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Motivational Story: शल्यक्रिया

Motivational Story: माता ने बालक का हित समझकर चीरा लगवाना स्वीकार किया, डाक्टर साहब चीरा देने लगे

Kanchan Singh
Published on: 25 May 2024 10:00 AM GMT
Motivational Story ( Social Media Photo)
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Motivational Story ( Social Media Photo)

Motivational Story: अबोध बालक के एक जहरीला फोड़ा हो गया, असहनीय वेदना है, बालक की माता ने डॉक्टर को बुलवाया, डाक्टर ने चीरा लगवाने का परामर्श देते हुये कहा कि यदि बहुत शीघ्र शल्यक्रिया (ऑपरेशन) नहीं की जायगी तो फोड़े का विष समस्त शरीर में फैल जायगा और ऐसा होने से बालक के मर जाने की संभावना है ! माता ने बालक का हित समझकर चीरा लगवाना स्वीकार किया, डाक्टर साहब चीरा देने लगे। उस समय उस अपरिणामदर्शी अबोध बालक ने शल्यक्रिया की क्षणिक वेदना से व्यथित होकर बड़े जोर-जोर से रोना आरम्भ कर दिया और चीरा दिलवाने वाली माता को प्रत्यक्ष शत्रु समझकर बुरा भला कहने लगा।माता ने बालक के रोने और बकने की कोई परवाह नहीं की, उसे और भी जोर से पकड़ लिया, शल्यक्रिया हो गई, चीरा लगते ही अन्दर का सारा विष बाहर निकल पड़ा, बालक की समस्त पीड़ा मिट गयी और वह सुख पूर्वक सो गया ! ‘

बालक अज्ञान में चीरा लगवाने में रोता है और समझदार लोग जानबूझकर चीरा लगवाते हैं। भगवान् भी अपने प्यारे भक्त के समस्त आन्तरिक दोषों को निकालकर बाहर फेंक देने के लिये समय-समय पर शल्यक्रिया (ऑपरेशन) किया करते हैं, उस समय सांसारिक संकटों का पार नहीं रहता परन्तु इस सारी रुद्रलीला में कारण होता है केवल एक ‘भक्त की आत्यन्तिक हित-चिन्ता'! जिस प्रकार दयामयी जननी अपने प्यारे बच्चे के अङ्ग का सड़ा हुआ अंश कटवाकर फेंक देती है , उसी प्रकार भगवान् भी अपने प्यारे बच्चों की हितकामना से उनके अन्दर के विषय-विष को निकालकर फेंक दिया करते हैं। ऐसी अवस्था में परिणामदर्शी विश्वासी भक्तों को तो आनन्द होता है और विषयासक्त अज्ञानी मनुष्य रोया चिल्लाया करते हैं।

( लेखिका ज्योतिषाचार्य हैं ।)

Shalini Rai

Shalini Rai

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