×

Motivational Story: प्रेरक प्रसंग/ अब-काहे-के-सौ

Motivational Story: एक दिन सेठ से सौ रुपए उधार मागे और काम छोड़कर चला गया, काफी दिन तक वह सेठ के पास नहीं आया, सेठ तो था कंजूस, वह सौ रुपयों के बारे में सोच सोचकर परेशान रहता

Network
Newstrack Network
Published on: 19 March 2024 12:19 PM GMT
Motivational Story
X

Motivational Story

Motivational Story: किसी गांव में भोला नाम का एक लड़का रहता था। घर में वह और उसकी मां केवल दो प्राणी थे। पिता, उसके बचपन में ही चल बसे थे। भोला गरीबी के कारण स्कूल नहीं जा सका।कमाने के लिए वह एक सेठ के यहां नौकरी करने लगा। नाम के अनुसार ही वह भोला-भाला था। सेठ उसे समय समय पर ठगता रहता था। कम रुपए देता व काम ज्यादा लेता। भोला दुःखी रहता था।किसी तरह उसे पता चला कि उसके गांव में साक्षरता कक्षा चल रही है। वह वहां पढ़ने जाने लगा। जल्दी ही वह हिसाब लगाने लगा। रुपयों पैसों का हिसाब वह अंगुलियों पर गिनकर कर लेता उसने सेठजी से बदला लेने की सोची।एक दिन उसने सेठ से सौ रुपए उधार मागे और काम छोड़कर चला गया।काफी दिन तक वह सेठ के पास नहीं आया। सेठ तो था कंजूस। वह सौ रुपयों के बारे में सोच सोचकर परेशान रहता।

एक दिन रास्ते में भोला मिला। सेठ ने भोला से कहा, भोला, कुछ दिन पहले तुमने मुझसे सौ रुपए उधार लिए थे वह लौटा दो।” भोला ने आंखे मटकाते हुए कहा, “कौन से रुपए सेठ जी? वह तो कब के खर्च हो गए। सेठजी ने कहा, “किसमें खर्च हुए।”

भोला ने कहा, “सुनो सेठजी। मैं सारा हिसाब बताता हूं।”

दस के ले लिए आजरा-बाजरा, दस के ले लिए जौ, सेठजी अब काहै के सौ।”

इतना सुनते ही सेठजी अवाक् रह गए । वह झल्लाते हुए बोले “अरे अस्सी ही दे दो।”

भोला फिर मुस्कराते हुए बोला, “दस की ले ली लोटा बाल्टी दस की ले ली रस्सी, सेठजी अब काहे के अस्सी।”

सेठजी भोला की बातें सुनकर मन ही मन तिलमिला रहे थे गुस्से में उनका बुरा हाल था। वह बोले “साठ ही दे दो।”

भोला फिर आंखें मटकाते हुए बोला, “सुनो सेठ जी, दस के ले लिए इस्तर विस्तर, दस की ले ली खाट, सेठजी अब काहे के साठ।

सेठजी का बुरा हाल था। वह फिर बोले”भोला, कम से कम मेरे चालीस रुपए ही दे दो।”

भोला फिर बोला, “दस की ले ली जूता चप्पल, दस की ले ली पॉलिस, सेठजी अब काहे के चालीस।”

सेठ के पसीना छूट रहा था। वह बोले “कम से कम बीस ही दे दो।

भोला ने फिर आंखें मटकाते हुए कहा, “दस की ले ली कापी किताबें, दस की दे दी फीस। सेठजी अब काहे के बीस?”

यह सुनकर सेठजी को तो चक्कर आने लगे उन्होंने फिर कहा, भोला, कम से कम मुझे ब्याज ही दे दो।”

भोला फिर मुस्कराते बोला, “दस की ले ली सब्जी, दस की ले ली प्याज, सेठजी अब काहे का ब्याज।”

इतना सुनते ही सेठजी के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह धड़ाम से नीचे गिर गए। भोला ने सेठ को बेईमानी का मज़ा चखा दिया था। सेठजी अपनी करनी पर पछता रहे थे।

Shalini singh

Shalini singh

Next Story