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Health : मच्छर मारने वाले कीटनाशकों से अपने बच्चों को रखें दूर

seema
Published on: 2 Feb 2018 7:13 AM GMT
Health : मच्छर मारने वाले कीटनाशकों से अपने बच्चों को रखें दूर
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लखनऊ। सर्दी के बाद अब कुछ समय बाद गर्मी का मौसम शुरू होने वाला है। ऐेसे में मच्छरों का प्रकोप बढ़ेगा। मच्छरों से बचाव को लेकर हर घर में मच्छर मारने वाला कीटनाशक का प्रयोग होता है,लेकिन यह नुकसानदायक होता है। यह छोटे-बड़े के साथ ही गर्भस्थ भ्रूण के लिए भी खतरनाक होता है। इसके दुष्प्रभाव से शिशु अपंग पैदा हो सकते हैं और भी दूसरे नुकसान हो सकते हैं। मच्छरनाशक कॉइल, मैट और लिक्विड में खतरनाक रसायन होते हैं। सबसे अच्छा तरीका है कि इससे बचाव किया जाए और इससे दूर रहा जाए।

कैसे करते हैं नुकसान

अधिकतर मच्छरनाशकों में पाइरेथ्रोइड नामक रसायन मिला होता है। यह खतरनाक कीटनाशक है जो जेनेटिक बीमारियों तक को जन्म देता है। गर्भ में पल रहे भ्रूण के जीन (क्रोमोसोम्स)में गड़बड़ी कर देता है। यह भ्रूण के विकास में सहायक मुख्य 13वें, 18वें और 21वें नंबर के क्रोमोसोम्स को क्षतिग्रस्त कर देता है जिससे शिशु के अंगों का विकास रुक जाता है और वह अपंग पैदा हो सकता है।

बच्चों को खतरा

इसका उपयोग छोटे बच्चों के आसपास करने से उन्हें भी नुकसान करता है। उन्हें इससे एलर्जी के साथ सांस संबंधित रोग जैसे दमा, अस्थमा और खांसी तक की शिकायत हो सकती है।

बड़ों को भी नुकसान

बड़ों में इसका असर कम होता है, लेकिन अधिक समय तक इसका इस्तेमान उन्हें भी नुकसान पहुंचा सकता है। इसके असर से उनमें चक्कर आना, सिरदर्द, थकावट आदि की शिकायत रहती है। कभी-कभी एलर्जी भी हो जाती है जिसमें खुलजी के साथ त्वचा झुलसने जैसी समस्या होती है। इसका अत्यधिक प्रयोग दिमाग और नर्वस सिस्टम पर भी असर पड़ता है। ये शरीर की कोशिकाओं को भी तोड़ता है जिसे मेटोबोलिटिज कहते हैं।

इस तरह करें मच्छरों से बचाव

  • सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
  • पूरे शरीर को कपड़े से ढककर रखें। लाइट कलर के कपड़े पहनें। डार्क कलर के कपड़ों पर मच्छर अधिक आकर्षित

    होते हैं।

  • नीम व कपूर मिले तेल से दीपक का प्रयोग कर सकते हैं। इससे भी मच्छर भागते हैं।
  • खिड़की-दरवाजे के पास तुसली के पौधे लगाएं। इसके गंध से मच्छर दूर रहते हैं।
  • स्प्रे का छिड़काव तो भूलकर भी न करें। यह सांस से शरीर में जाते हैं और वहां ब्लड में जाकर भ्रूण तक पहुंच जाते हैं।
  • बहुत जरूरी न हो तो रिप्लेंट का प्रयोग न करें। अगर करना पड़ता है तो सीधे संपर्क में न आएं।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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