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Non Stick Utensils: नॉन स्टिक बर्तन और मेकअप से लिवर कैंसर का संबंध
Non Stick Utensils: शोधकर्ताओं ने पाया कि पीएफओएस के शीर्ष 10 फीसदी जोखिम वाले लोगों में लिवर कैंसर होने की संभावना उन लोगों की अपेक्षा साढ़े चार गुना ज्यादा है जिनके रक्त में पीएफओएस के निम्नतम स्तर होते हैं।
Cancer Due To Chemicals: नॉन स्टिक बर्तनों और मेकअप में इस्तेमाल होने वाले रसायनों और लिवर कैंसर के बीच संबंध पाया गया है। दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पहली बार मानव नमूनों का उपयोग करके पीएफएएस एक्सपोजर और लीवर-कैंसर के जोखिम के बीच एक लिंक की पुष्टि की है।
वैज्ञानिकों का पहले से ही जानवरों के अध्ययन और मनुष्यों से जुड़े कुछ विश्लेषणों के आधार पर कहा है कि मानव निर्मित "फॉरएवर केमिकल्स", यानी पीएफएएस लिवर के लिए हानिकारक होते हैं। लेकिन इंसानों में कैंसर के खतरे का अध्ययन करना मुश्किल साबित हुआ है। क्योंकि रिसर्च के लिए इंसानों को संभावित कार्सिनोजेन्स के संपर्क में लाना अनैतिक है। अब पहली बार मानव नमूनों का उपयोग करके दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के केक स्कूल ऑफ मेडिसिन लीवर-कैंसर के बारे में नई जानकारी हासिल की है।
हवाई विश्वविद्यालय के साथ पहले के एक सहयोग के अंतर्गत केक मेडिकल स्कूल की टीम के पास लॉस एंजिल्स और हवाई में रहने वाले 200,000 से अधिक लोगों के रक्त और ऊतक के नमूनों तक पहुंच थी। शोध टीम ने उस आबादी के भीतर 50 प्रतिभागियों को पाया, जिनमें अंततः लिवर कैंसर डेवलप हो गया था। इन लोगों के कैंसर के निदान से पहले लिए गए रक्त के नमूनों के विश्लेषण से कुछ पीएफएएस रसायनों के अपेक्षाकृत उच्च स्तर दिखाई दिए थे।
पीएफएएस और पॉलीफ्लूरोएकल पदार्थ कई प्रकार के होते हैं। इनमें सबसे पुराने और ज्यादा अध्ययन पीएफओए और पीएफओएस पर किये गए हैं। वर्तमान अध्ययन में पीएफओएस का लीवर-कैंसर के जोखिम के साथ सबसे मजबूत संबंध पाया गया है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि पीएफओएस के शीर्ष 10 फीसदी जोखिम वाले लोगों में लिवर कैंसर होने की संभावना उन लोगों की अपेक्षा साढ़े चार गुना ज्यादा है जिनके रक्त में पीएफओएस के निम्नतम स्तर होते हैं।
इस संबंध को साबित करने के लिए, शोध दल ने लिवर कैंसर से पीड़ित होने वाले 50 लोगों के नमूनों की तुलना ऐसे 50 अन्य लोगों के साथ की जिन्हें कैंसर नहीं हुआ था।
टीम ने कहा कि यह संभव है कि पीएफओएस लिवर की सामान्य फंक्शनिंग में हस्तक्षेप करता है, जिससे वसा के एक निर्माण का कारण बनता है जो आगे बढ़कर गैर अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (एनएएफएलडी)बन सकता है। यह निर्धारित करने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है कि यह लिवर में व्यवधान कब होता है और ये कैसा दिखता है।
हेपेटोलॉजी में प्रकाशित 2018 के एक अध्ययन के अनुसार एनएएफएलडी की दर हाल के वर्षों में विश्व स्तर पर बढ़ रही है, और यह बीमारी 2030 तक अमेरिका में 30 फीसदी वयस्कों को प्रभावित कर सकती है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2030 तक एनएएफएलडी लिवर ट्रांसप्लांट का सबसे प्रमुख कारण बन जाएगा।
नॉन अल्कोहोलिक फैटी लिवर से प्रभावित कुछ व्यक्तियों में नॉनक्लॉजिक स्टेटोहेपेटाइटिस डेवलप हो सकता है।यह फैटी लीवर रोग का एक आक्रामक रूप है, जिसमें लिवर की सूजन हो जाती है और सिरोसिस तथा लिवर फेलियर भी हो सकता है। लिवर में उसी तरह की क्षति होती है जैसी भारी शराब के उपयोग से क्षति होती है। एनएएफएलडी के शुरुआती लक्षण में थकान और पेट में दाहिनी तरफ ऊपर की ओर दर्द होना शामिल है।