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Motivational Thoughts: जीवन को बनाएं आसान इन मोटिवेशनल संदेशों के साथ

Motivational Thoughts: जीवन में आगे बढ़ने और उम्मीदों को बनाये रखने के लिए इन संदेशों पर एक नज़र डालें।

Shweta Srivastava
Published on: 16 March 2025 8:14 AM
Motivational Thoughts
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Motivational Thoughts (Image Credit-Social Media)

Motivational Thoughts: जीवन में अगर आप भी थक हारकर अपनी उम्मीदों को छोड़ चुकें हैं तो आज हम आपके लिए कुछ ऐसे प्रेरक सन्देश लेकर आये हैं जो आपको जीवन में आगे बढ़ने और एक बेहतर ज़िन्दगी को जीने का हौसला देंगें। आइये एक नज़र डालते हैं इन मोटिवेशनल कोट्स पर।

मोटिवेशनल कोट्स (Motivational Quotes in Hindi)

श्रेष्ठ जीवन रूपी मकान की नींव हमारे श्रेष्ठ विचार हैं, विचार जिस प्रकार के होंगे जीवन भी वैसे ही बनता जाएगा।

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परिस्थिति इतनी बड़ी नहीं होती, अपितु हम उसके बारे में नकारात्मक सोच-सोच कर उसे बड़ा अर्थात कठिन बना देते हैं।

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आम आदमी का महान बनना आम बात है। लेकिन महान बनने के बाद वह आम हो जाये तो जीना सचमुच कठिन है।

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यदि लैंप को सही स्थान पर रखा जाए तो एक छोटा सा इंसान बहुत बड़ी परछाई बन सकता है।

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परिवर्तन जीवन का अनिवार्य नियम है। इंसान चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, उसके लिए जीवन में बदलावों के अनुरूप ढलना अनिवार्य है।

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छोटी सी मछली पानी के उलटे बहावे मे भी आगे निकल जाती है और बडा हाथी बह जाता है।क्योंकि मछली पानी की शरण में है। ऐसे ही जो ईश्वर की शरण में होते हैं वे विपरीत परिस्थितियों मे भी संसार सागर से तर जाते हैं।

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अस्थिर मन से जीवन में शांति और संतुलन प्राप्त करना मुश्किल होता है। जब हम अपने मन की गंदगी, चिंताओं और शंकाओं को पहचानते हैं। उन्हें सशक्त तरीके से दूर करते हैं, तो हम मानसिक स्थिरता और शांति पा सकते हैं। यह सच है कि जितना अधिक हम अपने मन को समझेंगे और नियंत्रित करेंगे, उतना ही हम अपनी अंदरूनी शक्ति को महसूस करेंगे।मन को स्थिर करना ही असल में आत्म-साक्षात्कार की ओर पहला कदम है।

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यह सदाचार ही मनुष्य का यथार्थ जीवन है। सदाचार रहित मनुष्य तो जीता हुआ ही मुर्दे के समान है। बाहर कितनी ही सुन्दरता क्यों न हो, देह को कैसे भी क्यों न सजाया जाय; यदि सदाचार नहीं है तो कुछ भी नहीं है। सदाचार शून्य मनुष्य के देह की सजावट तो ऐसे ही है, जैसे जहर से भरे हुए सोने के कलश की।

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आजकल सुंदरता और फैशन का ज़माना है। कोई दूसरों को आकर्षित करने के लिए, कोई अपनी प्रशंसा सुनने के लिए, आदि आदि कारणों से प्रायः सब लोग अपने आप को सुंदर बनाकर प्रस्तुत करते हैं। उसके लिए कितने ही प्रकार के डिजाइन वाले और रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं। भिन्न-भिन्न प्रकार के आभूषण पहनते हैं। अलग-अलग रंगों के रंगीन चश्मे (गॉगल्स) लगाते हैं। अनेक प्रकार के जूते चप्पल आदि पहनते हैं। तरह-तरह की खुशबू (परफ्यूम्स) लगाते हैं। ब्यूटी पार्लर में जाते हैं। और भी न जाने क्या-क्या करते हैं।

