×

Martyrs' Day 2025: कौन थे वे तीन लोग, जिनकी याद में मनाया जाता है, शहीद दिवस ,आइए जानते हैं

Martyrs' Day 2025: आज हम आपको शहीद दिवस के इतिहास महत्त्व और अर्थ के बारे में बताने जा रहे हैं साथ ही आइये जानते हैं इस दिन के बारे में विस्तार से।

Akshita Pidiha
Published on: 22 March 2025 7:06 AM IST
Martyrs Day 2025
X

Martyrs' Day 2025 (Image Credit-Social Media)

Martyrs' Day 2025: भारत की स्वतंत्रता और देश की रक्षा के लिए हजारों वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी।उनके बलिदान को स्मरण करने और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए हर वर्ष देश में शहीद दिवस (Martyrs' Day) मनाया जाता है।शहीद दिवस सिर्फ एक औपचारिक दिन नहीं है, बल्कि यह उन महान आत्माओं को याद करने का दिन है, जिन्होंने स्वतंत्र भारत का सपना देखा और उसके लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया।

भारत के इतिहास में शहीद दिवस का विशेष स्थान है। यह दिन हमें उन स्वतंत्रता सेनानियों की याद दिलाता है, जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। शहीद दिवस केवल एक श्रद्धांजलि का दिन नहीं है, बल्कि यह युवाओं को देशभक्ति, बलिदान और कर्तव्यनिष्ठा की प्रेरणा देने का भी अवसर है।

शहीद दिवस का अर्थ और महत्व

"शहीद" का अर्थ है – देश, समाज, धर्म या अन्य किसी महान उद्देश्य के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाला व्यक्ति।भारत में शहीद दिवस उन वीरों को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता और रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।यह दिन हमें उन बलिदानियों के सपनों को पूरा करने का संकल्प लेने की प्रेरणा देता है।शहीद दिवस के अवसर पर राष्ट्रव्यापी श्रद्धांजलि कार्यक्रम होते हैं, शहीदों के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा जाता है, और उनकी स्मृति में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

शहीद दिवस का महत्व केवल श्रद्धांजलि देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह युवाओं को प्रेरित करता है कि वे देश और समाज की भलाई के लिए निस्वार्थ सेवा करें। यह दिन हमें स्वतंत्रता संग्राम के कठिन संघर्षों और बलिदानों की याद दिलाता है। इसके माध्यम से हम उन शहीदों के अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प लेते हैं।

शहीद दिवस का इतिहास

28 सितंबर, 1907 को पंजाब के लायलपुर में बंगा गांव (जो अभी पाकिस्तान में है) में जन्मे भगत सिंह महज 12 साल के थे, जब जलियांवाला बाग कांड हुआ। इस हत्याकांड ने उनके मन में अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा भर दिया था।

Martyrs' Day 2025 (Image Credit-Social Media)

काकोरी कांड के बाद क्रांतिकारियों को हुई फांसी से उनका गुस्सा और बढ़ गया। इसके बाद वो चंद्रशेखर आजाद के हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़ गए। 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान अंग्रेजों ने लाठीचार्ज कर दिया। इस लाठीचार्ज में लाला लाजपत राय को गंभीर चोटें आईं। ये चोटें उनकी मौत का कारण बनीं।

इसका बदला लेने के लिए क्रांतिकारियों ने पुलिस सुपरिटेंडेंट स्कॉट की हत्या की योजना तैयार की। 17 दिसंबर 1928 को स्कॉट की जगह अंग्रेज अधिकारी जेपी सांडर्स पर हमला हुआ, जिसमें उसकी मौत हो गई। 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने ब्रिटिश भारत की सेंट्रल असेंबली में बम फेंके। ये बम जानबूझकर सभागार के बीच में फेंके गए, जहां कोई नहीं था।

Martyrs' Day 2025 (Image Credit-Social Media)

