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Mirchi Ke Bare Me Jankari: जानलेवा भी साबित होती है मिर्ची, जानिए मिर्ची के रंगों के साथ इसके गुण और दोष
Mirchi Ke Bare Me Jankari: भोजन को गहरा लाल रंग देने की क्षमता रखने वाली कश्मीरी लाल मिर्च खाने का स्वाद भी बढ़ाती है। इसकी खासियत यह है कि इसके इस्तेमाल से भोजन बहुत ज्यादा तीखा भी नहीं होता है।
Mirchi Ki Jankari Wiki in Hindi: भारत में अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आईएसओ) द्वारा सूचीबद्ध 109 मसालों में से 75 तरह के मसालों का उत्पादन किया जाता है। वहीं केरल राज्य को भारत का मसाला उद्यान कहा जाता है। यहां नारियल, सुपारी, काली मिर्च, केले, डोडे, तेजपात, लोंग जैसे मसालों का उत्पादन होता है। जबकि पंजाब भारत का सबसे ज़्यादा अजवाइन बीज पैदा करने वाला राज्य है। कोझिकोड, केरल को मसालों की नगरी कहा जाता है। वहीं बात मिर्च की करें आंध्र प्रदेश भारत में मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। आंध्र प्रदेश में मिर्च के कुल उत्पादन में 57 फीसदी हिस्सेदारी है।
आंध्र प्रदेश के गुंटूर, कृष्णा, और प्रकाशम ज़िले मिर्च के प्रमुख उत्पादक ज़िले हैं। दुनिया में सबसे अधिक मसालेदार फूड खाने वालों में भारतीयों का नाम पहले नंबर पर आता है। यही वजह कि यहां सबसे अधिक खाने में मिर्च का इस्तेमाल किया जाता है। मिर्च की अनगिनत वैरायटी आम बाजार में उपलब्ध हैं। जिसमें प्रायः रसोईयों में इस्तेमाल होने वाली मिर्च को पाउडर के रूप में किया जाता है। जिसमें विकल्प के तौर पर देगी मिर्ची पाउडर और कश्मीरी लाल और तीखी लाल मिर्च पाउडर उपलब्ध होते हैं। जिसमें देगी मिर्ची और कश्मीरी मिर्च दोनों ही अपने तीखेपन के स्तर को देखते हुए हल्के हैं। लेकिन इसके बावजूद, दोनों का स्वाद बहुत अलग है। लोग प्रायः कन्फ्यूज्ड भी रहते हैं कि आखिर कौन सी मिर्च ज्यादा बेहतर है?
भोजन को गहरा लाल रंग देने की क्षमता रखने वाली कश्मीरी लाल मिर्च खाने का स्वाद भी बढ़ाती है। इसकी खासियत यह है कि इसके इस्तेमाल से भोजन बहुत ज्यादा तीखा भी नहीं होता है। कश्मीरी लाल मिर्च साबुत व पाउडर दोनों ही रूपों में इस्तेमाल किया जाता है। विशेष रूप से यह कश्मीरी और उत्तर भारतीय भोजन का प्रमुख हिस्सा माना जाता रहा है। वैसे भारत में मिर्च की सैकड़ों किस्में उगाई जाती हैं। हर तरह की मिर्च का स्वाद, रंग, तीखापन, और तीव्रता अलग-अलग होती है। मिर्च की तीखापन उसमें मौजूद कैप्सेसिन नामक एलर्जीजनक लवण पर निर्भर करता है। मिर्च के कुछ और प्रकार ये रहेः
कश्मीरी मिर्चः
यह देगी मिर्च से ज़्यादा तीखी होती है। भारत कश्मीरी लाल मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। वे कश्मीर में उगाई जाने वाली गुणवत्ता वाली लाल मिर्च का मिश्रण हैं। इन मिर्चों को पूरे मसाले के रूप में, पाउडर के रूप में या टुकड़ों में काटकर इस्तेमाल किया जा सकता है। यह उन खाद्य पदार्थों में बहुत चमकीला रंग जोड़ती है जो रंग को सोखने में सक्षम हैं।
कश्मीरी मिर्च खाने को एक चटक लाल रंग देती है और किसी भी डिश में स्वाद जोड़ने में भी सक्षम है। ये मिर्च हल्की भी होती हैं। आकार में छोटी होती है और कम तीखी होती है। इसका ज़्यादातर इस्तेमाल तंदूरी व्यंजनों में किया जाता है क्योंकि भूनने पर यह ज़्यादा खुशबूदार हो जाती है।
देगी मिर्ची
