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Merry Christmas 2024: क्रिसमस से पहले सेंटा के स्वागत की तैयारियां तेज, लेकिन क्या आप जानते हैं इस त्योहार से जुड़ी ये खास बातें

Merry Christmas In Hindi: क्या आप जानते हैं क्रिसमस उत्सव में प्रभु यीशु और सेंटा क्लॉस के बीच वास्तव में कोई संबंध है ही नहीं। इस तरह की अन्य खास जानकारी के लिए ये आर्टिकल पूरा जरूर पढ़ें।

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 23 Dec 2024 11:02 AM IST
Merry Christmas 2024: क्रिसमस से पहले सेंटा के स्वागत की तैयारियां तेज, लेकिन क्या आप जानते हैं इस त्योहार से जुड़ी ये खास बातें
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Merry Christmas 2024 (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Merry Christmas 2024: क्रिसमस के पर्व पर सांता क्लॉस (Santa Claus) द्वारा काफी लंबे वक्त से बच्चों को उपहार देने की परंपरा चलती चली आ रही है। हमेशा 25 दिसंबर के दिन सांता क्लॉस को बच्चों से लेकर बड़े और बुजुर्ग सब शिद्दत से याद करते हैं। जबकि प्रभु यीशु के जन्मोत्सव (Jesus Christ Birthday) के तौर पर सेलिब्रेट किए जाने वाले इस उत्सव में प्रभु यीशु और सेंटा क्लॉस के बीच वास्तव में कोई संबंध है ही नहीं। सेंटा यानी संत निकोलस (Saint Nicholas) तो खुद ही प्रभु यीशु की भक्ति में लीन रहते थे। वह बच्चों को भी बहुत प्यार करते थे। उन्हें वह छिपकर गिफ्ट देना बेहद पसंद करते थे। इसीलिए वह रात के अंधेरे में यीशु के जन्मदिन के मौके पर बच्चों को तोहफा देते थे ताकि उन्हें कोई पहचान ना सके।

उपलब्ध जानकारी के अनुसार, सांता निकोलस (Saint Nicholas) का जन्म 280 ई. के आसपास आधुनिक तुर्की में मायरा के निकट पटारा में हुआ था। सांता क्लॉस के माता-पिता की मृत्यु उस समय हो गई थी, जब वह बहुत छोटे थे। उनका पालन-पोषण उनके चाचा ने किया था। ऐसा कहा जाता है कि सांता बहुत छोटी उम्र में ही पादरी बन गए थे। उनकी मौत करीब 1700 साल पहले हो गई थी। वह ईसाई धर्म मानने वाले परोपकारी संत थे। उन्होंने ही क्रिसमस पर लोगों और बच्चों को उपहार देने की परंपरा शुरू की थी। समय के साथ उनका ये कैरेक्टर सांता क्लॉस (Santa Claus Kon The) के नाम से मशहूर हो गया।

क्रिसमस एक ऐसा त्योहार है, जिसे ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों के साथ ही साथ हर धर्म से जुड़े लोग इसे धूमधाम से मनाते हैं। आइए जानते है क्रिसमस (Christmas) से जुड़ी कई खास जानकारियों (Christmas Ke Bare Mein Jankari) के बारे में।

मोजे में तोहफे रखने के पीछे ये थी वजह

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

क्रिसमस (Christmas) के दौरान एक खास परम्परा देखने को मिलती है, जिसमें सांता हमेशा बच्चों के तोहफों को मोजे के अंदर रख कर उन्हें देता हैं। मोजे में उपहार रखने की परंपरा संत निकोलस (Saint Nicholas) ने शुरू की थी। इससे जुड़ी एक कहानी के अनुसार संत निकोलस ने एक गरीब परिवार की मदद करने के लिए वहां रहने वाली तीन छोटी बच्चियों को कीमती तोहफे दिए थे, जिसमें उनके घर की चिमनी से सोने के सिक्कों से भरी 3 पोटलियां फेंकी थीं। ये तीनों पोटलियां बच्चियों के दीवार पर लटके मोजों में जाकर गिर गईं थीं। तब से चली आ रही ये परंपरा आज तक कायम है।

सोवियत शासन में था क्रिसमस पर प्रतिबंध

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

तानाशाह जोसेफ स्टालिन (Joseph Stalin) ने 1929 में क्रिसमस पर प्रतिबंध (Ban On Christmas) लगाने का फैसला किया था, क्योंकि वह नए सोवियत शासन में कोई धर्म नहीं चाहते थे। इसका मतलब था कि कोई सांता नहीं है। इसके बावजूद भी यहां लोग गुप्त रूप से जश्न मनाते थे। हालाँकि 1990 के दशक में क्रिसमस (Christmas) को फिर से अनुमति दी गई थी।

