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Motiovational Story:संपत्ति बड़ी या संस्कार

Motiovational Story: मैंने पाई-पाई जोड़ कर अपने इकलौते पुत्र के लिए अथाह संपत्ति एकत्र की है। मगर वह मेरी इस गाढ़े पसीने की कमाई को बड़ी बेदर्दी के साथ, बुरे व्यसनों में लुटा रहा है।

Shalini singh
Published on: 7 March 2024 6:40 PM IST
Sant Thiruvalluvar
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Sant Thiruvalluvar

Motivatiuonal Story: दक्षिण भारत में एक महान सन्त हुए तिरुवल्लुवर। वे अपने प्रवचनों से लोगों की समस्याओं का समाधान करते थे। इसलिए उन्हें सुनने के लिए दूर-दूर से लोग उनके पास आते थे।एक बार वह एक नगर में पहुँचे। उनके प्रवचन को सुनने के पश्चात एक सेठ ने हाथ जोड़कर निराशा का भाव लिए उनसे कहा-

'गुरुवर, मैंने पाई-पाई जोड़ कर अपने इकलौते पुत्र के लिए अथाह संपत्ति एकत्र की है। मगर वह मेरी इस गाढ़े पसीने की कमाई को बड़ी बेदर्दी के साथ, बुरे व्यसनों में लुटा रहा है। मैं बहुत उलझन में हूँ। पता नहीं, भगवान किस अपराध के कारण मेरे साथ यह अन्याय कर रहा है।'

सन्त ने मुस्करा कर कहा, 'सेठ जी, तुम्हारे पिता ने तुम्हारे लिए कितनी संपत्ति छोड़ी थी ?'

सेठ बोला, 'वह बहुत ही गरीब थे। उन्होंने मेरे लिए कुछ भी नहीं छोड़ा था।'

सन्त ने कहा, 'तुम्हारे पिता ने तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं छोड़ा, इसके बावजूद तुम इतने धनवान हो गए।

लेकिन अब तुम इतना धन जमा करने के बावजूद तुम यह समझ रहे हो कि तुम्हारा बेटा तुम्हारे बाद गरीबी में दिन काटेगा.?

सेठ ने अश्रुभरी आँखों से कहा, 'आप सच कह रहे हैं। परन्तु मुझसे गलती कहाँ हुई जो वह व्यसनों में डूबा रहता है।'

सन्त ने कहा, तुम यह समझकर धन कमाने में लगे रहे कि अपनी सन्तान के लिए दौलत का अम्बार लगा देना ही एक पिता का कर्तव्य है। इस चक्कर में तुमने अपने बेटे की पढ़ाई और संस्कारों के विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया।

मात-पिता का पुत्र के प्रति प्रथम कर्तव्य यही है कि वह उसे पहली पंक्ति में बैठने योग्य बना दे। बाकी तो सब कुछ अपनी योग्यता के बलबूते पर वह हासिल कर लेगा।'

सन्त की वाणी से सेठ की आँखें खुल गईं और उसने सिर्फ धन को महत्व न देकर अपने बेटे को सही रास्ते पर लाने के लिए उसे अच्छे अच्छे संस्कार देने का निर्णय किया।

कहते हैं न की

बच्चों को उनके पसंद के

खिलौने नहीं दिये तो

थोड़ी देर रोयेंगे।

लेकिन अगर

अच्छे संस्कार नहीं दिये तो

बाद में वो जीवन भर रोयेंगे।

इसलिए...

अपने बच्चों को

अच्छे संस्कार दिजिए

क्योंकि..

अच्छे संस्कार से ही

अच्छा संसार ( जीवन ) बनेगा।



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Shalini singh

Shalini singh

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