ये सब साधन आपको सुंदर तो बनाते हैं, दूसरों को आकर्षित भी करते हैं, परंतु ये सब साधन तब तक अधूरे हैं, जब तक आपके चेहरे पर एक सुंदर सी मुस्कान न हो।बहुत अच्छे कपड़े आभूषण जूते चप्पल रंगीन चश्मा आदि सब कुछ पहन कर भी यदि आप के चेहरे पर उदासी है, तो लोग आपसे प्रभावित नहीं होंगे।

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यदि आपने सादे वस्त्र भी पहने हों, आपकी अभिव्यक्ति (अपीरियंस) सामान्य सी भी हो, परन्तु आपके चेहरे पर एक सुंदर एवं सरल सी मुस्कान हो, फिर तो आपकी ‘सादगी’ भी दूसरों को आकर्षित कर लेगी।

परन्तु यह बात भी ध्यान में रहे, कि केवल बाहरी अभिव्यक्ति से ही संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए। बल्कि अपने व्यक्तित्व को पूरा निखारने के लिए आपका जीवन आचरण भी पवित्र होना चाहिये।

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भले ही आपका बाहरी दिखावा भी अच्छा हो, चेहरे पर सरल मुस्कान हो और यदि मन में सेवा,परोपकार, दान और दया की भावना हो, वाणी में मिठास हो, चाल ढाल में विनम्रता हो, अभिमान न हो। फिर तो कहना ही क्या! लोग आपकी इस अभिव्यक्ति से अधिक प्रभावित होंगे। आपकी स्तुति प्रशंसा भी करेंगे और आपको सम्मान भी देंगे।

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बाहरी दिखावे के साथ साथ उससे भी अधिक महत्वपूर्ण आपका आंतरिक जीवन है। उसे अवश्य उत्तम बनाएं। शुद्ध पवित्र बनाएं। तभी बाहर का दिखावा भी उपयोगी है। अन्यथा वह केवल छलावा मात्र है।

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जैसा कि आजकल अधिकतर लोगों में बाहरी छलावा देखा जा रहा है। ऐसे छलावे से बचें। अपने मन को पवित्र बनाएं। व्यवहार में उत्तम आचरण करें। स्वयं सुखी रहें और दूसरों को भी सुख देवें। तभी आप जीवन में वास्तविक सुख प्राप्त कर पाएंगे।

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मानव जीवन में कुछ काम ऐसे भी होते हैं जिनके करने से आपको आर्थिक लाभ भले ही ना मिले। लेकिन मन को शांति जरूर मिलती है।

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उम्र और ओहदे में कौन कितना बड़ा है फर्क नहीं पड़ता । लेकिन व्यवहार और लहजे में कौन कितना झुकता है बहुत फर्क पड़ता है।

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जैसे दौड़ कर पर्वत पर नहीं चढ़ा जा सकता। उसी तरह बहुत ज्यादा जल्दबाजी से बड़ी सफलता नहीं पाई जा सकती । पत्थर एक बार मंदिर गया और भगवान बन गया । आदमी जिंदगी भर मंदिर गया इंसान नहीं बन पाया ।

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इंसान उम्मीदों से बंधा एक ज़िद्दी परिंदा है, जो घायल भी उम्मीदों से है और ज़िंदा भी उम्मीदों पर है ।

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महान बनने का कोई विद्यालय नही होता आप के कर्म,वाणी,व्यवहार और आचरण ही आप को महान बनाते है ।

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कोई किसी को सुख अथवा दुःख देने वाला नहीं है । सब अपने ही किये हुए कर्मों का फल भोगते हैं ।

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हम जीवन अपना स्वयं सँवारें । जन्म माता पिता से मिलता है । ऋणी रहें प्रतिभा मेहनत से मिलती हैं । विनम्र रहें ख्याति समाज से मिलती है । आभारी रहें घमंड स्वयं से मिलता है । सावधान रहें तलाशने की नहीं तराशने की कोशिश करें क्योंकि तलाशेंगे तो कमियाँ नज़र आयेंगी और तराशेंगे तो खूबियाँ नज़र आयेंगी ।

