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Muharram 2024: जानिए किस दिन है मुहर्रम, इस्लाम धर्म में क्या है इसका महत्त्व

Muharram 2024: इस्लाम धर्म में मुहर्रम का क्या महत्व है और इस दिन को कैसे मनाया जाता है साथ ही किस दिन है मुहर्रम आइये जानते हैं।

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Newstrack Network
Published on: 5 July 2024 11:00 AM IST (Updated on: 5 July 2024 11:01 AM IST)
Muharram 2024
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Muharram 2024 (Image Credit-Social Media)

Muharram 2024: इस्लाम धर्म में मुहर्रम का धर्म बेहद ख़ास है। इस दिन को नए साल के रूप में मनाया जाता है। आपको बता दें कि मुहर्रम इस्लाम धर्म का पहला महीना है। इस दिन को बकरीद के 20 दिन के बाद मनाया जाता है। आइये जानते हैं इस साल कब मुहर्रम है और इस दिन को किस तरह मनाया जाता है।

मुहर्रम की तारीख चाँद पर निर्भर करती है जिसकी वजह से हर साल इसकी तारीख में बदलाव होता है। गौरतलब है कि इस्लामी कैलेंडर में कुल 12 महीने होते हैं जिसमे से 4 सबसे ज़्यादा पवित्र माने जाते रहे हैं। जिसमे जुल- का'दा, जुल-हिज्जा और मुहर्रम और चौथा रजब का नाम शामिल है। इन महीनों को अल्लाह की दया और कृपा पाने के लिए सबसे सही समय मना जाता है। इस्लाम धर्म में सदका करने का भी विशेष महत्त्व है और इसे काफी शुभ माना जाता है। कहते हैं इससे अल्लाह का आशीर्वाद पूरे साल तक आप पर बना रहता है। आइये जानते हैं कि इस साल मुहर्रम किस दिन है और इसे कैसे मनाया जाता है।

मुहर्रम की तारीख

इस साल इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक मुहर्रम 7 जुलाई 2024 से मुहर्रम शुरू हो रहा है और आशूरा मनाने की तारीख 17 जुलाई है। जहाँ मुहर्रम को नए साल के रूप में मनाया जाता है वहीँ इसे मातम के रूप में भी मनाया जाता है। साथ ही मुहर्रम की 10वीं तारिख को यौम-ए-आशूरा भी कहा जाता है। इस्लामी मान्यता है कि इस दिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। जिन्हे इस्लाम धर्म का संस्थापक भी माना जाता है। वो हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे थे। इसीलिये हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मोहर्रम के 10वें दिन को लोग मातम मानते हैं जिसको आशूरा कहा जाता है। इस दिन जुलूस निकले जाते हैं और इमाम हुसैन की शहादत का मातम मनाया जाता है।

गौरतलब है कि मुहर्रम का दिन शिया और सुन्नी दोनों समुदाय अलग-अलग तरह से मनाते हैं। साथ ही दोनों की मान्यताएं भी अलग हैं। साथ ही अलग तरह से ये इस दिन को मनाते हैं। इस दिन के लिए ये भी मान्यता है कि रोज़ा रखने से भी अल्लाह खुश होते हैं साथ ही उनका आशीर्वाद लोगों पर बना रहता है। इसलिए सुन्नी समुदाय के लोग जहाँ 9 और 10वीं तारीख को रोज़ा रखते हैं वहीँ शिया समुदाय 1 से 9 तारीख को रोज़ा रखते हैं।

इस दिन को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि मान्यता है कि हजरत इमाम हुसैन अपने 72 साथियों के साथ मोहर्रम माह के 10वें दिन कर्बला के मैदान में शहीद हो गए थे। ऐसे में उनकी शहादत और कुर्बानी के रूप में इस दिन को याद किया जाता है। मुहर्रम के दिन शिया समुदाय के लोग जुलूस निकालते हैं वहीँ सुन्नी समुदाय के लोग आशूर के दिन रोजा रखते हैं। दोनों ही समुदाय इस दिन को अपनी-अपनी तरह से मनाते हैं।



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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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