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Kon Hai Prachi Shevgaonkar: कौन हैं जलवायु नेतृत्व गठबंधन के सलाहकार बोर्ड में नियुक्त होने वाली पहली भारतीय, पर्यावरण संरक्षण के लिए कर रहीं काम

Who Is Prachi Shevgaonkar In Hindi: प्राची एक क्लाइमेट इनोवेटर हैं और कूल द ग्लोब नामक ऐप की संस्थापक हैं, जो कि क्लाइमेट एक्शन के लिए क्रिएट किया गया है। प्राची पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही हैं और विश्व स्तर पर लोगों की सराहना बटोर रही हैं।

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 4 Feb 2025 8:15 AM IST (Updated on: 4 Feb 2025 8:15 AM IST)
Kon Hai Prachi Shevgaonkar: कौन हैं जलवायु नेतृत्व गठबंधन के सलाहकार बोर्ड में नियुक्त होने वाली पहली भारतीय, पर्यावरण संरक्षण के लिए कर रहीं काम
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Kon Hai Prachi Shevgaonkar (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Prachi Shevgaonkar Kon Hai: वर्तमान समय में प्रौद्योगिकी और औद्योगिकीकरण अपनी चरम सीमा पर है। इससे मनुष्यों को बहुत अधिक लाभ हुआ है। लेकिन इसके कारण पर्यावरण को बहुत अधिक हानि हुई है। मानवीय गतिविधियों के कारण पर्यावरणीय संकट बढ़ते जा रहे हैं। पर्यावरणीय संकटों के बढ़ने के मुख्य कारण वनों की अंधाधुंध कटाई, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण हैं। मानव सभ्यता जितना अधिक विकास कर रही है, उतना ही पृथ्वी का शोषण होता जा रहा है। भविष्य की पीढ़ियों के लिए यह एक चिंताजनक समस्या है। यदि पर्यावरण संरक्षण नहीं किया जाता है, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवनयापन करना कठिन हो सकता है।

पर्यावरण के लगातार घटते स्तर को लेकर आज की युवा पीढ़ी भविष्य को लेकर काफी ज्यादा चिंतित हैं और इस दिशा में सुधार के लिए अपनी सक्रियता भी दिखा रही है। इस लिस्ट में एक बेहद चर्चित नाम प्राची शेवगांवकर (Prachi Shevgaonkar) का आता है। प्राची एक क्लाइमेट इनोवेटर (Climate Innovator) हैं और ये कूल द ग्लोब (Cool The Globe) नामक क्लाइमेट एक्शन के लिए क्रिएट किए गए एक ऐप की संस्थापक हैं। आज तक, 110 देशों के उपयोगकर्ता इस ऐप पर एक साथ आए हैं और 2 मिलियन किलोग्राम उत्सर्जन बचाया है। प्राची को भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘यंग चेंज-मेकर ऑफ द ईयर’ (Young Change-Maker Of The Year) के रूप में सम्मानित किया है। आइए जानते हैं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में इनके सतत प्रयासों और उपलब्धियों के बारे में-

पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से मिल चुका है सम्मान

प्राची न केवल बड़े स्तर पर बल्कि जमीनी स्तर पर कार्रवाई के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नागरिकों को संगठित कर रही हैं। प्राची ने ‘सीओपी 27’ में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जहां उन्हें पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से ‘सीओपी 27’ ‘यंग स्कॉलर अवार्ड’ मिला। प्राची शेवगांवकर जब 18 वर्ष की थी, तो उन्होंने अपने समुदाय में परिवर्तन लाने का रास्ता ढूंढने का फैसला किया। पूरे भारत में यात्रा करते हुए एक साल बिताया, जिसमें युवाओं, किसानों और कचरा बीनने वाले समुदायों की कहानियां शामिल थीं, ताकि लोगों के दैनिक जीवन में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझाया जा सके।

भारत ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए कर रहीं काम

नेक्स्ट जनरेशन फैलोशिप की फाउंडर प्राची शेवगांवकर, जिन्होंने प्रदूषित जलवायु और पर्यावरण को सेव रखने के लिए ’कूल द ग्लोब’ ऐप क्रिएट किया, जो प्रदूषित जलवायु और पर्यावरण को सेव रखने के लिए काम कर रही हैं। वे पर्यावरण के प्रति बेहद जागरूक हैं। उन्होंने ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं। वह न केवल नेशनल बल्कि इंटरनेशनल स्तर पर पर्यावरण और प्रदूषित जलवायु को लेकर लोगों को जागरूक करने का काम कर रही हैं।