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जो है उसी से शुरुआत करो । जहाँ हैं वहीं से शुरुआत करो । और कल से नहीं आज से ही शुरुआत करो । क्योंकि बेहतर अवसर की तलाश आप के सपनों को सच नहीं कर सकती है । आप के लिए आज से बेहतर कोई समय नहीं हो सकता । क्योंकि

जीवन में बेहतर अवसर कभी नहीं आते । अपितु जो समय हाथ में है उस को ही बेहतर बनाना पड़ता है । बेहतर अवसरों की तलाश ही जीवन में भटकाव का कारण बनती है। आप के लिए सारी परिस्थितियाँ एक साथ अनूकुल कभी नहीं हो सकती।

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यदि आप किसी कार्य को कल के लिए छोड़ देते हैं तो सचमुच आप आज में बहुत कुछ खो देते हैं । जीवन में सफलता की ऊँची उड़ान भरने के लिए बाज पक्षी की तरह जहाँ हो वहीं से प्रयास के पंखों को फड़ फड़ाओ और निकल जाओ अनंत आकाश की यात्रा पर जो उड़ना जानता है वो आकाश को भी अपनी मुट्ठी में भर लेता है।

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ऊँची सोच रखिए। विचारों की संकीर्णता जीवन की महानता के पथ में बाधक का कार्य करती हैं । ऊँची आवाज नहीं अपितु ऊँची सोच ही व्यक्ति को महान बनाती है। बिना ऊँची सोच के ऊँचे लक्ष्य की प्राप्ति संभव नहीं है । क्योंकि हमारी सोच ही हमारे लक्ष्य का निर्धारण करती है । इस लिए श्रेष्ठ लक्ष्य की प्राप्ति के लिए विचारों की संकीर्णता को त्यागकर हमारी सोच भी ऊँची होना चाहिये। संकीर्ण विचार गेहूँ के दानों में लगे उस घुन के समान हैं जो बाहर से सामान्य दिखने के बावजूद किसी व्यक्ति को अंदर ही अंदर खोखला कर देते हैं ।

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ऊँची आवाज रखने से आप लोगों की नजरों में तो आ सकते हैं। पर लोगों के दिलों में नहीं। ऊँची सोच ही व्यक्ति को महान बनाती है । ऊँची सोच ही व्यक्ति को जीवन में श्रेष्ठ लक्ष्य की प्राप्ति कराती है । और ऊँची सोच से ही व्यक्ति किसी के दिल में जगह बना पाता है।

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शून्य से बहुमूल्य होने का सफर सेंकड़ों ठोकरों से होकर गुज़रता हैं ।

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उम्र और ओहदे में कौन कितना बड़ा है फर्क नहीं पड़ता। लेकिन व्यवहार और लहजे में कौन कितना झुकता है बहुत फर्क पड़ता है ।

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अस्थिर मन से जीवन में शांति और संतुलन प्राप्त करना मुश्किल होता है जब हम अपने मन की गंदगी चिंताओं और शंकाओं को पहचानते हैं और उन्हें सशक्त तरीके से दूर करते हैं । तो हम मानसिक स्थिरता और शांति पा सकते हैं । यह सच है कि जितनी अधिक हम अपने मन को समझेंगे और नियंत्रित करेंगे उतना ही हम अपनी अंदरूनी शक्ति को महसूस करेंगे ।

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हर वो विषय जो जीवन में अपेक्षा से अधिक होता है। वही विष है । फिर चाहे वो बल हो, धन हो, भूख हो, लालच हो अभिमान हो, आलस हो प्रेम, हो या घृणा हो, वही विष है।

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लोग ज़िंदा आदमी से तो बात करना पसंद नहीं करते। मरने के बाद हिला हिला के पूछते हैं तू बोलता क्यों नहीं।

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किसी के गलत होने पर भी उसका सहयोग करना,उसकी मदद का नहीं,पतन का द्वार खोलता है।

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पाप करने का समय कम होता है,मगर पाप फल भोगने का समय लंबा होता है। जैसे दुर्घटना एक क्षण में हो जाती है, मगर स्वास्थ्य लाभ के लिए महीनों बिस्तर पर पड़ा रहना पड़ता है।