भारत में शहीद दिवस की तिथियाँ

भारत में शहीद दिवस वर्ष में अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है, क्योंकि अलग-अलग महान विभूतियों की शहादत को सम्मान देने के लिए उनके बलिदान दिवस पर यह दिन मनाया जाता है।30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर, 23 मार्च को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान दिवस पर, 21 अक्टूबर को पुलिस शहीद दिवस, 17 नवंबर को लाला लाजपत राय बलिदान दिवस और 19 नवंबर को रानी लक्ष्मीबाई बलिदान दिवस के रूप में शहीद दिवस मनाया जाता है।

भारत में शहीद दिवस सिर्फ एक तिथि तक सीमित नहीं है। यह विभिन्न तिथियों पर विभिन्न शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर, 23 मार्च को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान को याद करते हुए, और 21 अक्टूबर को पुलिस कर्मियों के बलिदान को नमन करने के लिए यह दिन मनाया जाता है। इन अलग-अलग तिथियों का उद्देश्य विभिन्न स्वतंत्रता सेनानियों और बलिदानियों को सम्मान देना है।

महान शहीद और उनके बलिदान

भारत की स्वतंत्रता संग्राम में हजारों वीर शहीद हुए, जिनके बलिदान से आज हम स्वतंत्र भारत में साँस ले रहे हैं।भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आज़ाद, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, खुदीराम बोस जैसे क्रांतिकारियों ने हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दी।इन महानायकों के बलिदान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और युवाओं में क्रांति की भावना जागृत की।

Martyrs' Day 2025 (Image Credit-Social Media)

भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने अपने जीवन का बलिदान देते हुए देश की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया। चंद्रशेखर आज़ाद ने अपनी अंतिम गोली से स्वयं को मारकर अंग्रेजों के हाथों में नहीं आने दिया। अशफाक उल्ला खान और राम प्रसाद बिस्मिल जैसे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती दी। इन शहीदों का बलिदान देश की स्वतंत्रता के लिए मील का पत्थर बना।

शहीद दिवस का महत्व और उद्देश्य

बलिदान का स्मरण: शहीद दिवस के माध्यम से देश उन अमर शहीदों को याद करता है, जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्योछावर किए।

युवाओं को प्रेरणा: यह दिन युवाओं को देशभक्ति, बलिदान और संघर्ष के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

देशभक्ति की भावना: शहीद दिवस राष्ट्रीय एकता और देशभक्ति को प्रबल करता है।

स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान: यह दिन उन स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान का प्रतीक है, जिनकी बदौलत हम आजादी का सुख भोग रहे हैं।

शहीद दिवस का मुख्य उद्देश्य शहीदों के बलिदान को स्मरण करना और उनके दिखाए मार्ग पर चलना है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि स्वतंत्रता की कीमत चुकाने में कितनी जानें गईं। युवाओं के लिए यह दिन प्रेरणा का स्रोत है, ताकि वे देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने का संकल्प लें।

शहीद दिवस भारत के वीर बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने का अवसर है.यह हमें स्वतंत्रता संग्राम और देश के लिए बलिदान देने वाले वीरों की याद दिलाता है।उनका त्याग, साहस और देशभक्ति हमें प्रेरित करते हैं कि हम देश की सेवा के लिए समर्पित रहें।शहीद दिवस सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि शहीदों के सपनों को पूरा करने का संकल्प है।

शहीद दिवस केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह उन महान स्वतंत्रता सेनानियों की अमर गाथा को याद करने का दिन है। यह हमें उनकी शौर्य गाथाओं को पढ़ने, उन्हें स्मरण करने और उनके अधूरे सपनों को पूरा करने की प्रेरणा देता है। हमें चाहिए कि हम उनके बलिदान को व्यर्थ न जाने दें और उनके आदर्शों पर चलकर देश को मजबूत और समृद्ध बनाएं।

Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh, leadership role in Newstrack. Leading the editorial desk team with ideation and news selection and also contributes with special articles and features as well. I started my journey in journalism in 2017 and has worked with leading publications such as Jagran, Hindustan and Rajasthan Patrika and served in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi during my journalistic pursuits.

Next Story