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एक वायरस जो फैलता है इससेः नहीं है कोई इलाज तो हो जाएं सावधान
यह वायरस बेहद ही खतरनाक, आम और सबसे तेजी से फैलने वाला वायरस है। इतना ही नहीं अधिकतर मामलों में इस वायरस से होने वाली बीमारी के लक्षण भी मालूम नहीं चलते।
नई दिल्ली: आज के समय में न जाने कितनी नई नई बीमारी और न जाने कितने नए नए वायरस सामने आ रहे है। यही नहीं ऐसे कई वायरस भी है जिनका कोई इलाज़ भी नहीं होता है। इन्ही सब के बीच एक और नए वायरस की पुष्टि की गई है जो की आपके सेक्स लाइफ को समस्या में डाल सकती है। इस वायरस का नाम है एचपीवी यानी ह्यूमन पेपिलोमा वायरस।
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ये वायरस बेहद ही खतरनाक है
यह वायरस बेहद ही खतरनाक, आम और सबसे तेजी से फैलने वाला वायरस है। इतना ही नहीं अधिकतर मामलों में इस वायरस से होने वाली बीमारी के लक्षण भी मालूम नहीं चलते। जिसके कारण न तो प्रभावित व्यक्ति को बीमारी का पता चलता है और न ये पता चलता है कि उनसे ये बीमारी उनके पार्टनर को भी हो रही है। आइयें जानते है इस वायरस के बारे में कुछ और चीज़ें:
दो व्यक्ति के बीच फैलेगा ये वायरस
यह वायरस यौनांग और गुदा की त्वचा के एक-दूसरे से संपर्क में आने से फैलता है। मतलब ये जरूरी नहीं कि सेक्सुअल पेनेट्रेशन होगा तभी दो व्यक्ति के बीच ये वायरस फैलेगा। यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि सेक्स गतिविधियों और ओरल सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल किया जाए तो इस संक्रमण से पूरी तरह बचा जा सकता है।
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एचपीवी से 6 तरह के कैंसर हो सकते हैं
आपको बता दे कि रिपोर्ट्स के अनुसार 80 फीसदी महिला और पुरुष जीवन में कभी न कभी इससे संक्रमित होते हैं।अमरीका में यह यौन रूप से फैलने वाली सबसे आम बीमारी है। यही नहीं रिपोर्ट्स की माने तो एचपीवी से 6 तरह के कैंसर हो सकते हैं। एचपीवी गर्भाशय कैंसर के लिए 99 प्रतिशत, गुदा कैंसर के लिए 84 प्रतिशत, लिंग कैंसर के लिए 47 प्रतिशत जिम्मेदार होता है। इसके अलावा इसके संक्रमण से योनिमुख, योनि, गले और मुंह का कैंसर भी होता है।
एचपीवी वायरस की सौ से अधिक किस्में पाई गई हैं। इनमें से 30 किस्में प्रजनन अंगों को प्रभावित करती हैं। एचपीवी-16 और एचपीवी-18 वायरस सबसे खतरनाक होते हैं। ये गर्भाशय कैंसर के लिए 70 प्रतिशत से अधिक जिम्मेदार होता है। अधिकांश लोग कभी ना कभी एचपीवी से संक्रमित होते हैं, लेकिन उनका प्रतिरक्षा तंत्र इस वायरस से उनकी रक्षा करता है।
इसका पता लगाना मुश्किल
आपको जानकार हैरानी होगी कि एचपीवी संक्रमण का आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होता। इसलिए इसका पता लगाना आसान नहीं है। महिलाओं में उनके गर्भाशय की कोशिकाओं के नमूने की जांच करके उनमें एचपीवी के संक्रमण का पता लगाने लगाया जा सकता है। इसके लिए दो तरह के जांच की मदद ली जाती है। एक वजाइनल साइटोलॉजी यानी कोशीय जांच और दूसरी पेप टेस्ट या पेपनिकोलाई जांच। लेकिन पुरुषों में अभी भी इस वायरस के संक्रमण का पता लगाने का कोई विश्वसनीय तरीका नहीं मिला है।
बता दे कि वैसे तो एचपीवी संक्रमण का कोई इलाज नहीं है। हां, इसके असर को ठीक किया जा सकता है, यदि इसका पता लगा लिया जाए। अधिकांश एचपीवी संक्रमण कोई गंभीर नुकसान नहीं करते और ये 'दो साल के भीतर' खुद-ब-खुद खत्म हो जाते हैं। यदि यौनांग में गांठें हो गई हैं तो उन्हें क्रीम, मलहम या रसायन से ठीक किया जा सकता है। इन गांठों को फ्रीजिंग या बर्निंग से भी हटाया जा सकता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, ''फिलहाल एचपीवी का पता लगाने को कोई ऐसा तरीका नहीं है जिस पर भरोसा किया जा सके। इस वायरस का कोई लक्षण नहीं मिलने के कारण इसके इलाज में बहुत दिक्कतें आ रही हैं"। यदि किसी व्यक्ति में गुदा एचपीवी संक्रमण होने का गंभीर खतरा है तो इसका पता लगाने के लिए एनल साइटोलोजी यानी गुदा कोशीय जांच की जा सकती है।''
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