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थोड़ा अधिक दृढ़ निश्चय थोड़ा अधिक साहस, थोड़ा अधिक कार्य बस यही सौभाग्य हैं।

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दुःखों से घबराओ मत। दुःख तुम्हारी भलाई के लिये ही तुम्हारे पास आते हैं। प्रत्येक दुःख को अपने पहले किये हुए किसी कर्म का ही फल समझो। याद रखो—दुःख की प्राप्ति से तुम्हारे कर्म का भोग पूरा हो जाता है। तुम कर्म-फल के बन्धन से मुक्त होकर निर्मल हो जाते हो। अतएव कोई भी दुःख प्राप्त हो तो उनको शान्तिपूर्वक भोगो और मनमें यह जानकर सुखी होओ कि कर्मफल का भोग हो गया यह बहुत उत्तम हुआ।

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जीवन का सबसे बड़ा गुरू वक्त होता है । क्योंकि जो वक्त सिखाता है वो कोई नहीं सिखा पाता।

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ऊँची सोच ही व्यक्ति को महान बनाती है । ऊँची सोच ही व्यक्ति को जीवन में श्रेष्ठ लक्ष्य की प्राप्ति कराती है ।ऊँची सोच के कारण ही व्यक्ति किसी के दिल में जगह बना पाता है ।

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प्रेम और मित्रता मन से होती है मतलब से नहीं ।

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भूतकाल के पुराने दुःखों को बार बार याद करना वास्तव में स्वयं के वर्तमान को भी दुःखमय बनाना ही है।

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किरण चाहे सूर्य की हो या फिर आशा की जीवन के सभी अंधकार को मिटा देती हैं।

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परिवार हो या संगठन सब में सफलता का एक ही आधार हैं। वो है दूसरे के विचारों को धैर्य से सुनना समझना और सम्मान देना ।

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दुख में आँसू पोंछने के लिए अपनी एक उंगली काम आती है। पर सुख में दसों उंगलियाँ मिल कर ताली बजाती हैं। सोचिये जब स्वयं हमारे शरीर के अंग ही ऐसा भेदभाव करते हैं । तो फिर दुख का दुनिया से क्या असंतोष प्रकट करना।

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शब्द शब्द बहु अंतरा, शब्द के हाथ न पांव।

एक शब्द करे औषधि, एक शब्द करे घाव।

शब्द सम्भाले बोलिये, शब्द खीँचते ध्यान।

शब्द मन घायल करे, शब्द बढाते मान।

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परिवार-समाज में रहते हुए,सामूहिक कर्तव्यों की उपेक्षा करके,कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक सुखी नहीं रह सकता।

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समय बहरा है। सुनता किसी की नहीं, लेकिन अंधा नहीं है देखता सबको है।

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चापलूसी कितनी भी कर लो। डंका सामर्थ्य का ही बजेगा।

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बस ग़मों को गुमराह कर दो खुशियाँ खुद-ब-खुद लौट आएँगी।

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इंसान के सबसे बड़ा दुश्मन मूर्खता नहीं बल्कि ज्ञानी होने का भ्रम होता है । प्यार और नौकरी दोनों एक जैसे होते हैं । इंसान करता रहेगा रोता रहेगा मगर छोड़ता नहीं है।

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इंसान दो वजह से बदलता है । उसकी ज़िंदगी में कोई खास आता है या फिर उसकी ज़िंदगी से कोई बेहद खास चला जाता है ।

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अध्ययन स्वयं का हो या पुस्तक का हमेशा फायदा ही करता है।

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जिसके साथ संबंध में आनंद दुगुना और चिंता आधी हो जाये वो ही अपने है। बाकी सभी अनजाने है।

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काफी अकेला हूँ या अकेला काफी हूँ शब्द वही हैं केवल क्रम बदला है, किंतु भावार्थ तो बिल्कुल ही बदल गया । यही अंतर है नकारात्मक और सकारात्मक नजरिए का। सकारात्मक सोच जीवन जीने का तरीका ही बदल देती है ।

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अपने से बड़ों की आंखें कभी भी ना भीगने दे। क्योंकि जब छत से पानी टपकता है तो दीवारें भी कमजोर हो जाती है ।

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