार करवा, लईया, गट्टा, चूड़ा, अगरबत्ती, धूप, कच्चा दूध, दही, हल्दी, कथा की पुस्तक, आठ पूरियों की अठावरी, दक्षिणा (दान) के लिए पैसे आदि जरूर रखें।

मान्यता के अनुसार, करवा चौथ का व्रत रखने और विधि विधान से पूजा करने पर पति की उम्र लंबी होती है। साथ ही घर में सुख- समृद्धि और दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है।

नोट- इस आर्टिकल में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए संबंधित जानकार से संपर्क करें।



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