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Motivational Story: प्रेरक प्रसंग/ बूढ़ा और घोड़ा

Motivational Story: “यह मेरे लिए सिर्फ घोड़ा नहीं है, वह एक व्यक्ति और मेरा अच्छा दोस्त है। क्या आप किसी व्यक्ति या दोस्त को बेच सकते हैं

Kanchan Singh
Published on: 30 March 2024 2:28 PM IST
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Motivational Story: एक गांव में एक गरीब बूढ़ा रहता था। वह बहुत गरीब था, फिर भी उनके पास एक सुंदर सफेद घोड़ा था। इसके कारण, राजा के लोग भी उनसे ईर्ष्या करते थे।उसे उस सफेद घोड़े को बेचने के लिए राजा के तरफ से अच्छी कीमत दी गई थी। लेकिन बूढ़ा आदमी यह कहते हुए मना कर देता था, “यह मेरे लिए सिर्फ घोड़ा नहीं है। वह एक व्यक्ति और मेरा अच्छा दोस्त है। क्या आप किसी व्यक्ति या दोस्त को बेच सकते हैं। नहीं, यह हमारे लिए संभव नहीं है।”एक दिन सुबह जब वह खलिहान घर में गया तो उसने देखा कि घोड़ा वहां नहीं है। यह खबर गांव में जल्दी फैल गई। पूरा गांव उनके घर पर जमा हो गया।

गांव वालों ने कहा, “तुम मूर्ख बूढ़े हो। हर कोई उस घोड़े को पाना चाहता था। सभी जानते थे कि किसी दिन यह घोड़ा चोरी हो जाएगा। आप उस घोड़े को अच्छी कीमत पर बेच सकते थे। फिर भी आपने उसे रखा। अब घोड़ा चला गया है, यह आपका दुर्भाग्य है।”

बूढ़े आदमी ने जवाब दिया, “सच तो यह है कि घोड़ा स्थिर नहीं है। बाकी सब कुछ जो तुम कहते हो वह एक फैसला है। आप कैसे जानते हैं यह दुर्भाग्य है या नहीं?”

लोगों ने जवाब दिया, “हमें मूर्ख मत बनाओ। आपका सफेद घोड़ा चला गया है, यह आपका दुर्भाग्य है।”

गांव के लोग उस पर हंसे और चले गए। उन्होंने कहा कि वह पागल है। वह उस घोड़े को बेच सकता था।गरीबी में जीने की वजह एक बेहतर जीवन जी सकता था।

कुछ दिनों के बाद, सफेद घोड़ा जंगल से वापस आया। उसके साथ कुछ और जंगली घोड़े भी आए।

गांव के लोग फिर उनके घर पर इकट्ठा हो गए और बोले, “आप सही थे, यह दुर्भाग्य नहीं बल्कि आशीर्वाद है। अब आपके पास और भी सुंदर घोड़े हैं। आप उन्हें प्रशिक्षित कर सकते हैं और बेच सकते हैं।”

बूढ़े ने उत्तर दिया, “फिर से आप बहुत दूर जा रहे हो। बस आप यह कहें कि घोड़ा वापस आ गया है। अधिक घोड़ों का होना एक आशीर्वाद है। यह केवल एक टुकड़ा है, एक दिन यह भी गुजर जाएगा।”

इस बार गांव के लोग चुप रहे। बूढ़े आदमी के इकलौते बेटे ने घोड़ों को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया। कुछ दिनों के बाद उन जंगली घोड़ों को प्रशिक्षण देने के दौरान, बूढ़े का बेटा घोड़े से गिर गया। उसके पैर टूट गया।

इस बात को सुनकर गांव के लोग इकट्ठे हो गए। बोले,“आप ठीक कह रहे थे,अधिक घोड़े होना कोई आशीर्वाद नहीं है।अब तुम्हारा बेटा इससे घायल हुआ है।इस बुढ़ापे में,अपने अपाहिज बेटे का क्या करोगे?”

बूढ़े ने उत्तर दिया,“इतनी दूर मत जाओ।इतना ही कहो कि मेरे बेटे की टांग टूट गई है।कौन जानता है कि यह दुर्भाग्य है या आशीर्वाद?किसी को नहीं मालूम।”

एक महीने बाद,युद्ध के कारण गांव के सभी युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए मजबूर होना पड़ा।इसीलिए युवाओं के माता-पिता और गांव के सभी लोग रो रहे थे।

गांव के लोग बूढ़े आदमी के पास आए और कहां,“हमारे बेटे हमेशा के लिए चले गए।आपके बेटे की चोट लगना वरदान साबित हुई है।कम से कम वह जिंदा है। आपके साथ रह रहा है।”

बूढ़े ने उत्तर दिया,“कोई नहीं जानता।इतना ही कहो,हमारे बेटे को सेना में भर्ती होने के लिए मजबूर किया गया। आपके बेटे को मजबूर नहीं किया गया।लेकिन कोई नहीं जानता यह आशीर्वाद है या दुर्भाग्य है।केवल भगवान जानता है।”हमें किसी भी स्थिति का न्याय केवल उसी से नहीं करना चाहिए,जो हम देखते हैं।हम कभी यह नहीं जानते कि आगे क्या होने वाला है।

Shalini singh

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