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Mystery Of Hindu Culture: हिन्दू संस्कृति का रहस्य और विज्ञान

Mystery Of Hindu Culture: हिन्दू संस्कृति विश्वभर में अपनी अमूल्यता और वैदिक पाठशालाओं के अंतर्गत अपने गहन ज्ञान के लिए प्रसिद्ध है। इस संस्कृति का एक विशेषता है कि वह न केवल आध्यात्मिक और धार्मिक तत्वों पर आधारित है

Newstrack
Published on: 2 Jun 2023 3:30 PM IST
Mystery Of Hindu Culture: हिन्दू संस्कृति का रहस्य और विज्ञान
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Mystery Of Hindu Culture (social media)

Mystery Of Hindu Culture: नदी मे सिक्के डालना, नदी में सिक्के क्यों फेंके जाते हैं, हमारे देश में ऐसी कई चीज़ें होती हैं, जिनके पीछे की वजह के बारे में हम नहीं जानते। कुछ चीज़ें हम दूसरों की देखा-देखी करने लगते हैं। आज ऐसे ही एक रिवाज या प्रथा की बात करेंगे, जिसका कारण शायद आपको भी नहीं पता होगा।
बस या ट्रेन से सफर करते समय जब आप नदियों से गुजरते हैं, तो लोगों को नदियों में सिक्का डालते हुए ज़रूर देखा होगा।

दरअसल, ये परंपरा सालों से चली आ रही है। हमारे माता-पिता, दादा-दादी सभी कहते भी हैं, कि जब भी नदी से गुजरो, सिक्का नदी में फेंक देना। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर हम नदी में सिक्का क्यों डालते हैं। इस रिवाज के पीछे एक बड़ी वजह छिपी हुई है। दरअसल, जिस समय नदी में सिक्का डालने की ये प्रथा या रिवाज शुरु हुआ था, उस समय में आज के स्टील के सिक्के की तरह नहीं बल्कि तांबे के सिक्के चला करते थे, और तांबा कितना फायदेमंद होता है, यह शायद आप मुझसे बेहतर जानते होंगे।

अगर आप इतिहास के आईने में झांक कर देखेंगे तो पता चलेगा कि पहले के ज़माने में पानी का मुख्य स्रोत नदियां ही हुआ करती थी। लोग हर काम में नदियों के पानी का ही इस्तेमाल किया करते थे।

चूंकि तांबा पानी के प्यूरीफिकेशन करने में काम आता है और ये नदियों के प्रदूषित पानी को शुद्ध करने का एक बेहतर औजार भी रहा है, इसलिए लोग जब भी नदी या किसी तालाब के पास से गुजरते थे, तो उसमें तांबे का सिक्का डाल दिया करते थे। आज तांबे के सिक्के चलन में नहीं है। लेकिन फिर भी तब से चली आ रही इस प्रथा को लोग आज भी फॉलो कर रहे हैं।

हालांकि, इसके अलावा ज्योतिष में भी कहा गया है कि अगर किसी तरह का ग्रह दोष दूर करना हो, तो उसके लिए जल में सिक्के और कुछ पूजा सामग्री को प्रवाहित करने चाहिए। ज्योतिष में यह भी कहा गया है कि अगर बहते पानी में चांदी का सिक्का डाला जाए, तो उससे अशुभ चुद्र का दोष समाप्त हो जाता है। यही नहीं, पानी में सिक्का डालने की प्रथा को एक प्रकार का दान भी कहा गया है। कुछ लोगों का ये भी मानना होता है कि अपनी कमाई का कुछ अंश सिक्के के रूप में नदी में फेंकने से तरक्की होती है ।

1- चूड़ियों का महत्व

पुराने समय मे ज्यादातर महिलाये सोने-चांदी की चूड़ियाँ पहना करती थीं।माना जाता है की सोने-चांदी के घर्षण से शरीर को इनके शक्तिशाली तत्व प्राप्त होते हैं, जिससे महिलाओं को स्वास्थ्य लाभ मिलता है। महिलाएं पुरुषों से कमजोर होती है। चूड़ियाँ उनके हाथो को मजबूत और शक्तिशाली बनती है।