सांता को भेजी जाती है चिट्ठियां (Letters For Santa)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कनाडा में क्रिसमस (Christmas) से पहले सभी बच्चे सांता को चिट्ठी लिखते हैं। जिसमें वो अपनी हर एक इच्छा को दर्ज करते हैं। दरअसल, कनाडा में सांता का ’H0H 0HO’ अंकों वाला अपना एक खास डाक कोड काम करता है। क्रिसमस के मौके पर बच्चे इस कोड पर अपने पत्र भेज सकते हैं। बदले में सांता उन्हें जवाब भी देता है। इसी तरह अमेरिका में सभी पत्र इंडियाना के सांता क्लॉज़ (Christmas Santa Claus) नामक शहर के एक डाकघर में भेजे जाते हैं।

सांता को लिखे जाने वाले पत्रों में अमेरिका तीसरे नंबर पर है - दूसरे सबसे ज़्यादा पत्र कनाडा से आते हैं। सबसे ज़्यादा फ्रांस में बच्चों द्वारा लिखे जाते हैं! मेक्सिको और लैटिन अमेरिका में एक लोकप्रिय प्रथा है कि पत्रों को हीलियम गुब्बारे में डालकर उन्हें सांता तक उड़ा दिया जाता है।

बाइबिल में नहीं हैं यीशु के जन्म तारीख का जिक्र (Jesus Christ Birthday)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

क्रिसमस का त्यौहार हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है। लेकिन इसके पीछे के तथ्य कुछ और कहते हैं। बाइबिल के अनुसार, इस त्योहार की तारीख कभी यह थी ही नहीं। यहां तक कि चर्च ने कभी भी निश्चित रूप से नहीं सिखाया है कि यीशु का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था। इसका कोई निर्णायक दस्तावेज़ी सबूत नहीं है। पवित्र शास्त्र में किसी भी तारीख का उल्लेख नहीं है। ‘सबूत’ की इस कमी से हमें बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं होना चाहिए। कुछ लोगों का मानना है कि गिरजाघर ने प्राचीन रोम में 25 दिसंबर को होने वाले बुतपरस्त उत्सवों को कम करने के लिए इस तिथि को चुना था।रोम में कैथोलिक गिरजाघर ने 336 ईस्वी में इस तिथि पर क्रिसमस मनाना शुरू किया था।

‘जिंगल बेल’ सॉन्ग के पीछे ये है वजह (Jingle Bells Song)

मशहूर क्रिसमस सॉन्ग ’जिंगल बेल’ को लेकर कहा जाता है कि, यह गीत क्रिसमस के त्योहार के लिए नहीं लिखा गया था। इसे जेम्स लॉर्ड पियरपोंट ने 1850 में मैसाचुसेट्स में लिखा था। इसे सबसे पहले एक गिरजाघर में स्कूली बच्चों द्वारा गाया गया था।असल में जिंगल बेल गाना एक थैंक्सगिविंग त्योहार के मौके पर गाया जाता था।

संत निकोलस को लेकर प्रचलित है यह कहावत

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

बेंजामिन ब्रिटन की 1948 की सेंट निकोलस कैंटाटा में कहा गया है कि जब बच्चा पैदा हुआ जो बाद में सांता बना, तो उसने तुरंत भगवान की स्तुति की। कोई मामा या दादा नहीं , बस पूरे वाक्यों से शुरुआत की। हम शर्त लगाते हैं कि भविष्य के उपहार वितरक को वितरित करने में मदद करने वाले लोगों ने इसके बाद सदियों तक इसके बारे में बात की होगी !

ये था सांता की पोशाक का असली रंग

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

सांता की पहचान उसकी लंबी सफेद दाढ़ी और लाल रंग के कपड़ों संग तिकोने आकार की ऊंची टोपी में जानी जाती है। जबकि सालों पहले सांता को अक्सर भूरे, हरे या नीले कपड़ों में चित्रित किया जाता था। थॉमस नास्ट पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने उन्हें लाल कपड़ों में चित्रित किया था। इसके बाद इस चित्र को प्रसिद्धि तब मिली जब 1931 में कोका-कोला के विज्ञापनों में सांता को लाल कपड़ों में दिखाया गया था।



Shreya

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