प्राची ने ’कूल द ग्लोब’ नामक क्लाइमेट एक्शन ऐप को कॉलेज के छात्रावास में रहते क्रिएट किया। आज तक, 110 देशों के यूजर्स ऐप पर एक साथ आए हैं और 2 मिलियन किलोग्राम उत्सर्जन बचाया है। प्राची को भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ’यंग चेंज-मेकर ऑफ द ईयर’ के रूप में सम्मानित किया है।

यह एक मोबाइल ऐप है, जो उपयोगकर्ताओं को अपने घरों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है। यह मुफ़्त है और सभी के लिए खुला है। साथ ही लोगों को अपनी बचत को ट्रैक करने की अनुमति देता है। आज, यह 150 देशों के 1 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ एक वैश्विक आंदोलन बन गया है, जो सामूहिक रूप से 5.5 मिलियन किलोग्राम उत्सर्जन को बचाता है।

जलवायु नेतृत्व गठबंधन के सलाहकार बोर्ड में नियुक्त होने वाली सबसे कम उम्र की और पहली भारतीय नागरिक

वह फिनलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री के साथ जलवायु नेतृत्व गठबंधन के सलाहकार बोर्ड में नियुक्त होने वाली सबसे कम उम्र की और पहली भारतीय नागरिक हैं। वह कोलंबिया के राष्ट्रपति और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता जुआन मैनुअल सैंटोस के साथ वैश्विक युवा परिषद की संस्थापक सदस्य भी हैं, जिसका गठन वैश्विक समुदाय के लिए अस्तित्व संबंधी खतरों को संबोधित करने के लिए किया गया था। वह टाटा पावर और उसकी सभी सहायक कंपनियों के लिए जलवायु परिवर्तन सलाहकार के रूप में कार्य करती हैं। गूगल ने ‘कूल द ग्लोब’ ऐप बनाने की उनकी यात्रा से प्रेरित होकर एक टीवी अभियान बनाया।

‘कूल द ग्लोब’ ऐप बनाने के लिए कहां से आया आइडिया

प्राची शेवगांवकर का इस ‘कूल द ग्लोब’ ऐप के बारे में कहना है कि, मुझे याद है कि जब मैं छोटी बच्ची थी, तो मैं अपने पिता के पास जाती थी। उनसे पूछती थी, “जलवायु परिवर्तन जैसी बड़ी समस्या के बारे में मेरी जैसी एक साधारण लड़की क्या कर सकती है?” जिसके उपरांत हमने इस समस्या से निपटने के लिए छोटी शुरुआत करने का फैसला किया। उस वर्ष ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 10 फीसदी तक कम करने का लक्ष्य रखा। कुछ महीनों के बाद, दो दिलचस्प बातें हुईं। पहली, मुझे इसमें मज़ा आने लगा।

इस विषय पर कुछ भी करना, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, अच्छा लगता था। दूसरी, मेरे आस-पास के लोगों ने इस पर ध्यान दिया। दोस्तों और पड़ोसियों ने पूछना शुरू कर दिया कि वे भी इसमें कैसे शामिल हो सकते हैं। तभी मैंने सोचा, मैं वैश्विक नागरिकों को इस लड़ाई में शामिल होने के लिए कैसे प्रोत्साहित कर सकता हूँ?इस तरह से ‘कूल द ग्लोब’ का जन्म हुआ।

जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में युवाओं की है मजबूत भागीदारी

पर्यावरण संरक्षण में प्राची शेवगांवकर युवा पीढ़ी की मजबूत भागीदारी पर जोर डालती हैं। इस बारे में उनका कहना है कि "कूल द ग्लोब का प्रबंधन करने के कारण, मुझे हजारों की संख्या में युवाओं के साथ बात-चीत करने का अवसर मिला है। इस अनुभव ने मेरे इस विश्वास को मज़बूत किया है कि, संयुक्त राष्ट्र 2045 के एजेंडा का प्रचार-प्रसार करने और हमारे सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के इस प्रयास में, संभवतः युवा सबसे महत्वपूर्ण हितधारक हो सकते हैं क्योंकि परिवर्तन लाने के लिए हमारे अंदर उत्साह और प्रतिबद्धता अद्वितीय है।" संयुक्त राष्ट्र की स्थापना साल 1945 में हुई थी। यह दुनिया के सबसे मान्यता प्राप्त गैर-लाभकारी संगठनों में से एक है।