देगी मिर्ची एक पारंपरिक भारतीय मसाला है, जो लाल मिर्च और कश्मीरी सूखी लाल मिर्च के एक सुंदर मिश्रण से बनाया जाता है। यह हल्का मसालेदार होता है और भारतीय व्यंजनों में गहरा लाल या नारंगी रंग जोड़ने के लिए प्रामाणिक रूप से उपयोग किया जाता है।
इसका उपयोग दाल और पराठा जैसे व्यंजनों में हल्का तीखापन और खूबसूरत रंग जोड़ने के लिए किया जाता हैं है। यह हल्के पपरिका जैसी होती है और ग्रेवी, स्टू, और सूप को गहरा लाल रंग देती है।
ब्यादगी मिर्च
यह कर्नाटक में उगाई जाने वाली एक प्रसिद्ध किस्म है। यह गहरे लाल रंग की होती है और कश्मीरी लाल मिर्च की तरह कम तीखी होती है। इस लिस्ट में गुंटूर मिर्च भी एक प्रसिद्ध मिर्च है।
कैरोलिना रीपर मिर्च
कैरोलिना रीपर मिर्च दुनिया की सबसे तीखी मिर्च में से एक है। कई लोगों का मानना है यह दुनिया की तीसरी सबसे तीखी मिर्च है। इस मिर्च की खेती अमेरिका से सबसे अधिक होती है।
हबनेरो मिर्च
शिमला मिर्च की प्रजाति में शामिल हबनेरो मिर्च दुनिया की सबसे तीखी मिर्च में से एक है। यह मिर्च ऑरेंज, लाल आदि रंग में भी होती है।
कई लोग दुनिया की दूसरी सबसे तीखी मिर्च मानते हैं। नाइजीरिया में इस मिर्च की खेती सबसे अधिक होती है।
भूत झोलकिया मिर्च
दुनिया की सबसे तीखी मिर्च असम में उगाई जाती है, जिसे भूत झोलकिया कहते हैं। इसे नागा झोलकिया, नागा मोरिच और घोस्ट चिली भी कहा जाता है।वैसे तो भारत में कई तरह की मिर्च की खेती होती है। लेकिन कई लोगों का मानना है कि भूत झोलकिया भारत की सबसे तीखी मिर्च है।
कई लोग इसे घोस्ट पेपर के नाम से भी जानते हैं। भारत के असम, मणिपुर, नागालैंड आदि राज्यों से सबसे अधिक इस मिर्च की खेती की जाती है।
नागा मोरिक मिर्च
इसको कई लोग नागा मोरीच मिर्च के नाम से भी जानते हैं। यह मिर्च देखने में छोटो होती है। लेकिन यह इस कदर तीखी होती है कि एक मिर्च खाना किसी चुनौती से कम नहीं है।
नागा मोरिक की खेती बांग्लादेश में सबसे अधिक होती है।
ड्रेगन्स ब्रेथ
दुनिया की सबसे तीखी मिर्च में शामिल ड्रेगन्स ब्रेथ को छूने से पहले ही चेतवानी देनी पड़ती है।
कहा जाता है कि यह मिर्च इस कदर तीखी होती है कि सिर्फ एक मिर्च से कई दिनों तक खाना बना सकते हैं। इस मिर्च की खेती यूनाइटेड किंगडम में सबसे अधिक होती है।
इंफिनिटी चिली
शिमला मिर्च की प्रजाति में शामिल इंफिनिटी चिली भी एक तीखी मिर्च है। कहा जाता है कि इस मिर्च का तीखापन लगभग लाख स्कोविल हीट से भी अधिक होती है।
इंफिनिटी चिली को सिर्फ छूने मात्र से जलन होने लगती है।
डोरसेट नागा
डोरसेट नागा भी सबसे तीखी मिर्च में से एक है। डोरसेट नागा मिर्च की खेती सबसे अधिक यूनाइटेड किंगडम में होती है और यह काफी कीमती भी होती है।
बुलेट टाइप चिली
बुलेट टाइप चिली भी तीखी मिर्च में शामिल है।
बुलेट टाइप मिर्च देखने में छोटी होती है, लेकिन तीखी बहुत भी होती है। यह खासकर ठंडे प्रदेश से सबसे अधिक होती है।
मिर्च खाने से होते हैं ये लाभ
मिर्च विटामिन सी का स्रोत है। इसके सेवन से बीमार प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। यह नेत्र, त्वचा, डायबिटीज, पेट के कीड़े, बुरे बैक्टीरिया, सूजन, जोड़ों का
दर्द, कैंसर, हार्ट आदि में लाभदायक है। मिर्च एंटी-ऑक्सीडेंट का एक अच्छा माध्यम है। इसे मूड बूस्टर के रूप में भी जाना जाता है।
सबसे अच्छी लाल मिर्च कौन सी होती है?