2- सिंदूर लगाना

सिंदूर हल्दी, नींबू और पारा के मिश्रण से तैयार किया जाता है। सिंदूर महिला के रक्तचाप को नियंत्रित करने के अलावा उनकी सेक्सुअल ड्राइव को भी बढाता है। इसे उस जगह पर लगाया जाता है , जहां पर पिट्यूटरी ग्रंथि होती है, जहां पर सारे हार्मोन डेवलप होते हैं। इसके अलावा सिंदूर तनाव से भी महिलाओं को दूर रखता है।

3- बच्चों का कान छेदन

विज्ञान कहता है कि कर्णभेद से मस्तिष्क में रक्त का संचार समुचित प्रकार से होता है। इससे बौद्घिक योग्यता बढ़ती है। और बच्चों के चेहरे पर चमक आती है। इसके कारण बच्चा बेहतर ज्ञान प्राप्त कर लेता है।

4 - चरण स्पर्श करना

इस तरह से चरण-स्पर्श करने से अपने से बड़ों की विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा शक्ति हमारे शरीर को नयी ऊर्जा प्रदान कर ऊर्जावान, निरोगी और सकारात्मक विचारों से परिपूर्ण कर देती है। सुखासन से पूरे शरीर में रक्त-संचार समान रूप से होने लगता है। जिससे शरीर अधिक ऊर्जावान हो जाता है।

5 - हाथों में मेहंदी लगाना

विज्ञान कहता है की मेंहदी बहुत ठंडी होती है ।इसे लगाने से दिमाग ठंडा रहता है और तनाव भी कम होता है । इसलिये शादी के दिन दुल्हने मेंहदी लगाती हैं, जिससे उन्हें शादी का तनाव ना हो पाए।

6 - सर पे चोटी रखना

सिर पर चोंटी रखने की परंपरा को हिन्दुत्व की पहचान तक माना जाता है । असल में जिस स्थान पर शिखा यानि कि चोंटी रखने की परंपरा है, वहा पर सिर के बीचों-बीच सुषुम्ना नाड़ी का स्थान होता है।सुषुम्रा नाड़ी इंसान के हर तरह के विकास में बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चोटी सुषुम्रा नाड़ी को हानिकारक प्रभावों से बचाती है।

7- भोजन के अंत में मिठाई खाना।

जब हम कुछ मसालेदार भोजन खाते हैं, तो हमारे शरीर एसिड बनने लगता है जिससे हमारा खाना पचता है और यह एसिड ज्यादा ना बने इसके लिए आखिर में मिठाई खाई जाती है जो पाचन प्रक्रिया शांत करती है।

8- तुलसी के पेड़ की क्यों पूजा होती है।

तुलसी में विद्यमान रसायन वस्तुतः उतने ही गुणकारी हैं, जितना वर्णन शास्रों में किया गया है। यह कीटनाशक है, कीटप्रतिकारक तथा खतरनाक जीवाणुनाशक है। विशेषकर एनांफिलिस जाति के मच्छरों के विरुद्ध इसका कीटनाशी प्रभाव उल्लेखनीय है।

9 - पीपल के वृक्ष की पूजा

पीपल की उपयोगिता और महत्ता वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों कारणों से है। यह वृक्ष अन्य वृक्षों की तुलना में वातावरण में ऑक्सीजन की अधिक-से-अधिक मात्रा में अभिवृद्धि करता है। यह प्रदूषित वायु को स्वच्छ करता है और आस-पास के वातावरण में सात्विकता की वृद्धि भी करता है। इसके संसर्ग में आते ही तन-मन स्वतः हर्षित और पुलकित हो जाता है। यही कारण है कि इस वृक्ष के नीचे ध्यान एवं मंत्र जप का विशेष महत्व है।



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