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Motivational Story in Hindi: चिंतन/लालच बुरी बला
Motivational Story in Hindi: चिंतन और लालच दो ऐसे गुण हैं जो अक्सर बुरी बला के रूप में दिखाई देते हैं। इन गुणों की प्रभावशाली और प्रभावी कहानी के माध्यम से इस विषय को समझाया जाता है।
Motivational Story in Hindi: किसी शहर में चार ब्राह्मण मित्र रहते थे । वे बेचारे बहुत गरीब थे । वे हर रोज सोचते कि हम क्यों गरीब हैं, हमारे साथ के बहुत से लोग अमीर हैं, वे भी हमारे जैसे ही तो इंसान हैं । धनी बनने के चक्कर में वे चारों-के-चारों अपने घर से निकलकर उज्जैन नगरी में पहुंच गए। वहां पर उन्हें एक तपस्वी साधु मिला । उसके चरणों में प्रणाम कर वे चारों बैठ गए । साधु ने उनसे पूछा कि तुम लोग यहाँ क्या करने आए हो? उन चारों ने साधु के चरणों में गिरकर कहा,”महाराज हम ब्राह्मण पुत्र हैं । किन्तु निर्धन होने के कारण बहुत दुखी हैं, इसलिए जैसे भी हो, हमें अमीर बनने का रास्ता बताओ ।'
उन चारों लड़कों पर साधु को दया आ गई । तभी उन्होंने इन्हें चार बत्तियां देकर कहा, 'इन्हें ले जाकर तुम ऊंचे पहाड़ पर चढ़ जाओ, फिर इन्हें एक -एक करके फेंकना । जहाँ पर भी बत्ती गिरेगी वहीँ पर तुम्हें खजाना मिलेगा ।’
जैसे ही वे पहाड़ पर चढ़े उनमें से एक ने अपनी बत्ती फेंकी । जहाँ पर वह बत्ती गिरी उस स्थान को खोदने पर बहुत-सा तांबा निकला । उस तांबे को देखकर तीनों बोले- "यह तो बेकार है, इससे हम अमीर नहीं बन सकते । चलो और आगे चलते हैं ।' लेकिन चौथे मित्र ने उनकी बात न मानते हुए कहा, 'नहीं, मेरे लिए तो यही काफी है, अब मैं और आगे नहीं जाऊंगा ।' उसे वहीं पर छोड़कर वे तीनों आगे चले गए।
कुछ आगे गए तो दूसरे वाले ने अपनी बत्ती फेंकी। उस स्थान को खोदने से चांदी मिल गई । उसने खुशी से कहा "भाई लोगों, अब हमें और आगे जाने की जरूरत नहीं,इससे हम अमीर बन जाएंगे।' उसकी बात सुन उन दोनों ने कहा,'भाई देख,पहले तांबा मिला,फिर चांदी। अब यदि आगे जाएंगे तो सोना मिलेगा।इसलिए हम दोनों आगे जाते है।' यह कहकर वे दोनों आगे बढ़ गए।
जैसे ही वे आगे गए तो तीसरे ने अपनी बत्ती फेंकी। उस स्थान को खोदने पर सोना मिल गया।वह सोने को पाकर अपने साथी से बोला,'भाई,अब और आगे जाने की जरूरत नहीं।अब तो हमें सोना मिल गया है।'लेकिन चौथा साथी बोला,'भाई,हो सकता है आगे हमें हीरे मिल जाएं। पहले तांबा,फिर चांदी,फिर सोना,अब तो हीरे मिलेंगे हीरे। मैं तो अब हीरे लेने जा रहा हूँ। तुम बेशक यहीं पर रहो।'
यह कहकर वह आगे बढ़ता गया। दूर पहाड़ी पर चढ़ उसने एक ऐसे प्राणी को देखा जिसके सिर पर एक चक्र घूम रहा था और वह बेचारा खून से लथपथ खड़ा था।
उसे देखकर वह उस व्यक्ति के पास जाकर बोला-'भाई,यह क्या? तुम्हें क्या हो गया?
अभी वह बोल ही रहा था कि चक्र उसके सिर पर से हटकर उस लड़के के सिर पर आ गया।वह डर और पीड़ा के मारे तड़पते हुए कहने लगा-' यह क्या हो गया भाई ?तब वह आदमी बोला ,भाई इस खूनी पहाड़ी पर मैँ भी धन के लोभ में ऐसी ही बत्ती लेकर आया था। मेरे आने से पहले यह किसी और व्यक्ति को जकड़े बैठा था। मैंने उसके पास जाकर अपनी लोभ की कहानी सुनाई तो यह मुझे पकड़ कर बैठ गया ।अब तुम...
इसी बीच उसके तीन साथी उसे ढूंढते आए तो उसे इस प्रकार जकड़े देखकर हैरान रह गए और उसे कहने लगे,'तू लोभ में आकर ही तो फंसा हैँ लोभ ही सब दुःखों की जड़ है। आवश्यकता से अधिक सहेजी गई या फिर छीनी गई हर विषय वस्तु ही लालच की श्रेणी में आतें हैं परोपकार दान मात्र से इससे बचा जा सकता है