भारत में इस्तेमाल होने वाली सबसे उम्दा क्वालिटी की मिर्च की बात करें तो इस लिस्ट में मथानिया मिर्च का नाम आता है। ये लाल रंग की राजस्थानी मिर्च होती हैं और ये भारत में उगाई जाने वाली सबसे तीखी लाल मिर्चों में से एक मानी जाती हैं।
तड़का के लिए कौन सी लाल मिर्च का उपयोग किया जाता है?
तड़का के लिए सबसे बेहतर बोराई मिर्च को माना जाता है। मिर्च की ये किस्म अपने आकार के लिए जानी जाती हैं। ये बेरी के आकार की मोटी मिर्च होती है। जिन्हें आमतौर पर दाल और कढ़ी में तड़के के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
लाल मिर्च खाने से कौन सी बीमारी होती है
लाल मिर्च का ज्यादा सेवन करना पेट के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
मिर्च में मौजूद कैप्साइसिन पेट की परत में जलन पैदा करके सीने में जलन या एसीडिटी की समस्या पैदा कर सकती है।
हरि मिर्च के सेवन से कई तरह के फ़ायदे होते हैं-
- हरी मिर्च में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की अंदरूनी सफ़ाई करते हैं और कैंसर के खतरे को कम करते हैं।
- हरी मिर्च में पाया जाने वाला कैप्सेसिन दर्द निवारक के रूप में काम करता है। इससे आर्थराइटिस जैसी बीमारियों में दर्द और सूजन कम होती है।
- हरी मिर्च में मौजूद विटामिन सी इम्यूनिटी बढ़ाता है और मौसमी बीमारियों से बचाता है। हरी मिर्च में मौजूद विटामिन ए आंखों के लिए फ़ायदेमंद साबित होता है।
- हरी मिर्च में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की बढ़ती उम्र को रोकने में मददगार साबित होता है।
- हरी मिर्च में मौजूद फ़ाइबर पाचन को सुधारता है और कब्ज़ से राहत दिलाता है।
- हरी मिर्च में मौजूद कैप्साइसिन एंटीडायबिटिक के रूप में काम करता है।
- हरी मिर्च में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज त्वचा से कील-मुहांसों को दूर करती हैं।
- हरी मिर्च में मौजूद विटामिन सी आयरन के अवशोषण में मदद करता है।
- हरी मिर्च शरीर के तापमान को नियंत्रित रखती है, जिससे मुंह और पेट के अल्सर में आराम मिलता है।
गमले में इस तरह लगाएं मिर्ची का पौधा
हरी मिर्च को गमले में उगाने के लिए बिना नमी वाली सॉफ्ट मिट्टी में गोबर की खाद मिक्स करें। उसके बाद गमले में 2 से 3 इंच की गहराई में हरी मिर्च के बीज डालें। इस बात का ध्यान रखें कि बीज अच्छी क्वालिटी के होने चाहिए। हरी मिर्च के पौधे में दिन में एक बार ही पानी डालें क्योंकि ज्यादा पानी डालने से पौधे मर जाते हैं। 20 दिन के अंतर पर छोटे छोटे मिर्च के पौधे बीज को रोपने के बाद जमने शुरू हो जाएंगे।