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Health: सही लाइफस्टाइल व खानपान से एसिडिटी को रोकें

seema
Published on: 27 Oct 2017 10:14 AM GMT
Health: सही लाइफस्टाइल व खानपान से एसिडिटी को रोकें
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लखनऊ : अक्सर लोग एसिडिटी को हल्के में लेते हैं और तुरंत राहत पाने के लिए बाजार में उपलब्ध कोई भी दवाई ले लेते हैं, लेकिन यह सही उपाय नहीं है। यह सिर्फ तात्कालिक उपचार मात्र है। एसिडिटी के मुख्य कारण को दूर करके ही इस समस्या से बचा जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि पेट में एसिड की मात्रा नियंत्रित रहे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसके बढ़ते ही ढेर सारी समस्याएं शुरू हो जाती हैं जो पेट से जुड़ी हुई होती हैं। आपके लापरवाही बरतने पर बार-बार यह समस्या सामने आती रहती है। सही इलाज न होने पर पेट में अल्सर तक का खतरा पैदा हो जाता है। कई बार यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसलिए इससे बचाव करें और सही कारणों का पता लगाकर तत्काल इलाज करवाएं।

जानें क्यों होती है बार-बार एसिडिटी

पेट में कई प्रकार के रसायन होते हैं। इनमें अम्लीय और क्षारीय भी होता है। इससे ही शरीर का पीएच बैलेंस सही रहता है। पीएच बैलेंस बिगडऩे पर एसिडिटी की समस्या सामने आती है। लंबे समय तक पेट में एसिड का स्तर बढ़ा रहता है जिससे पेट की सतह पर भी असर पडऩे लगता है। दरअसल पाचन के लिए आमाशय में सामान्य तौर पर हाइड्रोक्लोरिक एसिड का स्राव होता है जो अत्यधिक अम्लीय होता है। यह पाचन तंत्र को प्रभावित करता है।

क्यों बढ़ जाता है एचसीएल

  • -आमाशय और अन्न नलिका को जोडऩे वाली मांसपेशी को लोअर इसोफेगल स्फ्रिंक्टर कहते हैं। यह खाने-पीने के समय खुलती है और आहार के आमाशय में पहुंचने के बाद अपने आप बंद हो जाती है। इससे आमाशय से एसिड अन्न नलिका तक नहीं पहुंच पाता है।
  • कई बार वजन के अत्यधिक बढऩे या अन्य कारणों से एलईएस कमजोर होने लगती है और इसकी संकुचनशीलता इतनी कम हो जाती है कि यह अपने आप खुल जाता है। ऐसे में एसिड और पेप्सिन अन्न नलिका में पहुंच जाते हैं।
  • ऐसा बार-बार होने पर अन्न नलिका में सूजन तक हो जाती है। कुछ लोगों में सामान्य से ज्यादा हाइड्रोक्लोरिक एसिड का स्राव होता है जिससे एसिडिटी बढ़ जाती है।
  • कई बार एच पायलोरी बैक्टीरिया की उपस्थिति से भी एसिडिटी बढ़ती है। 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है।

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एसिडिटी के लक्षण

  • हमेशा पेट में जलन होना और गैस बनना
  • सीने में जलन, खट्टी डकारों के साथ मुंह में खट्टा पानी आना
  • गले में जलन महसूस होना, पेट फूलना, सिर दर्द और कब्ज
  • उल्टी आना और पेट में हमेशा गैस की समस्या रहना

एसिडिटी के कारण

  • लंबे समय तक खाली पेट रहना
  • ठीक समय पर खाना न खाना
  • खाना खाने के तुरंत बाद लेट जाना
  • धूम्रपान और शराब का सेवन करना
  • तनाव में रहना और पर्याप्त नींद न लेना

ऐसे दूर करें एसिडिटी

रोजाना एक केला जरूर खाएं। यह सर्वोत्तम प्राकृतिक एंटासिड होता है। सीने या पेट में जलन होने पर इसका सेवन करें। इससे तत्काल आराम मिलने लगता है।

छाछ/मट्ठा पीएं

खाना खाने के बाद एक गिलास छाछ जरूर पीएं। इसमें काली मिर्च और जीरा पाउडर भी डाल सकते हैं। छाछ में मौजूद लैक्टिक एसिड पेट में एसिडिटी को कम करता है। अम्ल नहीं बनने देता है। ठंड के मौसम में रात में छाछ का सेवन नहीं करना चाहिए। सर्दी-खांसी की शिकायत हो सकती है।

ठंडा दूध लेना लाभकारी

अगर पेट में गैस या एसिडिक अटैक होने पर तुरंत ठंडा दूध पीना चाहिए। यह गैस्टिक जूस को नियंत्रित करता है और कैल्शियम होने की वजह से यह पेट में अत्यधिक एसिड बनने से रोकता है। डकार आने के साथ आराम मिलने लगता है।

खाने के बाद खाएं सौंफ

खाना खाने के बाद सौंफ खाने की आदत से एसिडिटी से बचाव होता है। सौंफ की चाय पीने से भी राहत मिलती है। इसलिए इसका नियमित सेवन करना चाहिए। यह हर मौसम में खाना ठीक रहता है।

गुड़ के हैं कई गुण

गुड़ का प्रयोग हर मौसम में किया जाता है। इसमें मौजूद अत्यधिक मैग्निशियम की मात्रा से आंत मजबूत होती है जिससे पाचन सुधरता है। खाना खाने के बाद गुड़ का एक टुकड़ा खाने से पेट में ठंडक पहुंचती है और गैस से आराम मिलने लगता है।

एसिडिटी में इन बातों को ध्यान रखें

  • अत्यधिक मिर्च मसाला और तली हुई चीजें नहीं खाना चाहिए।
  • जंक फूड और फास्ट फूड से दूर रहें। इनसे इनको बढ़ावा मिलता है।
  • ज्यादा चाय और कॉफी पीना से एसिडिटी की समस्या होती है।
  • बासी खाना और गर्म खाने के साथ ठंडा खाना जैसे गुलाब जामुन के साथ आइसक्रीम खाने की आदि भी इसको बढ़ावा देती है। इसलिए दो प्रकृति की चीजों को एक साथ न लें। इसमें आप जीना अधिक पानी पिएंगे उतना ही आराम मिलेगा।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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