क्या है संयुक्त राष्ट्र का 2045 का लक्ष्य

संयुक्त राष्ट्र का 2045 का लक्ष्य बहुत बड़ा है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के लिए 2045 का मतलब है, यूएन की स्थापना के 100 साल पूरे होना। इस साल को ध्यान में रखते हुए, यूएन ने कई तरह के अभियान चलाए हैं। इन अभियानों का मकसद, दुनिया को बदलने के लिए एक विज़न तैयार करना है।

संयुक्त राष्ट्र के लिए 2045 से जुड़े कुछ अभियान में ‘अरब विज़न-2045’, ‘शांतिपूर्ण और समृद्ध इंडोनेशिया का मार्ग’, ‘विज़न अभियान’ जैसे मुद्दे शामिल है। प्राची शेवगांवकर बताती हैं कि, इस लक्ष्य को पूरा करने में हमारे देश के युवाओं की बहुत बड़ी भूमिका है। युवाओं में बदलाव लाने की बहुत ताकत होती है। मैंने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में बहुत से युवाओं से बात की, जिसमें मुझे पता चला है कि युवा इस समस्या को बहुत गंभीरता से लेते हैं।

वे चाहते हैं कि दुनिया एक बेहतर जगह बने। इसीलिए मैं बहुत खुश हूं कि मुझे ’नेक्स्ट जेनरेशन इंडिया फेलोशिप’ का नेतृत्व करने का मौका मिला है। इस कार्यक्रम के ज़रिए हम भारत के युवाओं को दुनिया की समस्याओं को सुलझाने में मदद कर रहे हैं। मैंने सीखा है कि जब युवा लोग जलवायु कार्रवाई करने के लिए एकजुट होते हैं, तो चमत्कार हो सकते हैं!

जलवायु संरक्षण में सबसे बड़ी चुनौतियां (Biggest Challenges In Climate Protection)

पर्यावरण संरक्षण में सबसे बड़ी चुनौती लोगों को यह समझाना है कि उनकी इस दिशा में की गई एक छोटी सी कोशिश बड़ा परिवर्तन ला सकती है। प्राची शेवगांवकर के अनुसार जलवायु परिवर्तन इतना बड़ा मुद्दा है कि, कई लोगों को लगता है कि यह उनके नियंत्रण से बाहर है। डर और अपराधबोध अक्सर लोगों को इस समस्या को एक तरफ धकेलने के लिए प्रेरित करता है। हमें प्रलय की आहट से पहले ही अपने सतत प्रयासों से पर्यावरण सुधार में तात्कालिकता को व्यक्त करने और कुछ कर दिखाने की आवश्यकता है, क्योंकि सामूहिक कार्रवाई वास्तविक परिवर्तन ला सकती है।

वैश्विक नीतियों को किस प्रकार प्रभावित कर सकते हैं युवा

पर्यावरण संरक्षक प्राची शेवगांवकर का कहना है कि, उन्हें एक समय में संयुक्त राष्ट्र विश्व नेताओं और राजनयिकों के लिए ही निर्धारित की गई एक जगह की तरह लगता था, इसलिए शुरुआत में मुझे सीओपी 27 और संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेना एक सपना सा महसूस होता था। उनका कहना है कि, मेरे जैसे कई युवा लोग अभी भी इन मंचों को दूर और दुर्गम मानते हैं। लेकिन वहाँ लिए गए निर्णय हमारे जीवन और हमारे भविष्य को प्रभावित करते हैं। हमें इन जगहों की मेज पर अपनी सीट का दावा करने और उन निर्णयों को प्रभावित करने की आवश्यकता है।

ऐसा करने के लिए, हमें सीओपी (Conference of Parties)और यूएनजीए (United Nations General Assembly) जैसे मंचों को और अधिक सुलभ बनाना होगा। संयुक्त राष्ट्र कोई जादुई यूनिकॉर्न नहीं है, जो हमारी सभी समस्याओं का समाधान कर देगा बल्कि यह एक ऐसा उपकरण है, जिसमें हम सभी को योगदान देना चाहिए और सकारात्मक बदलाव लाने के लिए इस ओर ध्यान देना चाहिए।



Shreya

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